रीवा/जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने रीवा के बहुचर्चित राजनिवास दुष्कर्म मामले में आरोपियों के खिलाफ हुई बुलडोजर की कार्रवाई पर नोटिस जारी करके जवाब तलब किया है। एक आरोपी के भाई ने याचिका प्रस्तुत की है। उसने बताया कि उसके भाई से उसका कोई संबंध नहीं है। बटवारा हो चुका है, फिर भी सरकार ने उसकी निजी भूमि पर बने हुए मकान पर बुलडोजर चलाकर गिरा दिया। रीवा जिले के आकौरी, नईगढ़ी निवासी सरोज पांडेय की ओर अधिवक्ता नित्यानंद मिश्रा ने पक्ष रखा। उन्होंने कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता का भाई रीवा के बहुचर्चित राजनिवास दुष्कर्म कांड में सहअभियुक्त है। केवल इस कारण से प्रशासन ने याचिकाकर्ता की निजी भूमि पर बने हुए नियम अनुसार मकान पर बुलडोजर चला दिया। इससे याचिकाकर्ता बेघर हो गया है। याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि उसके भाई के साथ उसका बंटवारा हो चुका है। उसकी निजी संपत्ति में उसके भाई का कोई हिस्सा नहीं है। प्रशासन ने याचिकाकर्ता के घर पर बुलडोजर चलाने से पहले ना तो कोई नोटिस दिया और ना ही सुनवाई का मौका दिया।यह कृत्य संविधान के अनुच्छेद-21 जीवन का अधिकार व 300 (ए) संपत्ति का अधिकार का खुला उल्लंघन है। साथ ही यह कृत्य याचिकाकर्ता के मानवाधिकारों का भी हनन है। याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकार करने के बाद मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति नंदिता दुबे की एकलपीठ ने सरकार से सवाल किया है कि किस कानून के तहत याचिकाकर्ता का घर गिराया गया। इस सिलसिले में राज्य शासन को अपना जवाब चार सप्ताह के अंदर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
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