रीवा। नर्सिंग संवर्ग के कर्मचारियों की प्रतिनियुक्ति समाप्त हो गई है, फिर भी मेडिकल कॉलेज रीवा से नर्सों को मुक्त नहीं किया जा रहा है। शासन के निर्देश का भी पालन नहीं हो रहा है। रीवा में कई नर्सें ऐसी हैं जो दूसरे मेडिकल कॉलेज से आई थीं। सालों गुजर गए, लेकिन उन्हें यहां से मुक्त नहीं किया गया है। वहीं शासन के आदेश पर अन्य मेडिकल कॉलेज में अमल हो चुका है। ज्ञात हो कि संचालक चिकित्सा शिक्षा ने सभी मेडिकल कॉलेज के डीन को एक आदेश जारी किया था। आदेश में कहा गया था कि ऐसे कर्मचारी जिनकी प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त हो चुकी है। उन्हें संंबंधित चिकित्सा महाविद्यालयों के लिए कार्यमुक्त करने की कार्यवाही करने के निर्देश जारी किए गए थे। साथ ही यह भी कहा गया था कि ऐसे नर्सिंग संवर्ग के कर्मचारी जिनकी प्रतिनियुक्ति अवधि पूर्ण हो गई है। उन्हें कार्यमुक्त कर मूल विभाग में वापस किए जाने संबंधी कार्यवाही की जाए।
महाविद्यालय के डीन जो भी कार्रवाई करेंगे उस कार्रवाई से शासन को अवगत भी कराएंगे। शासन के इस आदेश पर रीवा को छोड़कर अन्य सभी मेडिकल कॉलेज में अमल हुआ। जानकारियां शासन को भेज दी गई। सालों से प्रतिनियुक्ति में जमें रीवा मेडिकल कॉलेज की नर्सों का खाका ही यहां तैयार नहीं हुआ है। यही वजह है कि शासन को कोई जानकारी भी नहीं भेजी गई है। शासन के प्रतिनियुक्ति अवधि समाप्त होने पर मुक्त करने के आदेश पर ग्वालियर में अमल शुरू हो गया है। आदेशजारी कर दिया गया है। रीवा से प्रतिनियुक्ति पर ग्वालियर मेडिकल कॉलेज विनोद पचौरी और सुरेन्द्र शर्मा भेजे गए थे। इन्होंने प्रतिनियुक्ति की अवधि का लंबा लाभ लिया। करीब 6 साल डटे रहे। अभी दो महीने का समय और बढ़वाया। अब इन्हें 31 मार्च को मुक्त करने का आदेश जारी कर दिया गया है।
वहीं यदि रीवा की बात करें तो यहां ग्वालियर चिकित्सा महाविद्यालय से नेहा सराफ और प्रियंका सराफ को प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया था। इसके अलावा और भी नर्सें हैं। जिनकी प्रतिनियुक्ति अवधि खत्म हो चुकी है लेकिन इन्हें मुक्त नहीं किया किया गया है। नर्सिग स्टाफ को मूल पदांकित संस्था से अन्य मेडिकल कॉलेज में सिर्फ दो साल के लिए प्रतिनियुक्ति पर भेजा गया था। दो साल से कईयों के 8 साल हो गए लेकिन उनकी सुध नहीं ली जा रही है। शासन ने प्रतिनियुक्ति की अवधि खत्म करने वाले नर्सों और स्टाफ को मूलपदांकित संस्था के लिए मुक्त करने के निर्देश पहले भी दिए लेकिन अमल नहीं हुआ। हर बार मेडिकल कॉलेज रीवा में शासन के निर्देशों को नजरअंदाज करने का खेल चल रहा है।
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