सीधी। मप्र के शहडोल जिले के ब्यौहारी न्यायालय परिसर में एक महिला को दौड़ा-दौड़ा पीटने का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुआ है। बताया जा रहा है मारपीट कोर्ट के एक वकील द्वारा की जा रही है। वीडियो में साफ दिख रहा है कि अधिवक्ता चेंबर से एक महिला भागती हुई बाहर निकल रही है पीछे एक प्रौढ़ व्यक्ति उसका हाथ पकड़ कर जम कर मारपीट कर रहा है। 51 सेकंड के इस वायरल वीडियो में महिला जोर-जोर से चीख रही है और वकील द्वारा लगातार घूसा मारा जा रहा है। कुछ वकील मना भी कर रहे हैं लेकिन वकील द्वारा लगातार मारपीटी की जा रही है। जानकारी अनुसार महिला एडीजे न्यायालय ब्यौहारी में पति से भरण पोषण का मामला विचाराधीन है। मारपीट करने वाले उसके पति के तरफ से वकील हैं। चर्चा है कि महिला द्वारा वकील को कुछ अपशब्द कहे गए जिससे आवेश में आकर वकील द्वारा मारपीट की गई। पति द्वारा द्वारा अलग किए जाने के बाद महिला द्वारा मानसिक नियंत्रण खोना उसकी कमजोरी हो सकती है लेकिन कानून के जानकार व्यक्ति जो न्यायदान करता उसे कानून हाथ में लेने से बचना चाहिए। वकील साहब को महिला द्वारा अभद्रता किए जाने उसे पुलिस के हवाले करना चाहिए लेकिन ऐसा न कर स्वयं दंड देना उचित नहीं कहा जा सकता। पीडि़त महिला भरण पोषण के मामले की सुनवाई में अकेली आई थी जिसके साथ एक दुधमुहां बच्चा था। जानकारी अनुसार महिला देर रात्रि तक ब्यौहारी थाने में बैठी रही। खबर लिखे जाने तक महिला की शिकायत पर मामला दर्ज नहीं किया गया था। हालांकि वायरल वीडियो की जागरण पुष्टि नहीं करता।
एडीजी का गैरजिम्मेदाराना जबाव
महिला की पिटाई का वीडियो जब शहडोल जोन के एडीजी डीसी सागर को उनके वॉट्स अप नंबर पर भेजा गया तो वह गैर जिम्मेदाराना जबाव देत हुए संबंधित को एसपी को इन्फार्म करने को कहा। जबकि उन्हें स्वयं मामले को संज्ञान में लेकर एसपी को निर्देशित किया जाना था। शहडोल एसपी अवधेश गोस्वामी को उनके मोबाइल नंबर 7049100460 में संपर्क साधने की कोशिश की गई लेकिन उन्होंने फोन ही नहीं उठाया। मैसेज का भी कोई जबाव नहीं दिया। महिला देर रात तक अकेले थाने में बैठी रहीं लेकिन टीआई अनिल पटले द्वारा प्रकरण दर्जन नहीं किया गया। मीडिया के सावाल पर सिर्फ यह कहा कि महिला की गलती नजर नहीं आती, अपराध दर्ज किया जायेगा। यहां सवाल यह है कि सरकार द्वारा महिला व बच्चों की सुरक्षा के लिए बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं लेकिन जिन पर महिला व बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है जब वही उपेक्षा करेंगे तो पीडि़ता जाये कहां और पीड़ा किसे सुनाए, विचारणीय पहलू है।
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