The welfare of the world is achieved by the concern of saints: Bala Shastri
रीवा। स्थानीय अनहद पुष्पराज नगर में डॉक्टर आर्या त्रिपाठी के निवास पर चल रही श्रीमद् भागवत महापुराण के द्वितीय दिवस कथा व्यास पंडित वाला वेंकटेश शास्त्री ने देवर्षि नारद एवं भक्ति महारानी के मिलन के प्रसंग का वर्णन करते हुए बताया कि नारद जी का भक्ति से मिलन हुआ तब भक्ति के बेटे ज्ञान और वैराग्य अचेत अवस्था में पड़े हुए थे। भक्ति महरानी के दुख निवृत्ति के उपाय को खोजते हुए भ्रमण करते-करते सनकादिक महर्षियों के समीप पहुंचे । सनकादिक महर्षि नारद की चिंता को देख कर उनसे आग्रह करते हैं
कथम ब्राह्मण दीन मुख:।
कुतशचिंता तुरो भवान।।
देवर्षि नारद आप तो भक्त शिरोमणि हैं, किस चीज की चिंता सता रही है। देवर्षि नारद जी पूरा प्रसंग सुना दिए। सनकादिक महर्षियों के द्वारा श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ का आयोजन हुआ और भक्ति महारानी को कष्ट निवृत्ति हो गई। कथा प्रसंग में शास्त्री ने बताया कि संत जब चिंता करते हैं तो जगत का कल्याण होता है और संसारी चिंता करते हैं तो भगवत मार्ग से पथभ्रष्ट हो जाते हैं। रामावतार में विश्वामित्र चिंता किए थे तो जगत का कल्याण हुआ। नारद चिंता किए तो भक्ति को कष्ट निवृत्ति हुई।
इसके उपरांत शास्त्री ने श्रीमद् भागवत महापुराण सप्ताह श्रवण विधि का वर्णन करते हुए सूत शौनक संवाद नारद के द्वारा महर्षि वेदव्यास को चतु: श्लोकी भागवत का उपदेश, महर्षि वेदव्यास के द्वारा श्रीमद् भागवत महापुराण की रचना, अश्वत्थामा के द्वारा पांडव पुत्रों का वध, अश्वत्थामा का मान मर्दन, भीष्म का महाप्रयाण, कुंती के द्वारा भगवान की स्तुति, परीक्षित का जन्मोत्सव, कलयुग का आगमन, राजा परीक्षित को श्राप ,परीक्षित का गंगा तट पर पहुंचने पर महर्षि सुकदेवी का आगमन इत्यादि प्रसंगो का वर्णन करते हुए कर्दम देवहूती संवाद भगवान कपिल का प्राकट्य कपिलोपाख्यान का बड़े ही विस्तार से वर्णन किया।
इस अवसर पर प्रमुख श्रोता डॉक्टर आर्या प्रसाद त्रिपाठी, भारती प्रसाद त्रिपाठी, उमा जगदीश्वरी, मृदुला परमेश्वरी, महेश्वरी त्रिपाठी, संस्कृत कॉलेज रीवा की प्राचार्या डॉक्टर कल्पना महेंद्र तिवारी, प्रतिभा-आशेष त्रिपाठी, सत्या प्रतीक त्रिपाठी, काजल अनुभव त्रिपाठी एवं भारी संख्या में उपस्थित भक्तों ने भाव विभोर होकर कथा श्रवण किया।