रीवा। स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार के कितने भी दावे सरकार कर ले लेकिन सुधार नहीं हो पा रहा है, आलम यह है कि करोड़ो खर्च के बाद भी मरीजों को दवा तक अस्पतालों में नहीं दी जा रही है। इतना ही नहीं मरीज के दवा मांगने पर उसके साथ कर्मचारी अभद्रता पर उतारू हो जाते हैं। ऐसा ही एक मामला आयुर्वेद कॉलेज अस्पताल में सामने आया है। जहां मरीज के दवा मांगने पर अस्पताल के कर्मचारी के ऊपर अभद्रता का आरोप लगाते हुए वृद्ध मरीज ने अस्पताल परिसर में हंगामा मचाते हुए जमकर खरी-खोटी सुनाई है। हालांकि बाद में अस्पताल कर्मियों ने ही वृद्ध को शांत किया।
क्या है मामला…
ग्राम जोन्ही निवासी 70 वर्षीय सुरेन्द्र सिंह बघेल ने बताया कि वह शुक्रवार को निपानिया आयुर्वेद चिकित्सालय में दवा कराने गए थे। जहां उनके द्वारा चिकित्सक डॉ.रामरक्षा शुक्ला को दिखाया गया। उनके द्वारा सात दिवस की दवा लिखी गई। जब वह दवा काउंटर पर गए तो उनको कम दवा दी गई, जिसके बाद दवा मात्र 4 दिन की दी गई जबकि लिखा 7 दिन की दवा गई थी। सुरेन्द्र सिंह के अनुसार जब उन्होंने कर्मचारी से कम दवा देने का कारण पूछा तो उसने अभद्रता करना शुरु कर दिया और कहा कि शुक्र करो कि जितनी दवा फ्री में दी जा रही है वह भी बहुत है। उसने यह भी कहा कि जहां जाकर शिकायत करनी हो करो दवा नहीं मिलेगी। आदेश इतनी ही दवा देने कहा है। बताया जाता है कि इसी बात को लेकर दोनो के बीच बहशबाजी शुरु हो गई।
4 दिन का लगा है पर्चा
सुरेन्द्र सिंह ने बताया कि दवा काउंटर पर पर्चा लगा हुआ है कि दवा चार दिन से अधिक की नहीं मिलेगी। दूर-दराज से लोग आते है और फिर चिकित्सक 7 दिन की दवा लिखते ही क्यों है यदि दवा चार दिन की ही दी जानी है। उन्होंने कहा कि कर्मचारी ने कहा कि यह अस्पताल अधीक्षक का मौखिक आदेश है। कई किमी. दूर से आने वाले लोगो को इस तरह से परेशान किया जा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि कर्मचारी ने उनके साथ उम्र का भी लिहाज न करते हुए अभद्रता की है।
बाहर से खरीदने पर करते है मजबूर
वहीं सूत्र बताते हैं कि आयुर्वेद कॉलेज में बाहर से दवा खरीदने के लिए मरीजों को मजबूर किया जाता है। आयुर्वेद कॉलेज के ठीक सामने एक बड़े पुराने संचालित मेडिकल कॉलेज में मरीजों को पता देकर भेजा जाता है, यह भी कहा जाता है कि दवा वहीं मिलेगी। चर्चा है कि चिकित्सकों व मेडिकल संचालक के बीच बड़ी साठगांठ है जिसका नुकसान मरीजों को उठाना पड़ता है और वह भटक रहे हैं।