रीवा। सुपर स्पेशलिटी में मरीजों से अवैध वसूली का धंधा बंद नहीं हुआ है। डॉक्टरों के एजेंट तैनात है। अब भी ब्लड सेम्पल के नाम पर वसूली कर रहे हैं। इस मर्तबा न्यूरो सर्जन का एजेंट पकड़ा गया है। मातेश्वरी पैथालॉजी से जांच करने आया था। गार्डन ने पकड़कर सीएमओ के पास भेजा। बयान लेने के बाद कार्रवाई के लिए प्रस्ताव अधीक्षक सुपर स्पेशलिटी के पास भेजा गया है।
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में प्राइवेट पैथालॉजी का कब्जा है। यहां पदस्थ डॉक्टरों ने कमीशन के फेर में मरीजों को लूटना शुरू कर दिया है। लंबे समय से यह गोरखधंधा चल रहा था। शनिवार को इसका फांडा फूट गया। दरअसल यहां पदस्थ डॉक्टर कमीशन के फेर में ही कई निजी पैथालॉजी सेंटरों से सांठगांठ किए हुए हैं। इसी कमीशन के चक्कर में अस्पताल में भर्ती मरीजों को डरा कर बाहर से जांच कराते हैं। एमरजेंसी जांच के नाम पर बाहर से युवकों को बुलाकर सेंपल दिलाया जाता है और जांच के नाम पर वसूली होती है। इस खेल का भांडा कुछ दिन पहले ही फूटा था। डॉ मुरानी प्रसाद का एजेंट पकड़ा गया था। इसके खिलाफ कई लोगों ने लिखित शिकायत दर्ज की थी लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब फिर से समान तिराहा में ही संचालित मातेश्वरी लैब का कर्मचारी सेम्पल लेते पकड़ा गया है। बयान में उसने सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में पदस्थ न्यूरो सर्जन पंकज सिंह सहायक प्राध्यापक का नाम दर्ज कराया है। बयान में कहा है कि सर्जन ने ही उन्हें मरीज का सेम्पल लेने के लिए बुलाया था। बाहरी व्यक्ति के सेम्पल लेने पर वहां तैनात सुरक्षाकर्मियों ने धरदबोचा। उसे लेकर सीधे सीएमओ एसजीएमएच डॉ अलख प्रकाश के पास लेकर पहुंचे। वहां उसका बयान लिया गया और फिर कार्रवाई की फाइल बनाकर अधीक्षक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के पास भेज दिया।
खुल चुकी है पोल
मातेश्वरी के पहले लाइफ लाइन पैथालॉजी का कर्मचारी अंकुश पकड़ा गया था। उसे मरीजों के अटेंडर और सुरक्षा गार्ड पकड़ कर सीएमओ के पास ले गए थे। उसने बयान में लिखित कहा था कि वह नए बस स्टैण्ड में संचालित लाइफ लाइन पैथॉलाजी का कर्मचारी है। सुपरस्पेशलिटी अस्पताल में उसे डॉक्टरों द्वारा बुलाया जाता है। अस्पताल में पहुंच कर मरीजों का ब्लड सेम्पल लेता है। अस्पताल में मुरली सर द्वारा बुलाए जाने की बात बयान में कही थी। उनका मोबाइल नंबर 8349605288 तक बताया था। उसने बताया कि इस नंबर से काल कर बताया गया कि पीटीआईएनआर और एपीएसए की जांच करनी है। यहां मशीन खराब होने के कारण जांच नहीं होती। डॉक्टर के निर्देश पर ही मरीजों की सीबीसी और के केएफटी भी जांच कर रहा था। इसके रुपए 700 रुपए वसूल रहा था। सारी चीजें लिखित में कही थी। जिनसे रुपए वसूले थे। उन्होंने लिखित शिकायत की थी, फिर भी मामले को दबा दिया गया।
नहीं होती कार्यवाही इसलिए ऐसे होता है काम
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में हालात खराब है। सभी डॉक्टरों ने दुकानें सजा रखी है। मरीजों को लूट रहे हैं। अस्पताल प्रबंधन और मेडिकल कॉलेज डीन की लापरवाही और मिलीभगत से ही यहां हालात बेकाबू हो गए हैं। डॉक्टर निरंकुश हो गए हैं। यदि पहले ही दोषियों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया होता तो ऐसे हालात न बनते। अब हर कोई खुलेआम जांच के नाम पर बाहर से मरीजों की जांच कराने के लिए एजेंट बुला रहे हैं। इसके बदले मोटी रकम वसूली जा रही है।
जांच न होने की कहते है बात
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में सारी जांच हो रही हैं। फिर भी मरीजों को जांच न होने का हवाला देकर बाहर से कराने की बात कहते हैं। इतना ही नहीं एमरजेंसी में आपरेशन करने का कहकर मरीजों के अंटेंडर पर दबाव बनाते हैं। अक्सर रात में ही ऐसी स्थितियां बनाई जाती है। सुबह आपरेशन की बात कह महंगी जांच बाहर से कराकर हजारों रुपए वसूले जाते हैं। यह सारा खेल रात में ही होता है।