रीवा। नगर निगम में प्रमोशन का मुद्दा राजनैतिक दलो के पेंच में हमेशा ही उलझा रहा है। जब भी प्रमोशन की बात निगम में होती थी तो राजनैतिक दबाव या पेंच के चलते वह उलझ जाती थी। हालांकि सत्ताधारी नेताओं के कृपापात्रों को उनकी जीहूजूरी के चलते प्रमोशन मिल भी गया और नियमों की भी अनदेखी की गई लेकिन जो वास्तव में योग्य हैं वह आज भी प्रभार में ही अटके हुए हैं, जबकि उनको वेतन भी उसी पद से उच्च पद का दिया जा रहा है, ऐसे में कुछ कृपापात्र अधिकारियों के चलते अधिकारी-कर्मचारियों का प्रमोशन नहीं हो पा रहा है। वह सत्ताधारी नेताओं के शरणागत होकर अड़ंगा लगाए हुए हैं, हालांकि निगमायुक्त मृणाल मीना ने कई ऐसे काम किए हैं जो पूर्व के निगमायुक्त नहीं कर सके इसलिए उनके लिए यह मामला भी कोई बड़ा नहीं है। निगमायुक्त का कार्यकाल ही ऐसा रहा है जब सत्ताधारी नेता के कृपापात्र निगम में कुर्सी जमाए बैठे एक अधिकारी की एक नहीं सुनी जा रही व उसे दूध से मक्खी की तरह साइड में कर दिया गया है। बता दें कि प्रमोशन के मामले को लेकर वरिष्ठ अधिकारी भी राजनैतिक पेंच की बात कर कर्मचारियों को पाठ पढ़ाते रहे है। हालांकि अब निगम में पिछले ढ़ाई वर्षो से प्रशासक राज है बावजूद इसके अब भी कर्मचारी उसी कुर्सी पर डटे हुए है। हैरानी इस बात की है कई ऐसे कर्मचारी उच्च पद में प्रमोशन के पात्र तो है लेकिन उन्हें प्रमोशन नहीं मिल रहा है जबकि उनसे काम उसी रैंक का लिया जा रहा है। सुविधाएं और वेतन भी उसी रैंक की दी जा रही है लेकिन नाम के आगे प्रभार जुड़ा हुआ है। जबकि पद रिक्त पड़े हैं, उनमें आसानी से ऐसे अधिकारी-कर्मचारियों को प्रमोशन दिया जा सकता है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जिस राजनैतिक पेंच की बात पूर्व में वरिष्ठ अफसर प्रमोशन के नाम पर करते रहे है वह भी अब नहीं है। इस संबंध में निर्णय निगमायुक्त और निगम प्रशासक को लेना है। वह चाहे तो अधिकारी-कर्मचारियों के भविष्य को लेकर इस पर मंथन कर सकते है।
निर्माण में ज्यादा जरूरत
नगर निगम के निर्माण शाखा के अधिकतर पद प्रभार पर चल रहे हैं। जबकि नियमत: प्रभार की जगह पात्र को प्रमोशन इस पर दिया जा सकता है। उदाहरण के लिए निगम में चार रिक्त पद कार्यपालन यंत्री के है। जिसमें प्रभार पर कार्यपालन यंत्री एपी शुक्ला, राजेश सिंह, एचके त्रिपाठी व एसके चतुर्वेदी काम कर रहे है। जबकि इन रिक्त पदो पर इनको प्रमोशन दिया जा सकता है क्योंकि वेतन और सुविधाएं इसी पद के अनुसार है। इनमें से कुछ तो इसी वर्ष सेवानिवृत्त भी होने जा रहे हैं, ऐसे में यदि प्रोमोशन मिलता है तो यह एक बड़ा उपहार होगा। इसी प्रकार सहायक यंत्री के 7 रिक्त पद है जिसमें पांच पद भरे हुए है। यह पद भी कार्यपालन यंत्री में प्रमोशन दिए जाने के बाद रिक्त हो जाएंगे। जिसके बाद 7 उपयंत्रियों को निगम प्रशासन प्रमोशन देकर सहायक यंत्री बना सकता है लेकिन इस पर किसी ने विचार नहीं किया। प्रभारी सहायक यंत्री के रूप में बीएस बुदेला, पीएन शुक्ला, संतोष पांडेय, सुधाकर पांडेय, दिलीप त्रिपाठी, राजेश मिश्रा सहित अन्य काम कर रहे है। जबकि वरिष्ठ उपयंत्री एसएल दहायत को तो प्रभार भी नहीं दिया गया है जबकि अपने दायित्वों का निवर्हन करते हुए उनके द्वारा इस वर्ष निगम को 54 करोड़ रुपए जुटा कर दिए हैं। इसी प्रकार कई उपयंत्री व सहायक यंत्री तो ऐसे है तो आगामी 1-2 वर्षो में रिटायर भी हो जाएंगे, यदि उन्हें प्रमोशन मिलता है तो वह उच्च पद से रिटायर होंगे, जो उनके भविष्य के लिए भी अच्छा होगा।
राजस्व में भी रिक्त पड़े पद
इसी प्रकार निगम के राजस्व व अन्य शाखाओं में काम प्रभार पर चल रहा है, कई अधिकारी उच्च पद के पात्र होते हुए भी उसी कुर्सी पर डटे हुए है। जबकि निगम चाहे तो ऐसे पदो को प्रमोशन से भर सकता है। राजस्व अधिकारी, सहायक राजस्व अधिकारी जैसे पद रिक्त है जिनमें राजस्व निरीक्षक रावेन्द्र सिंह, निलेश चतुर्वेदी, राजेश सिंह को प्रभार दिया जा सकता है इसी प्रकार राजस्व निरीक्षक के पद खाली होने पर इन पदों पर सहायक राजस्व निरीक्षक मो.अली, शुधांशु विश्वकर्मा, उपेन्द्र मिश्रा, विष्णु लखेरा, शंकर द्विवेदी, मिठाईलाल साहू, शकील अंसारी मोहित सिंह को राजस्व निरीक्षक पद पर प्रामोशन दिया जा सकता है। मोहर्रिरों को भी प्रमोशन देकर उच्च पदों की जिम्मेदारी दी जा सकती है। लेकिन पदों पर भरने की कोई योजना अब तक नहीं बनाई। जबकि वर्षों से निगम में अपनी सेवा दे रहे कर्मचारियों को प्रमोशन देकर निगम प्रशासक मनोज पुष्प व निगम आयुक्त मृणाल मीना बड़ा उपहार दे सकते हैं।
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