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रीवा। नगर निगम के ठेकेदारों की धड़कने इन दिनों तेज है, वजह नगर निगम में चलने वाली उनकी मनमानी है। अभी तक ठेकेदार सत्ता के संरक्षण में बैठे चापलूस अधिकारियों के सह में जमकर मनमानी करते थे, ऐसे अधिकारियों और ठेकेदारों दोनो पर निगमायुक्त मृणाल मीना ने नकेल कसी है। इस प्रकार के ठेकेदारों के बीच हड़कम्प मचा हुआ है और वह निगम से आउट होते जा रहे हैं। वही वह ठेकेदार जो सही काम करने के बाद भी सत्ता के संरक्षण में रहने वाले अधिकारियो के चलते कार्य नही कर पाते थे वह काम कर रहे है। गुरुवार को निगमायुक्त ने एक बार फिर ठेकेदारों को ब्लैक लिस्टेड करने की कार्यवाही की। अब यह ठेकेदार आगामी 2 वर्ष तक खुद की फर्म व किसी अन्य फर्म के साथ भी काम नही कर सकेंगे। बता दें कि अंकुर एसोसिएट प्रो. सत्यार्थ प्रकाश पाठक, ग्राम- झलवार, तहसील- सेमरिया, जिला- रीवा (म.प्र.) को नगर पालिक निगम रीवा के क्षेत्रान्तर्गत (1) वार्ड क्रमांक 10 में राजेन्द्र मिश्रा के घर के पास से अशीष दुवे के घर के आगे तक नाली निर्माण कार्य, निविदा लागत रु. 8.56 लाख, की स्वीकृत की गई थी। कार्यालयीन पत्र क्रमांक 198 दिनांक 29.09.2021 निविदा दर स्वीकृत पत्र जारी किया जाकर 15 दिवस के अन्दर अनुबंध पूरित करने हेतु सूचित किया गया था, एवं स्मरण पत्र क्रमांक 282 दिनांक 24.11.2021 से भी अनुबंध पूर्ण करने का अवसर दिया गया किन्तु संविदाकार द्वारा अनुबंध पूरित नही किया गया और न ही कोई जबाव प्रस्तुत किया गया, जिससे उक्त निविदा को निविदा नियम शर्तो एवं म.प्र. नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 में विहित प्रावधानो के तहत निरस्त कर दिया गया है। (2) वार्ड क्रमांक 12 में सुरेश मिश्रा के घर से सुरेशचन्द्र पाण्डेय के घर तक कवर्ड आर.सी.सी. नाली निर्माण कार्य, अनुमानित लागत रु. 5.05 लाख की स्वीकृत की जाकर कार्यालयीन पत्र क्रमांक 195 दिनांक 29.09.2021 निविदा दर स्वीकृत पत्र जारी किया जाकर 15 दिवस के अन्दर अनुबंध पूरित करने हेतु सूचित किया गया था, एवं स्मरण पत्र क्रमांक 281 दिनांक 24.11.2021 से भी अनुबंध पूर्ण करने का अवसर दिया गया किन्तु संविदाकार द्वारा अनुबंध पूरित नही किया गया और न ही कोई जबाव प्रस्तुत किया गया, जिससे उक्त निविदा को निविदा नियम शर्तो एवं म.प्र. नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 में विहित प्रावधानो के तहत निरस्त कर दिया गया है।
वार्ड क्रमांक 12 में श्री शिवम गुप्ता के घर के पास से गैवी प्रसाद विश्वकर्मा एवं श्री उमेश वारी के घर तक नाली निर्माण कार्य, अनुमानित लागत रु. 10.54 लाख स्वीकृत की जाकर कार्यालयीन पत्र क्रमांक 253 दिनांक 03.11.2021 निविदा दर स्वीकृत पत्र ;स्व्।द्ध जारी किया जाकर 15 दिवस के अन्दर अनुबंध पूरित करने हेतु सूचित किया गया था, एवं स्मरण पत्र क्रमांक 294 दिनांक 02.12.2021 से भी अनुबंध पूर्ण करने का अवसर दिया गया किन्तु संविदाकार द्वारा अनुबंध पूरित नही किया गया और न ही कोई जबाव प्रस्तुत किया गया, जिससे उक्त निविदा को निविदा नियम शर्तो एवं म.प्र. नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 में विहित प्रावधानो के तहत निरस्त कर दिया गया है। (4) वार्ड क्रमांक 10 में आर.सी.सी. सड़क, नाली एवं पुलिया निर्माण कार्य श्री लालता प्रसाद पाण्डेय के घर के पास से श्री रामशुसील तिवारी तक (मंगल पाण्डेय पार्क के दक्षिण) अनुमानित लागत रु. 23.75 लाख स्वीकृत की जाकर कार्यालयीन पत्र क्रमांक 254 दिनांक 03.11.2021 निविदा दर स्वीकृत पत्र ;स्व्।द्ध जारी किया जाकर 15 दिवस के अन्दर अनुबंध पूरित करने हेतु सूचित किया गया था, एवं स्मरण पत्र क्रमांक 296 दिनांक 02.12.2021 से भी अनुबंध पूर्ण करने का अवसर दिया गया किन्तु संविदाकार द्वारा अनुबंध पूरित नही किया गया और न ही कोई जबाव प्रस्तुत किया गया, जिससे उक्त निविदा को निविदा नियम शर्तो एवं म.प्र. नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 में विहित प्रावधानो के तहत निरस्त कर दिया गया।
दो वर्षों के लिए ब्लैक लिस्ट
संविदाकार के उक्त कृत्य से जनहित प्रभावित हुआ है, और निगम की छवि धूमिल हुई है। उक्त कृत्य कदाचार की श्रेणी में आता है। अतः म.प्र. कार्य विभाग मेन्यूअल एवं नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 में विहित प्रावधानों के तहत 2 वर्ष हेतु (25.01.2022 से 24.01.2024 तक) के लिये ब्लैक लिस्ट (काली सूची में अंकित) किया गया है। (“पंजीयन निलम्बन की अवधि में संविदाकार निविदा प्रक्रिया में भाग लेने के लिये प्रतिबंधित रहेगे। पंजीयन निलंबन आदेश जारी होने के पश्चात् निविदा प्रपत्र क्रय करने के लिये प्रतिबंधित रहेगे। यदि पूर्व निविदा प्रपत्र क्रय कर लिया हो तो इस आदेश के पश्चात् वो निविदा भरने के लिये अपात्र रहेगे। पूर्व में भरी गई निविदा इस आदेश के पश्चात् स्वीकृत होती है तो वो विध शून्य होगी। यदि अनुबंधकर्ता या उसकी फर्म का कोई भी सदस्य किसी अन्य फर्म की भागीदारी में होगा तो वो फर्म भी नई निविदा प्रक्रिया में भाग लेने/प्रपत्र क्रय करने तथा नया अनुबंध करने के लिये प्रात्र नहीं होगे। उक्त व्यक्ति अथवा फर्म अथवा उसके कोई भी भागीदार नवीन पंजीयन कराने के लिये अपात्र होगे। उक्त अवधि में संबंधित शासन के किसी भी विभाग में कार्य करने की अर्हता नहीं रखेगें।”)