रीवा/सीधी/सिंगरौली/सतना/अनूपपुर/उमारिया/ शहडोल। जिले के 4 सरकारी महाविद्यालयों के पास 2एफ और 12 बी की मान्यता नहीं है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग द्वारा तय मान्यता न होने पर संबंधित महाविद्यालयों का नैक मूल्यांकन नहीं हो सकता। फिर भी उच्च शिक्षा विभाग ऐसे सभी महाविद्यालयों को नैक मूल्यांकन कराने हर माह निर्देशित कर रहा है। संंबंधित महाविद्यालयों के पास स्वयं का भूमि-भवन, नियमित स्टॉफ व अन्य इंफ्रास्ट्रक्चर न होने पर उक्त मान्यता नहीं है। लिहाजा सरकार ऐसे महाविद्यालयों को मूलभूत सुविधा देने के बजाये हर साल नये महाविद्यालय खोलने की घोषणा करती जा रही है।
गौरतलब है कि अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा क्षेत्रीय कार्यालय रीवा अंतर्गत 73 सरकारी महाविद्यालय हैं। रीवा जिले में 15 सरकारी महाविद्यालय हैं, जिनमें से 4 महाविद्यालयों के पास भूमि-भवन नहीं है। ऐसे ही एडी रीवा क्षेत्र अंतर्गत भूमि-भवन विहीन सरकारी महाविद्यालयों की संख्या 32 है। इन सभी महाविद्यालयों में मूलभूत सुविधा न होने से शैक्षणिक गुणवत्ता खासी प्रभावित हो रही है। लिहाजा ऐसा भी प्रतीत होता है कि सरकार ने इन महाविद्यालयों को सिर्फ कागज में दिखाने के लिए खोला है।
यूजीसी से नहीं मिल रही आर्थिक मदद
बताते हैं कि इन महाविद्यालयों को आज तक यूजीसी से किसी तरह का अनुदान भी नहीं मिला। चंूकि संबंधित महाविद्यालयों के पास 2एफ और 12बी की मान्यता नहीं है, इसलिए यूजीसी से संबंधित महाविद्यालयों को किसी तरह की आर्थिक मदद नहीं मिल पा रही। इधर वर्षों से इन महाविद्यालयों को राज्य शासन की ओर से भी ठेंगा ही मिला है।
बैठकें सिर्फ कागजों तक सीमित
विगत माह उच्च शिक्षा विभाग की एक बैठक भोपाल में हुई। विभाग के मुखिया की अध्यक्षता में हुई बैठक में भी नैक मूल्यांकन संबंधी चर्चा हुई। बैठक में सभी महाविद्यालयों की एसएसआर रिपोर्ट नैक बोर्ड भेजने के लिए कहा गया। अब चूंकि भूमि-भवन विहीन महाविद्यालयों के पास 2एफ और 12बी की मान्यता ही नहीं है। ऐसे में वह नैक बोर्ड को एसएसआर रिपोर्ट भेजने की पात्रता ही नहीं रखते। फिर भी वरिष्ठ अधिकारी इन कमियों की अनदेखी सालों से करते आ रहे हैं। हाल ही में विभाग ने सभी कॉलेजों को 2एफ और 12बी की मान्यता के लिए यूजीसी के समक्ष आवेदन भी करने के लिए कहा है। विभाग के इस निर्देश का पालन करने में भी कॉलेज प्रबंधन हिचक रहे हैं।
इन महाविद्यालयों का बुरा हाल
रीवा जिले में शासकीय महाविद्यालय मनगवां को 2एफ, 12बी की मान्यता नहीं है। हालांकि महाविद्यालय प्रबंधन को जिला प्रशासन ने 5 एकड़ भूमि आवंटित की है। इसी तरह शासकीय महाविद्यालय सेमरिया व गोविंदगढ़ भी 2एफ, 12बी की मान्यता से विहीन है। नईगढ़ी महाविद्यालय का अपना भवन बन तो गया है लेकिन आवेदन कार्यवाही पूरी न होने से इस महाविद्यालय को भी 2एफ और 12बी की मान्यता नहीं मिली है। इस फेहरिस्त में एक और नया नाम नष्टिगवंा कॉलेज का जुड़ गया है।
सीधी के 2 महाविद्यालयों को 2एफ की मान्यता नहीं
सीधी जिले में 8 सरकारी महाविद्यालय बचे हैं। इनमें से 2 महाविद्यालयों के पास स्वयं का भवन न होने के कारण 2 एफ की मान्यता नहीं है। इनमें शासकीय महाविद्यालय सिंहावल व कुसुमी महाविद्यालय का नाम उल्लेखनीय है। मूलभूत सुविधा न होने के कारण ही सीधी के ही सरकारी विधि महाविद्यालय की मान्यता बीसीआई ने रद्द कर दी। फिर भी विभाग ने उक्त महाविद्यालय की व्यवस्था सुधारने से मुंह मोड़ रखा है।
————
इन 32 कॉलेजों को नहीं है 2एफ की मान्यता
रीवा- गोविंदगढ़, मनगवां, नष्टिगवंा, सेमरिया स्थित सरकारी कॉलेज
सतना- रामनगर, रामपुर बाघेलान, उचेहरा, अमदरा, बदेरा, बिरसिंहपुर, नादन, ताला
सीधी- कुसुमी, ङ्क्षसहावल
सिंगरौली- कन्या सिंगरौली, कन्या बैढऩ, सर्रई, माड़ा, चितरंगी, रजमिलान, बरगवां स्थित सरकारी कॉलेज
शहडोल- गोहपारू, कशवाही
उमरिया- मॉडल कॉलेज, मानपुर, चंदिया, नौरोजाबाद स्थित सरकारी कॉलेज
अनूपपुर- बिजूरी, राजनगर, व्यकंट नगर, जैतहरी स्थित सरकारी कॉलेज
००००००००