रीवा। यदि अब सड़कों पर गौवंश घूमते मिले तो पालकों के खिलाफ पशु क्रूरता का मामला दर्ज होगा। कलेक्टर ने नगर निगम से लेकर पंचायतों तक के अधिकारियों के कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। 15 दिनों में कम से कम 10 -10 प्रकरण पशु क्रूरता अधिनियम के तहत थानों मेंं दर्ज कराने के निर्देश जारी किए गए हैं। पशुओं की पहचान टैग से करने को कहा गया है। ज्ञात हो कि ऐरा प्रथा पर रोक लगी है। इसके बाद भी पशु पालक गौवंशों को खुला छोड़ रहे हैं। सड़कों पर इनकी मौजूदगी से सड़क दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं। किसानों की फसले भी आवारा मवेशी खराब कर रहे हैं। सड़क हादसों को रोकने और गौवंशों के ऐरा छोडऩे पर रोक लगाने के लिए कलेक्टर ने सख्त निर्देश जारी किए हैं। आदेश में पशु पालकों और मालिकों के खिलाफ थाना में टैग की मदद से एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं। आदेश में कहा गया है कि राष्ट्रीय राजमार्ग एवं जिले के अन्य व्यस्त मार्गों में अत्यधिक संख्या में गौवंश घूमते रहते हैं। इनसे आए दिन जनहानी एवं पशुहानी के साथ ही कृषकों की फसल भी नष्ट होती है। जिला प्रशासन को ऐसीआए दिन शिकायतें मिलती हैं। जिले में ऐरा प्रथा पूर्णत: प्रतिबंधित है। ऐसे में अब नियमों का उल्लंघन करने पर पशु मालिकों के ऊपर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
वर्ना गौशालाओं ही छिन जाएगी
मुख्यमंत्री गौ सेवा योजना अंतर्गत संचालित गौशालाओं में पूर्व से रखे हुए गोवंश को रखें तथा गौशाला से बाहर न छोड़ें। ग्राम एवं उसके आसपास के ग्रामों के गौवंश, नगर निगम, नगर पंचायत से भेजे गए गौवंश को भी अनिवार्य रूप से क्षमता अनुसार गौशाला में रखना होगा। नियम का पालन न करने पर गौशाला का संचालन का दायित्व किसी स्वयंसेवी संस्थाओं को या महिला स्व सहायता समूह को दे दिया जाएगा।
टैग से मालिक का पता लगाएं, दर्ज कराएं एफआईआर
आदेश में कलेक्टर ने कहा है कि पशुओं का पशु मालिकों द्वारा बांध कर रखा जाना चाहिए। अधिकांश पशुओं में पशुपालन विभाग द्वारा टैङ्क्षगग का कार्य किया जाता है। जिनका नंबर उनके मालिक के नाम पर पंजीकृत है। ऐसी स्थिति में यदि आपके क्षेत्र अंतर्गत टैग पशु आवारा पाए जाते हैं, तो उनके मालिकों के ऊपर पंचायत अधिनियम के तहत अर्थदंड एवं दंडात्मक कार्रवाई करना सुनिश्चित किया जाए। बार बार एक ही पशु मालिक के पशु ऐरा पाए जाते हैं तो उनके विरुद्ध क्षेत्र के पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज कराएं।
घायल पशुओं को अस्पताल पहुंचाएंगे पंचायत
कलेक्टर ने कहा है कि पीएम सड़क में निराश्रित गौवंश दुर्घटना का करण बनते हैं इससे मानव के साथ साथ पशुओं को भी गंभीर चोट लगती है इस संबंध में सूचना प्राप्त होने पर निकटतम पशुपालन विभाग के अधिकारियों को सूचना देकर पशुओं का तत्काल समुचित उपचार कराया जाए। यदि लंबे समय तक इलाज की आवश्यकता हो तो निकटतम गौशाला में पशुओं को प्रतिस्थापित करने का दायित्व ग्राम पंचायत का होगा।ग्राम पंचायत के क्षेत्र में यदि निराश्रित पशुओं की मृत्यु होती है तो शव का निष्पादन पंचायत के अंतर्गत निर्धारित स्था में गड्ढा खोदकर किया जाना सुनिश्चित करें।
अवैध बाड़े हटाए जाएं
कृषक अपनी फसलों को बचाने के लिए अवैध बाड़ों का निर्माण कर लेते हैं। प्राय: देखने को आया है कि इन अवैध बाड़ों में आवश्यकता से अधिक पशुओं को कई दिनों तक रखा जाता है। उनके समुचित आहार और पानी की व्यवस्था नहीं की जाती है। प्रतिकूल प्राकृतिक प्रकोप से बचाव की समुचित व्यवस्था नहीं होती। इसके कारण पशुओं की अकाल मृत्यु हो जाती है। ऐसी स्थिति में ग्राम सरपंच सचिव का दायित्व होगा कि वह ऐसे अवैध बाड़ा को तत्काल हटाएं।
सड़कों से गौवंश को गौशालाओं में भेजना होगा
जिले में संचालित राष्ट्रीय एवं अन्य राजमार्गों में पेट्रोलिंग वाहन की सुविधा उपलब्ध है। जिन का दायित्व होगा कि वह राजमार्गों में एकत्र होने वाले निराश्रित पशुओं को हटाकर उन्हें निकट की गौशाला में प्रतिस्थापित करना सुनिश्चित करें। जनपद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी, नगर पंचायत के सीएमओ क्षेत्र के तहसीलदार, अनुविभागीय दंडाधिकारी भी अपने क्षेत्र का भ्रमण कर ऐसी सूचना मिलने पर दंडात्मक कार्रवाई करें।
इन अधिकारियों को सौंपी गई जिम्मेदारी
नगर पालिका निगम एवं नगर पंचायत क्षेत्र में नगर पालिका के स्वास्थ्य अधिकारी एवं दरोगा, पुलिस एवं यातायात के क्षेत्रीय अधिकारी एवं कर्मचारी, पशु पालन विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी एवं कर्मचारी, जनपद एवं ग्राम पंचायत स्तर पर अनुविभागीय अधिकारी एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी, पशुपालन विभाग के क्षेत्रीय अधिकारी एवं कर्मचारी, ग्राम पंचायत के सचिव, रोजगार सहायक 15 दिवस के अंदर अपने क्षेत्रों में कम से कम 10 गौवंशों के टैग नंबर से पशु मालिकों की पहचान करेंग। उनके विरुद्ध पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 की धारा 11 एवं आईपीसी की धारा 429 आदि के तहत प्रकरण पंजीबद्ध कराया जाएगा।