रीवा। छात्रहित का ढिंढोरा पीटने वाले उच्च शिक्षा विभाग ने जिले के छात्र-छात्राओं को छात्रावास की सुविधा से वंचित कर रखा है। विकास की एक लम्बी यात्रा कर चुके विभाग के पास रीवा जिले में मात्र एक छात्रावास है, जो कि जीडीसी कैम्पस में महिला छात्रावास के नाम से जाना जाता है। इसके अलावा शहर के उत्कृष्ट शासकीय ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय में भी एक छात्रावास लगभग बन चुका है, परंतु उसका लाभ अभी विद्यार्थियों को नहीं मिल रहा है। ज्ञात हो कि जिले के सरकारी कॉलेजों मेंं 20 हजार से अधिक छात्र अध्ययनरत् हैं, जिन्हें विभाग ने छत मुहैया कराने के लिए अभी तक कोई सार्थक प्रयास नहीं किए। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए दूर गांव या दूसरे जिलों से रीवा पहुंचने वाले छात्र-छात्राओं के लिए यहां रहने की कोई सुविधा विभाग ने नहीं दी है। इसके चलते दूर से आने वाले गरीब छात्र-छात्राओं को किराये के मकानों का सहारा लेना पड़ता है, जहां छात्र-छात्राओं की मजबूरी का फायदा भी मकान मालिकों द्वारा उठाया जाता है। यही नहीं, रहने की सुविधा न मिलने के कारण कई हुनरमंद छात्र-छात्रा उच्च शिक्षा से महरूम हो रहे हैं। बता दें कि रीवा जिले में उच्च शिक्षा देने वाले 16 सरकारी कॉलेज विभाग ने स्थापित किये हैं। यानी नियमानुसार प्रत्येक कॉलेज के पास कम से कम एक-एक महिला एवं पुरुष छात्रावास अनिवार्य रूप से होना चाहिए। यह बात और है कि इनमें से कुछ सरकारी कॉलेजों के पास खुद का भवन ही नहीं है, छात्रावास सुविधा तो दूर की बात है
आजाक विभाग के पास हैं 4 छात्रावास
बताया जाता है कि विभाग द्वारा देय जिले में एकमात्र छात्रावास के अलावा आजाक विभाग के लगभग 4 छात्रावास हैं, जिनमें केवल अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्रों को रहने की सुविधा है। ऐसी स्थिति में पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग के छात्र-छात्राओं को पढऩेे के लिए छत की तलाश करनी पड़ती है।
इन कॉलेजों में सर्वाधिक मांग
अधिकाधिक छात्र संख्या वाले कॉलेजों में सर्वप्रथम टीआरएस कॉलेज का नाम शामिल है, जिसमें बाहरी छात्र-छात्राओं की संख्या बहुत है। इसलिए उक्त कॉलेज को महिला एवं पुरुष छात्रावास की आवश्यकता है। ऐसे ही जीडीसी कॉलेज, मॉडल साइंस कॉलेज, न्यू साइंस कॉलेज में विद्यार्थियों की संख्या को देखते हुए छात्रावास की सुविधा विभाग को प्राथमिकता के आधार पर देनी चाहिए।
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