रीवा/शहडोल। एचआईव्ही एड्स नियंत्रण को लेकर जिले सहित प्रदेश भर में अभियान चलाया जा रहा है। इसके लिए अभियान चलाकर विशेष तौर पर एचआईव्ही की जांच कराई जा रही है। इसके अलावा सर्वे कर महिला यौन कर्मी (FEMALE SEX WORKER (FSW) व गे (पुरुषों से संबंध बनाने वाले पुरुष(MSM)को भी चिंहित किया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग में दर्ज आंकड़े चौंकाने वाले हैं। रीवा व शहडोल संभाग की बात करें तो सभी 7 जिलों में रीवा व सिंगरौली जिला एचआईव्ही के हाई रिस्क में टॉप पर है। जिले में सबसे अधिक महिला यौनकर्मी(FEMALE SEX WORKER (FSW)और गे (पुरुषों से संबंध बनाने वाले पुरुष) रजिस्टर्ड हैं। इसके अलावा यहां असुरक्षित यौन संबंध स्थापित करने वालों की संख्या भी कम नहीं है। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट से ही बड़ा खुलासा हुआ है। हालांकि चिंहित सेक्स वर्करों व गे की लगातार स्कैनिंग की जा रही है ताकि उनको इस बीमारी से बचाया जा सके। वहीं जो मरीज इस बीमारी की जद में हैं भी उनका उपचार उपलब्ध दवाओं से किया जा रहा है। बताया गया कि राज्य स्तर से भी एक गैर सरकारी संगठन ने इस मामले पर सर्वे किया था, जिसमें इंदौर सबसे हाई रिस्क इसके बाद ग्वालियर व तीसरे नंबर पर जबलपुर एवं चौथे नंबर पर हाई रिस्क में भोपाल पाया गया था। जिसको लेकर जब रीवा व शहडोल संभाग की पड़ताल की गई तो चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं।
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1292 female sex workers in Singrauli
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक रीवा शहडोल संभाग की बात करें तो सबसे अधिक सिंगरौली जिले में 1292 महिला यौन कर्मी(FEMALE SEX WORKER (FSW) रजिस्टर्ड हैं, इसके अलावा दूसरे नंबर पर रीवा है जहां 1154 महिला यौन कर्मी (FEMALE SEX WORKER (FSW) हैं। सतना में 796 सेक्स वर्कर, शहडोल में 657 सेक्स वर्कर, सीधी में 491 सेक्स वर्कर, उमरिया में 216 व अनूपपुर में 147 सेक्स वर्कर रजिस्र्ड हैं। बता दें कि यह वह फीमेल सेक्स वर्कर (FEMALE SEX WORKER (FSW) हैं जो स्वास्थ्य विभाग के पास रजिस्र्ड हैं, इसके अलावा इनकी तादाद कई सैकड़ा ऐसी भी है, जिनकी पहचान नहीं हो पाई है।
रीवा में 633 गे रजिस्टर्ड
स्वास्थ्य विभाग के दर्ज आंकड़ों में रीवा में गे (पुरुषों से संबंध बनाने वाले पुरुष) को रजिस्टर्ड किया गया है। रीवा में जिले में रिकॉर्ड में 633 गे रजिस्टर्ड हैं, इसके अलावा सतना की बात करें तो यहां 461 गे रजिस्टर्ड है, सिंगरौली में 72 गे व उमरिया में 23 गे रजिस्टर्ड हैं। दोनों संभाग में तीन ऐसे जिले सीधी, शहडोल व अनूपपुर भी स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड में दर्ज हैं जहां एक भी गे रजिस्टर्ड नहीं हैं। इन जिलों में रजिस्टर्ड गे में कई बड़े नेताओं सहित बिजनेसमैन व मीडिया कर्मी, व्यापारी भी शामिल हैं जो मजबूरन नहीं शौक के चलते इस लिस्ट में शामिल किए गए हैं।
बड़ी मुश्किल में मिलती है जानकारी
स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों व एड्स कंट्रोल प्रोग्राम से जुड़े गैर सरकारी संगठन के वॉलेंटियर ने बताया कि आमतौर पर हमारे समाज में सेक्स जैसे मुद्दे पर बात नहीं होती। फिर सेक्स वर्कर्स या एक से अधिक सेक्स पार्टनर वाले लोगों की जानकारी जुटाना चुनौती भरा काम होता है। इसके लिए स्टेक होल्डर्स की मदद ली जाती है। स्टेक होल्डर्स में ऐसे लोगों से संपर्क बढ़ाया जाता है जो गांव, मोहल्ले में लोगों की जानकारी रखते हैं। कई बार छोटे किराना, जनरल स्टोर, सैलून ऑनर ऐसे लोगों की जानकारी देने में अहम भूमिका निभाते हैं। फिर एक से अधिक पार्टनर वाले व्यक्ति से मुलाकात कर उसकी काउंसलिंग की जाती है। कई बार मिलने पर ही वह अपनी निजी जिंदगी के बारे में जानकारी शेयर करते हैं।
एचआईव्ही से बचाने हो रहे प्रयास
बता दें कि सर्वे के साथ-साथ एचआईव्ही के जोखिम से बचाने के लिए महिलाओं को स्वास्थ्य विभाग की ओर से मुफ्त कंडोम और पुरुष को लूप्स उपलब्ध कराया जाता है। जिससे उच्च जोखिम समूह से सामान्य लोगों को और सामान्य लोगों से उच्च जोखिम समूह को एचआईव्ही से बचाया जा सके।
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एड्स कंट्रोल प्रोग्राम के तहत सभी को अन्य रोजगार से जोडऩे का प्रयास सर्वे कराकर किया जा रहा है, शासन के निर्देशानुसार सिंगल विंडो में इनको शासन की योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है। इस गंभीर बीमारी से इन्हें बचाया जा सके और इन्हें सामाज से बिना भेदभाव जोड़ा जा सके, ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं।
डॉ.केएल नामदेव, क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं रीवा संभाग रीवा।
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