The contractor ran away with the money for four hundred meters of drain and path
रीवा शहर के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल करहिया बाईपास व स्टेडियम चौराहा रोड के पाथ-वेे का निर्माण कार्य अधूरा छोड़ कर ठेकेदार भाग गया। ठेकेदार को बिना काम कराए भगाने में पीडब्ल्यूडी विभाग की मुख्य भूमिका रही। मजे की बात यह है कि ईई पीडब्ल्यूडी ने मित्रता निभाते हुए उन कार्यों का भी भुगतान कर दिया जिन्हें ठेकेदार ने किया ही नहीं। मित्रता निभाने के लिए सरकार को जहां करोड़ों का चूना लगाया वहीं डिप्टी सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट पर भी ग्रहण लगाने का काम किया है। खासतौर से करहिया बाईपास रोड के लिए उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने रीवा से लेकर भोपाल-दिल्ली एक किया तब कहीं जाकर रक्षा मंत्रालय से जमीन लेने की अनुमति मिली।
लेकिन पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों ने उनकी मंशा पर पानी फेरने का काम किया। पहले कार्यपालन यंत्री केके गर्ग रहे, जिन्होंने ठेकेदार पटेरिया को ब्लैक लिस्टेड होने से बचाया। उनके रिटायर होने के बाद सतना से आए ईई एमके द्विवेदी ने तो रिश्तेदारी ही निभा डाली। बिना काम के ही करोड़ों का एक्स्ट्रा भुगतान कर दिया। बताया गया है कि ठेकेदार पटेरिया व ईई एमके द्विवेदी दोनों सतना के हैं। और दोनों के बीच अच्छी बनती भी थी, जिसे निभाने ठेकेदार पटेरिया को लाभ दिलाने शासन को ही चूना लगवा दिया। जब तक उपयंत्री विजय शुक्ला यहां पदस्थ थे तब तक यह अपने मंसूबे पर कामयाब नहीं हो पा रहे थे तो खामियां निकलवाकर उनका तबादला करवा दिया और अपने चहेते ओंकारनाथ मिश्रा को एसडीओ का चार्ज दिलाकर सहज तरीके से बिना काम भुगतान करा दिया।
एसडीओ ओंकारनाथ मिश्रा की स्वामिभक्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि शासन से मकान अपने नाम एलाट करा कर उसे पूर्व ईई केके गर्ग को दे रखे हैं, जबकि वह कई महीनों से रिटायर हैं और संविदा में एमपीआईडीसी में यंत्री हैं। इस पूरे मामले की जांच करायी जाये तो बड़ा खुलासा हो सकता है।
उल्लेखनीय है कि नीम चौराहा सौंदर्यीकरण व विस्तार के लिए सैनिक स्कूल की जमीन अधिग्रहण कर नीम चौराहा से करहिया बाईपास व स्टेडियम तिराहा रोड का काम स्वीकृति किया गया। जिसके तहत दोनों सड़कों के निर्माण के साथ ही नाली व पाथ-वे निर्माण किया जाना था। करहिया बाईपास का निर्माण दो फेज में किया गया। नीम चौराहा को जोडऩे वाली फेज टू सड़क का काम सतना के पटेरिया नाम के ठेकेदार को काम दिया गया। उक्त सड़क का निर्माण कार्य पूरा करने के लिए 18 महीने का समय दिया गया लेकिन ठेकेदार ने चार साल लगाए व निविदा शर्तों के अनुसार पूरा नहीं किया और अधूरा ही छोड़ कर भाग गया। विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार लगभग दो करोड़ का रिवाइज टेंडर स्टेडियम तिराहा रोड और पाथ-वे में पेवर ब्लाक लगाने का था। साथ ही नाली निर्माण का कार्य होना था। जिसका कोई काम ही नहीं किया गया। 2018 के पूर्व दूसरे ठेकेदार द्वारा जो काम किया गया था, उसको ही दिखाकर पैसे का भुगतान कर दिया गया, जबकि लगभग 400 मीटर नाली निर्माण व पाथ-वेे का काम आज भी अधूरा है।
ठेकेदार पटेरिया ने करहिया बाईपास रोड में दुर्गा मंदिर के पास लगभग 50 मीटर कवर्ड नाली तो बना दी लेकिन उसमें मिट्टी फिलिंग ही नहीं करायी। जैसे ही बरसात होगी, सड़क की मिट्टी धंस जायेगी और करोड़ों की सड़क टूट जायेगी, जो चलने लायक नहीं रहेगी। मजे की बात यह है कि जिम्मेदार विभाग के अधिकारी यह कहते हैं कि ठेकेदार का पूरा भुगतान हो चुका है। वह चला गया है, कितना अधूरा काम छोड़कर चला गया, उन्हें पता ही नहीं। इससे साफ साबित होता है कि जिम्मेदारों ने शासन व जनता के हित में नहीं, अपितु ठेकेदार के हित में काम किया।
सूत्रों की माने तो स्टेडियम रोड के किनारे से नाली बनाकर नीम चौराहे मिलाना था। नीम चौराहा में सुंदर नगर की ओर आने वाली नाली को मिलाकर नीम चौराहा में बड़ा नाला बनाना था जिससे पानी करहिया बाईपास के किनारे बनी नाली होकर सीधे बीहर में चला जाय और जलाभराव की स्थिति न निर्मित हो। लेकिन इस काम को कराया ही नहीं गया। जैसे ही सिरमौर चौरहा थर्ड लेग फ्लाई ओवर के साथ ही सुभाष तिराहा से नीम चौराहा रोड निर्माण कार्य सेतु विभाग को सौंपा गया तो पीडब्ल्यूडी विभाग ने कारस्तानी कर नाले का निर्माण कार्य भी उसी में डाल कर ठेकेदार को पूरी राशि का भुगतान कर भगा दिया।