सभी ताजा खबरें पढ़ने के लिए कृपया जरूर जुड़े🙏
Join Now
रीवा। इस वर्ष श्रावण मास 14 जुलाई से प्रारम्भ होंगे। इसके पहले 9 जुलाई से शुभ विवाह आदि मुहुर्त पर विराम लग जायेगा। चूंकि 10 जुलाई यनि आज देवशयनी एकादशी है। इस तिथि को भगवान विष्णु चार माह के लिए योग निद्रा पर चले गए और अब इसी के चलते शुभ कार्य नहीं होंगे। एकादशी के 3 दिन बाद 14 जुलाई से श्रावण मास लग जायेगा। यह माह भगवान शिव जी की कृपा पाने के लिए बेहद खास माना गया है, जिसका पहला सोमवार 18 जुलाई को पड़ेगा। ज्योतिषाचार्य पं. महाकल नर्मदेश्वर शास्त्री ने बताया कि श्रावण माह भगवान शिव जी की पूजा-अर्चना के लिए बेहद खास माना गया है, जो 14 जुलाई से प्रारम्भ होकर 12 अगस्त को समाप्त होगा। इस बीच कुल 4 सोमवार पड़ेंगे। पहला श्रावण सोमवार 18 जुलाई को तथा अंतिम सोमवार 8 अगस्त को पड़ेगा।
पुराणों में 4 माहों का विशेष महत्व बताया गया है। यह माह क्रमश: कार्तिक, माघ, वैशाख और श्रावण मास हैं। मान्यता है कि जब जगत नियंत्रा भगवान विष्णु शयन हेतु राजा बलि के लोक, पाताल में गमन करते हैं तब जगत के पोषण की जिम्मेदारी भगवान शिव पर आती है। यही से प्रारंभ होता है श्रावण मास। पौराणिक मान्यता यह भी है कि श्रावण मास के दौरान भगवान शिव कैलाश पर्वत से आकर पृथ्वी पर विचरण करते हैं। श्रावण मास लगते ही कांवरियों की कांवर यात्रा प्रारंभ हो जाएगी। साथ ही शुरू हो जाएंगे भोलेनाथ के भक्तों द्वारा उन्हें रिझाने के जतन। श्रावण मास में शिव अभिषेक तथा पार्थिव शिवलिंग पूजन का विशेष महत्व माना गया है। पौराणिक मान्यताएं हैं कि इनमें से कोई भी एक कृत्य श्रावण मास में संपन्न करने से वर्षपर्यंत दुख दारिद्र से छुटकारा प्राप्त होता है।
श्रावण में करें शिव का अभिषेक
रुद्राभिषेक में रूद्र पाठ अर्थात शुक्ल यजुर्वेदीय रुद्राष्टाध्याई के पाठ के साथ-साथ भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। शिवलिंग पर किए गए अभिषेक से अनेक मानवीय समस्याओं का समाधान प्राप्त हो जाता है। जल के अतिरिक्त कतिपय विशिष्ट मनोकामनाओं की पूर्ति हेतु विशेष द्रव्यों का अभिषेक में प्रयोग होता है।
००००००००००००००००००००