रीवा। नगर निगम आयुक्त मृणाल मीना के निगम की कमान संभालते के बाद से एक के बाद एक ऐतिहासिक निर्णय लिए जा रहे है। इसी कड़ी पर अब निगमायुक्त मृणाल मीना ने निगम के ठेकेदारों पर बड़ी कार्यवाही की है। दो ठेकेदारों को मनमानी कार्य करने पर ब्लैक लिस्टेड किया गया है। यह ठेकेदार निगम की कई चेतावनी के बाद भी मनमानी कर रहे थे, पहले तो ठेका लिया और बाद में काम नहीं कर रहे थे जिससे जनकार्य प्रभावित हो रहे थे। निगमायुक्त ने कड़ा एक्शन लेते हुए इन ठेकेदारों को ब्लैक लिस्टेड कर दिया। यह कार्यवाही कार्यपालन यंत्री एचके त्रिपाठी की अनुशंसा पर हुई। ब्लैक लिस्टेड ठेकेदारों में मेसर्स आरती इंटरप्राइजेज, प्रो. आरती पाण्डेय वार्ड क्र 8 रीवा, कार्यालयीन आदेश क्र 103 दिनांक 07.01.2022 मेसर्स एम.पी. कंस्ट्रक्शन कंपनी, प्रो. अशोक कुमार पाण्डेय हाल मुकाम वार्ड 9 आनन्द बोदाबाग, रीवा (म.प्र.), कार्यालयीन आदेश क्र 105 दिनांक 07.01.2022 शामिल है। अब यह दो वर्ष तक किसी भी निविदा में भाग नहीं ले सकेंगे। इस संबंध में रिपोर्ट भी केन्द्र सरकार को भेज दी गई है। नगर निगम रीवा क्षेत्रान्तर्गत निर्माण कार्यों की निविदायें संविदाकार द्वारा ई-टेण्डरिंग से लेकर अनावश्यक रूप से लेट करते हुये कार्य नहीं किया जाता है। जिससे जनहित प्रभावित होता है तथा निगम की छवि धूमिल होती है। जबकि संविदाकारों को निविदा स्वीकृत पश्चात निविदा प्रपत्र में विहित प्रावधानों के अनुरूप समय-समय पर सूचना दी जाती रही। फिर भी संविदाकार द्वारा जानबूझकर निर्धारित पीएमजी की राशि एवं निर्धारित मूल्य का स्टाम्प न जमाकर अनुबंध पूरित नहीं किया जाता हैं तथा किसी कदर अनुबंध पूरित करके कार्यादेश जारी होने के बाद भी कार्य प्रारंभ नहीं किया जाता है। जिससे आम नागरिकों के आक्रोश का सामना नगर निगम को करना पड़ता है और निगम की छवि धूमिल होती है। उक्त तथ्यों का संज्ञान लेते हुए ऐसे ठेकेदारों को ब्लैक लिस्ट कर पंजीयन निलंबन (2 वर्ष अर्थात 11.01.2022 से 10.01.2024 तक) हेतु संबंधी विभाग को लेख किया गया है। पंजीयन निलंबन की अवधि में संविदाकार निविदा प्रक्रिया में भाग लेने के लिये प्रतिबंधित रहेगा। इस आदेश के पंजीयन निलंबन आदेश जारी होने के पश्चात निविदा प्रपत्र क्रय करने के लिये प्रतिबंधित रहेगा। यदि पूर्व निविदा प्रपत्र क्रय कर लिया हो तो इस आदेश के पश्चात् वो निविदा भरने के लिये अपात्र रहेगा। पूर्व में भरी गई निविदा इस आदेश के पश्चात् स्वीकृत होती है तो वो विध शून्य होगी। यदि अनुबंधकर्ता या उसकी फर्म का कोई भी सदस्य किसी अन्य फर्म की भागीदारी में होगा तो वो फर्म भी नई निविदा प्रक्रिया में भाग लेने/प्रपत्र क्रय करने तथा नया अनुबंध करने के लिये प्रात्र नहीं होगा। उक्त व्यक्ति अथवा फर्म अथवा उसका कोई भी भागीदार नवीन पंजीयन कराने के लिये अपात्र होगा। उक्त अवधि में आप शासन के किसी भी विभाग में उक्त अवधि में कार्य करने की अर्हता नहीं रखेगें।
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