रीवा।सुपर स्पेशलिटी अस्पताल का कार्डियोलॉजी विभाग खाली होने की कगार पर पहुंच गया है। प्रशासन और प्रबंधन की हीलाहवाली से नाराज डॉक्टर नौकरी छोडऩे लगे हैं। कार्डियक एनेस्थीसियालॉजिस्ट ने पहले ही नौकरी छोड़ दी थी। कार्डियक सर्जन और कार्डियोलॉजिस्ट ने इस्तीफा देने के पहले डीन को नोटिस भेज दिया है। इंदौर में नौकरी के लिए आवेदन भी कर दिया है। तीन डॉक्टरों के एक साथ सुपर स्पेशलिटी छोडऩे से हड़कंप मचा हुआ है। ज्ञात हो कि मप्र सरकार ने लोगों को गंभीर बीमारियो के इलाज के लिए सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की नींव रखी। चारों महानगरों के साथ ही रीवा में भी इसकी स्वीकृति मिली। रीवा में 150 करोड़ की लागत से अस्पताल बन कर भी तैयार हो गया। यहां डॉक्टरों की पदस्थापना के लिए अलग से सेवा नियम बनाए गए। उसी नियम और शर्तों के आधार पर डॉक्टरों की रिक्यूटमेंट की गई। रीवा में अब तक करीब 21 डॉक्टरों को यहां ज्वाइन कराया जा सका है। इसमें कार्डियोलॉजी, न्यूरो, यूरो विभाग में डॉक्टर ज्वाइन कर लिए हैं। इनके ज्वाइनिंग को भी कई साल गुजर गए है। इन डॉक्टरों को सेवा शर्तों के हिसाब से वेतन, प्रमोशन और काम करने का अवसर नहीं दिया जा रहा है। यही वजह है कि अब डॉक्टर यहां से पलायन करने लगे हैं। विभाग की व्यवस्थाओं और जरूरतों की पूर्ति भी प्रबंधन नहीं कर पाता। शासन से स्वीकृति, मार्गदर्शन लेने में डॉक्टरों को उलझाकर रख देता है। मेडिकल कॉलेज और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल प्रबंधन की अकर्मठता के कारण अब डॉक्टर नौकरी छोडऩे लगे हैं। कार्डियक विभाग के तीन डॉक्टरों ने सुपर स्पेशलिटी अस्पताल को बाय बाय करने की तैयारी कर ली है। एक पहले ही जा चुके हैं। दो ने नौकरी छोडऩे के पहले एक महीने का नोटिस डीन को थमा दिया है।
इन डॉक्टरों को है आपत्ति, छोड़ रहे नौकरी
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में पदस्थ डॉ मुनीर अहमद खान कार्डियक एनेस्थीसियोलॉजिस्ट हैं। इनका पेंच लेक्चरर पद की ज्वाइनिंग में फंस गया है। नियम और शर्तों में उलझा दिया गया। यही वजह है कि उन्हें एसआर पद से इस्तीफा दे दिया। इसके अलावा डॉ प्रदीप कुर्मी कोर्डियोलॉजिस्ट हैं। इनका प्रमोशन नहीं हो पाया है। सहायक प्राध्यापक का ही वेतन मिल रहा है। एक लाख रुपए का नुकसान हो रहा है। इसके अलावा डॉ सुमित प्रताप ङ्क्षसह कार्डियो वस्कुलर सर्जन भी सिर्फ प्रमोशन न मिलने के कारण नौकरी से इस्तीफा देने की तैयारी में है। नोटिस प्रबध्ंान को भेज दिए हैं।
यह है मांग
डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें वर्ष 2018 के नियम और शर्तों के तहत ज्वाइन कराया गया था लेकिन उन नियमों का पालन नहीं हो रहा है। प्राइवेट प्रैक्टिस नियम में नहीं है। फिर भी समय पर इंक्रीमेंट और अन्य सुविधाएं नहीं दी जाती। शाम को ओपीडी शुरू करने का भी अनुबंध में नियम था। अब तक शाम की ओपीडी शुरू नहीं की जा सकी है। तीन साल में प्रमोशन के लिए कहा गया था। अब तक प्रमोट नहीं किया गया है। वेतन का नुकसान हो रहा है। सारे फैसले स्थानीय स्तर पर प्रबंधन ले सकता है लेकिन निर्णय नहीं ले पाते।
इस्तीफा नहीं दिए हैं। एक महीने का नोटिस देना होता है। वही दिए हैं। आज लिस्ट आई है इंदौर में नए पदों की। नियम रहता है। उसी के तहत नोटिस दिया है। अभी ज्वाइन नहीं कर रहे हैं। देख रहे हैं। इंटरव्यू भी नहीं हुआ है। हमारे जो भी नियम बने हैं। वर्ष 2018 के हिसाब से बने हैं। जब भी बात करो प्रमोशन का तो पुराने नियम का हवाला देने लगते हैं। हमारी सैलरी फिक्स है। कुछ नहीं मिलता। जब कुछ नहीं मिलता तो जो शर्त में लिखा है वह तो देना चाहिए।
डॉ प्रदीप कुमार कुर्मी, सहायक प्राध्यापक
कोर्डियोलॉजी विभाग, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल
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अभी नोटिस दिए हैं। जिन नियम और शर्तों के तहत हमें नियुक्त किया गया था। उनका पालन नहीं किया जा रहा है। मामले में अभी तक कुछ जवाब नहीं मिला है। कमिश्नर और डीन कुछ मामले में नहीं करते। ऐसे में कैसे काम चलेगा। हमें प्राइवेट प्रैक्टिस एलाऊ नहीं है। एनपीएस की राशि भी नहीं मिली। किस खाते में जा रही, पता नहीं। वेतन से कट रहा है।
डॉ सुमित प्रताप सिंह, सहायक प्राध्यापक
सीवीटीएस विभाग, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल
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सुपर स्पेशलिटी के अधीक्षक ने बताया कि डॉ प्रदीप ने नोटिस डीन आफिस भेजा है। डॉ मुसीर अहमद पात्रता के श्रेणी में नहीं आ रहे हैं। इसलिए उन्हें ज्वाइन नहीं कराया जा सका। डॉ सुमित सिंह के बारे में जानकारी उन्हें नहीं है। प्रमोशन की समस्या है। उसका जल्द ही निराकरण कर दिया जाएगा। शासन से स्वीकृति मिल गई है।
डॉ शशिधर गर्ग
प्रभारी डीन, श्याम शाह मेडिकल कॉलेज रीवा