रीवा। पीजीबीटी कॉलेज में हुए भ्रष्टाचार की पोल आरटीआई से मांगी गई जानकारी मे खुल रही है। शिक्षा महाविद्यालय में पिछले 25 वर्षो से प्रतिनियुक्त पर पदस्थ प्राध्यापक पूरे मामले का मास्टर माइंड बताया जा रहा है। बताया गया कि प्राध्यापक का मूल पद हाईस्कूल प्राचार्य का था। जो अंगद के पाव की तरह लंबे समय से अपनी पहुंच के दम पर महाविद्यालय में जमा हुआ है। जानकारी दी गई कि शिक्षा महाविद्यालय में 14 मार्च 2016 से 18 मार्च 2016 तक आयोजित गैर विषय के शिक्षकों के प्रशिक्षण मेें प्राध्यापक को प्रशिक्षण प्रभारी बनाया गया था। जिसमें उक्त प्राध्यापक ने लम्बा खेल खेला । विभिन्न फर्जी बिलों में पेड बाई मी लिखकर महाविद्यालय में बिल लगाकर लाखों रुपये की राशि आहरित की गई। 18 मार्च 2016 को केशव टी स्टाल के नाम से कम्प्यूटर से प्रिंटेड फर्जी बिल बनाकर नौ हजार रुपये का चाय का बिल लगातर भुगतान लिया गया तो वहीं अराधना बुक स्टोर से हजारों रुपये का बिल पेड बाई मी बताकर भुगतान प्राप्त किया गया है। आरोप लगाए गए कि मामले में ट्रेजरी द्वारा बार बार आपत्ति लगाई गई थी। साथ ही ट्रेजरी द्वारा यह जानकारी भी चाही गई थी कि डॉ. पंकज नाथ मिश्रा को कितने रुपये तक भुगतान करने की वित्तीय अनुमति प्राप्त है। लेकिन सेटिंग के दम पर मामले की जांच नहीं हो सकी, जिसके बाद अब पूरे मामले की शिकायत ईओडब्लू से करने की तैयारी है।
पांच किलोमीटर दूर से आई चाय
आरटीआई से मिली जानकारी में बताया गया कि शिक्षा महाविद्यालय में बाबा होटल पी टी एस चौराहे से चाय नास्ता मंगाया गया तो वही न्यू जैन भोजनालय गांधी कॉम्प्लेक्स प्रकाश चौराहा से भी चाय, नास्ता, सहित लंच के नाम पर लाखों रुपये का भुगतान उक्त प्राध्यापक द्वारा प्राप्त किया गया है। आश्चर्य की बात यह है कि शिक्षा महाविद्यालय मे चल रहे प्रशिक्षण मे पांच किमी दूर पी टी एस चौराहा और प्रकाश चौराहा से चाय मगा कर पिलाई गई और फर्जी बिल बनाकर पेड बाइ मी लिखकर सभी राशि प्राप्त की गई। आरोप लगाया गया कि शिक्षा महाविद्यालय मे ंपेड बाई मी का यह खेल लम्बे समय से खेला जा रहा है जो अनवरत जारी है । इसके अलावा ट्रेवल के फर्जी बिलों की जानकारी सामने आई है। सूत्र बताते है कि प्राध्यापक द्वारा मानीटरिंग, शोध, प्रशिक्षण एवं भोज परीक्षा में जमकर फर्जीवाड़ा किया गया। पूरा मामले की जांच के लिए अब यह जानकारी ईओडब्लू को सौंपने की तैयारी की जा रही है।
कोर्ट का स्थगन बना आधार
बताया गया कि प्रतिनियुक्त में लंबे समय से पदस्थ प्राध्यापक कोर्ट के स्थगन को आधार बनाकर पदस्थ है। जबकि इनके कार्यकाल में एडूसेट कक्ष से कैमरा चोरी, प्रशिक्षणार्थियों से दुव्यवहार, फर्जी विभागाध्यक्ष बनने, गलत तरीके से समय मान वेतनमान का लाभ लेना, विवि पैनल में अनियमितता व भोज परीक्षा में वसूली सहित कई गंभीर आरोप लगे हैं।
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