रीवा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गेंहू उपार्जन केंद्रों में किसानों की फजीहत हो रही है। अधिकतर खरीदी केंद्रों में कैंटीन तो दूर, पानी तक की व्यवस्था नहीं है। ऐसे में चिलचिलाती धूप में किसान भूख-प्यास से तड़प रहे हैं। सबसे अधिक परेशानी अधिकारियों के मनमानी रवैये के चलते बढ़ी है। सुबह 10 बजे से शुरु होने वाली खरीदी मनमानी समय में शुरु हो रही है। जिससे किसानों को खरीदी केंद्रों में अपनी उपज के साथ अधिकारियों का इंतजार करना पड़ रहा है। गौरतलब है कि शासन के निर्देशानुसार गेंहू खरीदी केंद्रों में किसानों के लिए पेयजल, प्राथमिक उपचार किट, पंखा व छलना, विश्राम स्थल, शिकायत व सुझाव पुस्तिका, स्वल्पाहार सुविधा, गुणवत्ता परीक्षण सामग्री, समाचार पत्र व पत्रिकाएं, अस्थायी सुविधाघर, बैंक खातों में सीधे भुगतान की सुविधा आदि शामिल किया गया है। लेकिन इनमें से ज्यादातर सुविधाएं जिले के खरीदी केंद्रों में नहीं मिली। यहां तक की पानी एवं खाने की भी व्यवस्था नहीं है। ऐसे में किसानों को भरी दोपहर प्यास एवं भूख से जूझना पड़ रहा है। वहीं पंखा एवं चलना की व्यवस्था नहीं की गई है। जिससे किसानों का गेंहू सफाई के अभाव में खरीदी केंद्रों में ही डंप पड़ा रह जाता है। जिले के कई खरीदी केंद्र तो ऐसे हैं, जहां पर टीन शेड तक नहीं। ऐसे में वहां के कर्मचारी के साथ-साथ किसानों को खुले आसमान के नीचे धूप में बैठना पड़ रहा है।
नहीं मिल रहे ऑपरेटर व प्रभारी
बताया गया है कि कई ऐसे खरीदी केंद्र हैं, जहां पर किसान गेंहू बेचने तो पहुंचे है, परंतु यहां पर ऑपरेटर व प्रभारी नहीं मिले हैं। जिससे किसानों को बैरंग लौटना पड़ा है। इसके पीछे की वजह खरीदी केंद्रों छाव समेत पानी की व्यवस्था न होना माना जा रहा है। ऐसे में कर्मचारियों को पानी एवं नाश्ता करने के लिए कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है।
खरीदकर पी रहे पानी
जिले के करहिया मंडी समेत अन्य खरीदी केंद्रों में पानी तक की व्यवस्था समुचित व्यवस्था नहीं है। किसानों को बाजार से पानी खरीद कर पीना पड़ रहा है। इसके लिए उन्हें दिन भर में 100 से 200 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। जबकि शासन के नियमानुसार खरीदी केंद्र में शुद्ध पीने का पानी एवं स्वल्पाहार की व्यवस्था जिला प्रशासन को करानी थी।
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