रीवा। खून की सबसे अधिक अवश्यकता का केन्द्र आए दिन खून के सौदे के लिए भी चर्चा में रहता है, ऐसा हम नहीं लगातार सामने आ रहे मामले बयां करते है। बता दें कि इस सौदे में अस्पताल सहित सफेदपोशों का बड़ा संरक्षण माना जा रहा है, इसके सौदागर इन्हीं के संरक्षण में यह काम करते हैं। संंजय गांधी अस्पताल में एक बार फिर खून के दलाल सक्रिय हो गए हैं। अस्पताल आये मरीजों को ये लूट का शिकार बना रहे हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक तीन दिन पहले संजय गांधी अस्पताल में एक खून का दलाल पकड़ा गया था और उसे पकड़कर अमहिया थाना पुलिस के सुपुर्द कर दिया गया था। हालांकि उस दलाल के खिलाफ पुलिस ने क्या कार्रवाई की, इसकी जानकारी नहंीं हो पाई है। बताया गया है कि अस्पताल में भर्ती एक मरीज को डॉक्टरों ने ब्लड की आवश्यकता बताई। इसकी भनक लगते ही खून के दलाल सक्रिय हो गए और मरीज के परिजन से संपर्क साधकर उससे पैसे भी ऐंठ लिए। जानकारी मिलते ही अस्पताल सह अधीक्षक डॉ अतुल सिंह ने दलाल को पकड़कर अमहिया पुलिस के हवाले कर दिया। लेकिन पुलिस ने इस पर क्या कार्रवाई की, यह पता नहीं चल पाया है। जाहिर है कि इससे दलालों को खून का अवैध कारोबार करने बल मिल रहा है। उल्लेखनीय है कि संजय गांधी अस्पताल में जरूरतमंदों का खून उपलब्ध कराने के लिए ब्लड बैंक बनाया गया है। लेकिन ब्लड बैंक में लोग दलालों के शिकार हो रहे हैं।
इस अव्यवस्था के चलते खून का सौदा किया जा रहा है। अस्पताल में खून के दलालों की सक्रियता की खबरें इन दिनों प्रतिदिन आ रही हैं, लेकिन इन पर अंकुश नहंीं लग पा रहा है। अस्पताल पहुंचने वाले मरीजों एवं उनके परिजनों को दलाल अपने झांसे में लेकर अपना कारोबार कर रहे हैं। खून के कारोबार में अस्पताल के स्टाफ की भी भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है। बता दें कि इसके पूर्व भी अस्पताल के स्टाफ पर खून के दलाली के आरोप लग चुके हैं। अस्पताल प्रबंधन ने इन दलालों पर नजर रखने के लिए सुरक्षा गार्ड भी तैनात किये थे। इतना ही नहीं, ब्लड बैंक में तीसरा नेत्र भी लगाया गया था। इसके बावजूद खून के सौदागर अपना कारोबार बेखौफ कर रहे हैं। तीन दिन पहले अस्पताल सह अधीक्षक डॉ अतुल सिंह ने खून के दलाल को खुद पकड़ा और उसे अमहिया थाने के सुपुर्द किया था। लेकिन उसके खिलाफ पुलिस ने क्या कार्रवाई की, इसकी जानकारी किसी को नहीं लगी। ऐसे में पुलिस पर भी प्रश्रचिन्ह लग रहे हैं।
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