रीवा। भले ही निगम प्रशासन ने आधा दर्जन से अधिक बार खुले में शौच मुक्त (ओडीएफ) का तमगा हासिल कर लिया हो, लेकिन अभी भी कई ऐसे इलाके हैं जहां लोग खुले में शौच जाते हैं। अभी तक स्वच्छता सर्वेक्षण की चिंता अधिकारियों को सता ही रही थी कि इसी बीच निगम के ओडीएफ प्लसप्लस सर्टिफिकेट की वैधता भी समाप्त हो गई, अब निगम को फिर से ओडीएफ प्लसप्लस की परीक्षा देनी होगी। लेकिन इस वर्ष वर्तमान हालात देखकर निगम के लिए यह बड़ी चुनौती है। हालांकि वर्तमान में नगर निगम को ओडीएफ प्लसप्लस के लिए मिले सर्टिफिकेट की वैधता समाप्त हो चुकी है और इसके लिए निगम को दोबारा प्रस्ताव भेजकर सर्वे कराना होगा। निगम प्रशासन जद्दोजहद में जुटा हुआ है, निगमायुक्त के आदेश पर अधिकारी-कर्मचारी व्यवस्था बनवाने में जुटे हुए है। ओडीएफ का मतलब है कि निगम क्षेत्र में कोई एक भी व्यक्ति खुले में शौच के लिए न जाता हो, लेकिन हकीकत तो यह है कि निगम के सीमावर्ती सहित शहरी क्षेत्र में ही लोग खुले में शौच के लिए निकल रहे हैं। अकेले छोटी व बड़ी पुल के पास नदी किनारों की बात करें तो सुबह व शाम के समय यहां खुले में पांच सैकड़ा से अधिक लोग खुले में शौच के लिए जाते हैं। जबकि यह शहर के बीचों-बीच का इलाका है, लेकिन निगम ओडी प्वाइंट में सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्र होने के बाद भी यहां व्यवस्था नहीं बनवा पा रहा है। ऐसे में शहर के अन्य इलाकों की स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है जहां निगम अधिकारी समस्या होने के बाद भी नहीं पहुंचते हैं। फिलहाल जिम्मेदार ओडी प्वाइंटो पर नहीं दिख रहे है और न ही जुर्माना हुआ है।
ओडीएफ प्लस प्लस के लिए यह शर्ते…
– शहर के सभी घरों के टॉयलेट, पब्लिक व कम्यूनिटी टॉयलेट सीवर लाइन या सेप्टिक टैंक से जुड़े होने चाहिए।
– सेप्टिक टैंक की सफाई करने वालों का निकायों से लाइसेंस लेना जरूरी।
– खुले में गंदगी फैलाने वालों के करने होंगे चालान।
– किसी भी टॉयलेट से ओपन डिस्चार्ज नहीं होना चाहिए।
– सीवर लाइनों की लीकेज या खराबी को छह घंटे में ठीक करना होगा।
– सीवर के वेस्ट को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर शोधित करना होगा।
– जिन शहरों में सीवर लाइन नहीं है, वहां पर वेस्ट को बिना शोधित किए खुले में नहीं डाल सकते।
०००००००००००००००००००