रीवा। सुपर स्पेशलिटी के डॉक्टरों ने व्यवस्थाओं को बीमार कर दिया है। अनुबंध के विपरीत काम कर रहे हैं। अस्पताल के बाहर दुकान खोल कर बैठ गए है। चुनिंदा डॉक्टरों केा छोड़कर सब ने प्राइवेट प्रैक्टिस शुरू कर दी है। मरीजों को अस्पताल की जगह निजी क्लीनिक बुला रहे हैं। लाखों रुपए ऐंठ रहे हैं। प्रबंधन और प्रशासन सब कुछ जानता है लेकिन अनजान बना बैठा है। मरीज लुट रहे हैं। 150 करोड़ की लागत से सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की नींव रखी गई। इस अस्पताल में स्पेशलिस्ट डॉक्टरों को भी रखा गया। अनुबंध और शर्तें तय की गई कि यहां काम करने वाले डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करेंगे। ऐसा करने पर कार्रवाई की जाएगी। प्राइवेट प्रैक्टिस न करने की शर्त पर ही इनका वेतन भी अन्य की तुलना में दोगुना रखा गया। सुपर स्पेशलिटी में ज्वाइनिंग के बाद डॉक्टरों ने नियम तोडऩा शुरू कर दिया। सुपर स्पेशलिटी के डॉक्टरों ने शहर में दुकानें खोल ली है। प्रशासन की नजर बचाकर पड़ोसी जिलों से आना जाना और वहीं पर दुकान चलाने का धंधा कर रहे हैं। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के सभी डॉक्टर इस धंधे में लिप्त है। न्यूरो के भी कोई नहीं बचे। सिर्फ नेफ्रो और कार्डियक सर्जन ही ईमानदार है जो शर्तों पर कायम है। प्राइवेट प्रैक्टिस की भनक डीन से लेकर कमिश्नर, कलेक्टर सब को है। शिकायतें भी की गई लेकिन इनके खिलाफ कार्रवाई करने की हिम्मत कोई नहीं जुटा पा रहा है। यही वजह है कि अब सुपर स्पेशलिटी की हालत भी संजय गांधी अस्पताल के जैसे होने लगी है। यहां जांच के लिए लंबी वेटिंग लग रही है। पेड ओपीडी सिर्फ नाम मात्र की ही रह गई है। इन नियम तोडऩे वाले डॉक्टरों के खिलाफ लोगों का गुस्सा भड़क रहा है। यदि हालात पर जल्द कंट्रोल प्रशासन ने नहीं किया तो स्थितियां बिगड़ते देर नहीं लगेगी।
यह सारे डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस में हैं लिप्त
कार्डियोलॉजी विभाग से डॉ हिमांशू गुप्ता सहायक प्राध्यापक,
डॉ लल्लन प्रताप सिंह सहायक प्राध्यापक, डॉ एसके त्रिपाठी ने अस्पताल के बाहर दुकानों सजा ली हैं। कोई घर पर निजी प्रैक्टिस कर रहा तो कोई दूसरे के नाम से संचालित क्लीनिक में बैठ कर दुकान चला रहा है। कुछ सतना में प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं। इसी तरह यूरो लॉजी विभाग डॉ बृजेश तिवारी और डॉ विजय शुक्ला, नेफ्रोलॉजी से डॉ रोशन द्विवेदी निजी प्रैक्टिस कर रहे हैं।
कौन कहां कर रहा निजी प्रैक्टिस
कॉर्डियोलॉजी विभाग से डॉ लल्लन सिंह सहायक प्राध्यापक सतना भरहुत नगर में नाहर नर्सिंग होम वाली गली में अपनी खुद की क्लीनिक संचालित करते हैं। सतना से ही आना जाना करते हैं। प्रतिदिन शाम 5 बजे के बादा मरीजों को देखते हैं। डॉ हिमांशू गुप्ता सहायक प्राध्यापक कॉर्डियालोजी सतना में ही सर्किट हाउस चौक में आयुष्मान नर्सिंग होम में मरीज देखते हैं। सुबह और शाम इनकी प्राइवेट प्रैक्टिस चलती है। डॉ रोहन द्विवेदी नेफ्रोलॉजिस्ट इलाहाबाद रोड में फ्लेवर रेस्टारेंट के पीछे कौटिल्य एकेडमी के पास संचालित किसी और के नाम से संचालित क्लीनिक में सेवाएं देते हैं। यहां मरीजों की भारी भीड़ उमड़ती है। इसी तरह कार्डियालॉजिस्ट डॉ एसके त्रिपाठी मेडिकल कालोनी में ही आवास पर ही मरीजों को देखते हैं। न्यूरो सर्जन डॉ पंकज सिंह चौहान तानसेन काम्प्लेक्स में बैठते हैं। डॉ दिनेश पटेल भगवती क्लीनिक संचालित कर रहे हैं।
यही पर अनुबंध पर कायम हैं
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के सारे डॉक्टर बेइमान नहीं है। कुछ इमानदारी से काम कर रहे हैं। अनुबंध पर कायम है। इनमें कार्डियक विभाग, यूरो लॉजी विभाग के कुछ डॉक्टर शामिल हैं। इन्होंने फिलहाल प्राइवेट प्रैक्टिस शुरू नहीं की है। मरीजों की ही सेवा में लगे हुए हैं। इनके लिए सिर्फ रुपए कमाना ही ध्येय नहीं रह गया है।
सीएमएचओ को करनी चाहिए कार्रवाई
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में काम करने वाले डॉक्टरों का प्राइवेट प्रैक्टिस करना प्रतिबंधित है। यदि यह डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं तो इनके खिलाफ स्वास्थ्य विभाग को कार्रवाई का अधिकार है। जिन क्लीनिक में प्रैक्टिस करते है। वहां दबिश देकर क्लीनिक को सीज करने का अधिकार भी सीएमएचओ को है। हालांकि अब तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
वर्सन…
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के डॉक्टर प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं कर सकते हैं। यह पूरी तरह से नियम विरुद्ध है। पूरी तरह से प्रतिबंध है। बाहर कहीं भी प्रैक्टिस नहीं कर सकते हैं। सुना जरूर है कि प्राइवेट प्रैक्टिस करते हंै, एथेन्टिक जानकारी नहीं है। इसलिए कार्रवाई नहीं हो पा रही है।
डॉ एनएन मिश्रा
सीएमएचओ, रीवा