रीवा। श्याम शाह मेडिकल कॉलेज में पदस्थ लिपिक के फर्जी निुयक्ति की शिकायत पर अब तक जांच पूरी नहीं हुई। कमिश्नर ने भी कई मर्तबा रिमाइंडर भेजा लेकिन जांच रिपोर्ट नहीं भेजी गई। अब तक आधा दर्जन शिकायतें हो चुकी है। हद तो यह है कि इतनी शिकायतों के बाद भी लिपिक को मेडिकल कॉलेज में स्थापना की जिम्मेदारी दे दी गई है। इन्हें हटाने के लिए नर्सों ने विरोध भी किया था, विरोध और शिकायतों को भी नजर अंदाज कर दिया गया। ज्ञात हो कि श्यामशाह मेडिकल कालेज में पदस्थ कर्मचारी विनोद सेन पुत्र भैयालाल सेन की नियुक्ति दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के रूप में 10 जुलाई 1986 को तत्कालीन कार्यवाहक अधिष्ठाता डॉ. टीएस त्रिपाठी ने की थी। यह नियुक्ति महज 89 दिन के लिए कलेक्टर दर पर की थी।
चार साल के अंदर ही 4 अक्टूबर 1990 को कार्यवाहक अधिष्ठाता ने दैनिक वेतनभोगी की नियुक्ति निम्न श्रेणी लिपिक के पद पर स्थाई तौर पर कर दी। मामला प्रकाश में आने के बाद इसकी शिकायत आयुक्त चिकित्सा शिक्षा विभाग से की गई। भोपाल तक पहुंची शिकायत के बाद मेडिकल कॉलेज के डीन को जांच के लिए पत्र लिखा गया। इसी फर्जी नियुक्ति की शिकायत कमिश्नर रीवा संभाग रीवा से भी की गई थी। इस मामले में भी कमिश्नर रीवा संभाग रीवा ने जांच के निर्देश दे दिए थे। कमिश्नर ने कई मर्तबा डीन को पत्र लिखकर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा लेकिन एक भी पत्र का जवाब प्रस्तुत नहीं किया गया। अब पूरा मामला फाइलों में दबा दिया गया है। इतना ही नहीं जिस लिपिक को विवादों के कारण डीन कार्यालय से हटाया गया था। अब उसी लिपिक को वापस स्थापना की जिम्मेदारी सौंप दी है।
जांच में हीलाहवाली
लिपिक की अवैध नियुक्ति को लेकर भोपाल सहित रीवा कमिश्नर ने भी जांच के निर्देश दिए हैं। हालांकि इस मामले में श्याम शाह मेडिकल कॉलेज प्रबंधन हीलाहवाली कर रहा है। अब तक पुरानी ही जांच रिपोर्ट कमिश्नर को प्रस्तुत नहीं की गई है। इसके अलावा भोपाल से मांगी गई जानकारी को लेकर भी लापरवाही बरती जा रही है। लिपिक के खिलाफ कई जांच पेडिंग में है।
अब तक कितने पहुंचे जांच के पत्र
– संयुक्त आयुक्त ने 29 नवंबर 2020को 10 दिन में जांच प्रतिवेदन मांगा गया।
– कमिश्नर ने 14 अक्टूबर को पत्र लिखकर 15 दिवस में रिपोर्ट मांगी।
– 24 जुलाई 2020 को संचालक चिकित्सा शिक्षा ने 7 दिन में जांच प्रतिवेदन मांगा।
– 26 सितंबर 2020 को कमिश्नर ने डीन से 15 दिन में रिपोर्ट मांगी।
– 18 दिसंबर 2020 को डिप्टी कमिश्नर ने 7 दिवस में जांच कर रिपोर्ट मांगी।
– 31 अगस्त 2021 को कमिश्नर रीवा ने पत्र क्रमांक तीन/स्था/1/2021/2538 में 7 दिन में रिपोर्ट मांगी है।