रीवा। कई दिनों से त्रि स्तरीय पंचायत को लेकर प्रत्याशियों और मतदाताओं के बीच इस बात का संशय था कि चुनाव होगा या फिर कहीं न्यायालय से स्थगन आदेश न आ जाये। न्यायालय से तो स्थगन आदेश नहीं आया लेकिन कैबिनेट सरकार ने ही चुनाव पर रोक लगा दी। रविवार को कैबिनेट से निकले फरमान में एक ओर जहां प्रत्याशियों को मायूस कर दिया। वहीं दूसरी ओर पंचायती चुनाव को लेकर लोगों के उत्साह को भी हताश कर दिया।सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर ओबीसी आरक्षण को लेकर कांगे्रेस और भाजपा में खींचातानी चल रही थी। दोनो ही अपने बोट बैंक को बचाने एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहे। प्रदेश सरकार एक ओर चुनावी घोषणा कर रही थी तो वहीं दूसरी ओर आरक्षण को लेकर मंथन करती रही। दो साल से चुनाव का इंतजार कर रहे पहलवान चुनावी घोषणा होते ही मैदान में कूद गये। प्रचार-प्रसार पर जोर लगाते हुये खर्च पर उतर गये। मतदाओं के बीच शराब और गांजे का दौर चलने लगा। प्रत्याशी अपने-अपने जीत का दावा भी करने लगे। रविवार को अचानक प्रत्याशियों पर गाज सी गिर गई जिस वक्त कैबिनेट द्वारा इस बात की घोषणा कर दी गई कि पंचायत चुनाव पर रोक लगाई जाती है। चुवान पर लगे रोक की खबर जंगल में लगी आग की तरह प्रदेश में फैल गई और सरकार को ही कोसना शुरु कर दिये। चुनावी घोषणा के साथ ही सरकार ने यह शर्त रखी थी कि किसी भी प्रत्याशी पर बिजली बिल बकाया नहीं होनी चाहिये। यहां तक कि कोरोना काल के समय दी गई छूट को भी वसूले के निर्देश दे दिये। बिजली वि ााग में भी मनमानी शुरु हो गई। शासन का निर्देश था कि प्रत्याशी पर बिजली बिल बकाया नहीं होना चाहिये। लेकिन बिजली विभाग प्रत्याशी तो क्या उसके खानदान के भी बकाया बिल राशि जमा करवाये एनओसी जारी नहीं की। कई प्रत्याशी तो ऐसे थे जिनके परिवार को लोगों के बिल लंबे अंतराल से बकाया थे। उनको भी प्रत्याशियों ने जमा किया, यहां तक की अपने खेत तक गिरवी रख दिये। जब चुनाव पर रोक ही लगानी थी तो सरकार को सिंबल देने के पहले या फिर फार्म जमा करने के पहले ही रोक लगा देनी थी। प्रत्याशियों ने फार्म क्या जमा किया उनके सिंबल भी मिल गया। सिंबल मिलते ही प्रत्याशी हजारों रुपये खर्च कर मतदाताओं के बीच चुनाव चिन्ह पहुंचाने के लिए पंपलेट छपवा लिये। पंपलेट मतदाताओं के बीच पहुंचे उसके पहले ही चुनाव में रोक लगने से पंपलेट का बंडल घर में सिमट कर रह गया। अब यह घर में पड़ा-पड़ा कब तक शो ाा बढ़ता है इस बात की कोई नियत सीमा नहीं है। हालांकि अभी भी प्रत्याशियो को एक आस है कि शायद चुनाव पर रोक हट जाए लेकिन फिलहाल वर्तमान स्थिति को देख यही माना जा रहा है अब पंचायत चुनाव पर रोक लग ही गई है। लगभग रोक कैबिनेट के घोषणा के बाद मानी ही जा रही है।
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