रीवा/मऊगंज। मीडिया सूत्रों की माने तो बीते एक साल से आबकारी विभाग सुर्खियों में है और रहे भी क्यों न? शोले पिक्चर की तरह जय वीरू जैसे ज्ञानचंद और मठाधीश की जोड़ी जो बनी है। एक ओर जहां मठाधीश अपने घर का जूठन साफ करवाने के लिए बेयर हाउस के ठेकेदार की बैशाखी पर निर्भर रहे तो वहीं दूसरी ओर अब वसूलीबाजों की लगाम अपने हाथो में ले ली।
मीडिया सूत्र बताते हैं हद तो तब हो गई जब तराई अंचल से एक आरक्षक को उठाकर अपना करीबी बना लिया। बताया जाता है कि उक्त आरक्षक अपने माननीय का इतना वफादार है कि महानुभाव ने आबकारी विभाग की काली कमाई की एक-एक नब्ज उसके हाथों में सौंप दी। जो सागर से लेकर चंबल रेंज तक गुल खिला रहा है।
मीडिया सूत्रों ने बताया कि प्रत्येक माह के शुरुआत पखवाड़े में उक्त आरक्षक का टूर कभी सागर संभाग की ओर होता है तो कभी चंबल संभाग की ओर होता है। यदि इस सूत्र की इस बात का शोध किया जाये तो आबकारी विभाग में होने वाली हर माह की काली कमाई की कलई खुल जाये। इतना ही नही इस बात का भी खुलासा हो जायेगा कि आबकारी विभाग में चल रही काली कमाई की गंगा में कौन-कौन डुबकी लगा रहा है।