रीवा। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में मरीजों को दर्दनाक जांच से गुजारा जाता है। आसान जांच बंद है। दिल की बीमारी पता लगाने में सीटी एंजियोग्राफी सबसे आसान तरीका है लेकिन यह सुविधा ही बंद है। इस जांच में उपयोग होने वाला आईवी कंट्रास ही खत्म है। इसे मंगाया ही नहीं जाता। मरीज महंगी और दर्दनाक जांच से गुजर रहे हैं। प्रबंधक लापरवाह बने हुए हैं। ज्ञात हो कि सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में हार्ट के आपरेशन धड़ल्ले से हो रहे हैं। दिल की जांच और इलाज कराने बाहर जाने वालों को यहां राहत मिल गई है। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में हार्ट सर्जरी शुरू होने से गरीबों को फायदा मिल रहा है। यहां गरीबों को सस्ता इलाज मिल रहा है। इस इलाज में अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही भारी पड़ रही है। दरअसल दिल की बीमारी का पता लगाने वाली जांच ही प्रभावित है। सबसे आसान और सरल जांच को बंद करके रखा गया है। जिस जांच से दिल का मर्ज पकडऩे में आसानी होती है। उसे ही बंद कर रखा गया है। सीटी एंजियोग्राफी यहां होती ही नहीं है।
यह जांच सिर्फ एक दवा
आईवी कंट्रास के कारण बंद पड़ी है। आईवी कंट्रास मंगाया ही नहीं जा रहा है। इस दवा से दिल के मरीजों की रिपोर्ट परफेक्ट आती है। बारीक मर्ज भी पकड़ में आ जाता है। इस जांच को बंद कर दिल के मरीजों को पीड़ादायक जांच से गुजारा जा रहा है। अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही गरीबों की जान और इलाज पर भारी पड़ रही है।
ऐसे करता है काम
हार्ट की जांच में सीटी एंजियोग्राफी आसान तकनीक है। हार्ट की एंजियोग्राफी करने के पहले मरीज के नसों में आईवी कंट्रास इंजेक्ट किया जाता है। यह कंट्रास दिल के नसों में दौड़ता है और चमकीली रेखा बनाता है। यहां कंट्रास जहां जहां जाता है। वहां की फिल्म साफ उतर आती है। यह एक तरीके से दिल की नसों में ब्लौकेज आदि की जानकारी बताने का काम करता है। सीटी एंजियोग्राफी में इस आईवी कंट्रास की मदद से स्पष्ट फिल्म आती है। इससे डॉक्टरों को इलाज में मदद भी मिलती है। यह सारी प्रक्रिया सिर्फ 10 मिनट में पूरी हो जाती है।
कैथ लैब में 2 दिन लगते हैं
वहीं दूसरी प्रक्रिया कैथ लैब में अपनाई जाती है। हार्ट के मरीजों की जांच के लिए इन्हें एक दिन पहले भर्ती करना पड़ता है। नसों में इंस्टेंट डालते हैं। फिर जांच की जाती है। इंस्टेंट डालने की प्रक्रिया जटिल और पीड़ादायक है। फिर भी इसे मरीजों पर अपनाया जा रहा है।
यह लापरवाही भी…
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में और भी कई लापरवाहियां की जा रही हैं। यहां सीटी स्केन की जांच के बाद रिपोर्टिंग में समय लगाया जा रहा है। कई राज्यों और जिलों के डॉक्टरों से अनुबंध किया गया है। टेलीरेडियोग्राफी की सुविधा यहां शुरू है लेकिन इसका फायदा लोगों को नहीं मिल पा रहा है। इसके अलावा सीटी स्केन के बाद मरीजों को फिल्म हाथ में पकड़ाई जाती है जो जल्दी ही खराब हो जाती है। लिफाफा तक नहीं दिया जाता है। महंगी जांच के बाद मरीज हाथ में ही फिल्म लेकर घूमते रहते हैं।
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