Surveyors pass wheat in committees for money:रीवा। जिले में समर्थन मूल्य पर खरीदी की रफ्तार धीमी नजर आ रही है। क्षेत्रों के किसानों का कहना है कि समितियों में गेहूं की बिक्री पर बहुत कठिनाई आती है। गेहूं चमकदार व साफ न हो तो किसान समिति के सर्वेयर को पैसे देकर गेहूं पास कराते हैं। इसके साथ ही 50 किलो की भराई में एक किलो ज्यादा भराई करते हैं। जिसमें वे किसानों से 51 किलो प्रति बोरा लेते हैं। वहीं प्रति बोरे की तौलाई 6 रूपये लेते हैं। इन सब विसंगतियों को लेकर किसान अच्छे रेट में व्यापारियों को गेहूं की बिक्री कर रहे हैं।
एक माह में देखा जाए तो केवल 1092 किसानों ने समर्थन मूल्य पर गेहूं का विक्रय किया है। जिले में 119 केंद्रों का लक्ष्य बनाया गया था, जिसमें 15 खरीदी केंद्रों में खरीदी शुरू नहीं हुई है। वहीं कम गेहूं खरीदी को देख शासन प्रशासन ने 20 मई तक गेहूं उपार्जन की तारीख बढ़ा दी है। जिले में पंजीकृत किसानों की बात करें तो 51 हजार 905 किसानों से निर्धारित समर्थन मूल्य 2275 रुपये के साथ 125 रुपये प्रतिक्विटल बोनस है। कुल मिला कर किसानों से 2400 रुपये प्रति क्विटल की दर से गेहूं का उपार्जन किया जा रहा है। खरीदी की बात करें तो 1092 किसानों से गेहूं उपार्जन किया जा चुका है। इसके साथ ही 7340 किसानों ने स्लॉट बुकिंग कराई है।
अभी तक जिले में 6426 मेट्रिक टन गेहूं की खरीदी की गई है। यह आंकड़े बताते हैं कि खरीदी केंद्रों पर किसानों का रुझान देखने को नहीं मिल रहा है। जानकारी के मुताबिक जिले में अभी भी 20 प्रतिशत के करीब फसल की कटाई व गहाई बाकी है।
व्यापारियों को किसान बेच रहे गेहूं
इस वर्ष गेहूं का रेट बाहर भी अच्छा है इसके कारण किसान अब निजी व्यापारियों को गेहूं बेच रहे हैं। किसानों द्वारा बताया गया कि समर्थन मूल्य पर खरीदी केंद्र में जो गेहूं बेचा जा रहा है, उसमें बड़ी छानबीन होती है। कभी कभी तो सर्वेयर से लेकर ऑपरेटर तक को पैसे देने होते हैं। वहीं लाने ले जाने का भी भाड़ा किसानों को देना पड़ता है। इसके साथ ही बेचे गए गेहूं का पैसा 10 से 15 दिन में आता है। वहीं अगर किसान व्यापारियों को गेहूं बेचता है तो पैसे तुरंत मिलते हैं। बताया गया कि करहिया मंडी में व्यापारियों द्वारा 2350 से 2390 रूपय प्रति प्रिंटल तक गेहूं की खरीदी हो रही है।
किसानों की जुबानी
▶ अमरा गांव से आए किसान देवेंद्र सिंह का कहना है कि समर्थन मूल्य में गेहूं की बिकी करने पर प्रति बोरी में एक किलो ज्यादा की भराई करते हैं। समय भी ज्यादा लगता है, पैसे भी लेट आते हैं। इसके साथ ही गेहूं साफ न रहे तो लेने में आनाकानी करते हैं। जिससे हम करहिया मंडी में गेहूं व्यापारियों को बेचने आए हैं।
• अमरा गांव से आए किसान दिनेश सिंह ने कहा कि गेहूं की फसल में 3000 रूपये प्रति क्विंटल के लगभग की लागत लगती है। भाजपा सरकार ने कहा था कि इस वर्ष गेहूं 2700 रूपय प्रति किंटल लेंगे, लेकिन 2400 रुपये ही ले रहे हैं। व्यापारियों का भी रेट अच्छा है, इसी कारण हम करहिया मंडी में गेहूं बेच रहे हैं।
▶ घरी गांव से आए किसान राजू द्विवेदी ने बताया कि समर्थन मूल्य पर गेहूं साफ-सुथरा होना चाहिए। गेहूं साफ न हो तो सर्वेटार को पैसे दो तब वह पास करता है। तौल में भी एक किलो ज्यादा लेते है। यही गेहूं मंडियों में तुरंत बिक जाता है और पैसे भी मौके पर मिल जाते हैं।
गेहूं उपार्जन की तारीख बढ़ी: जिलेमें समर्थन मूल्य में गेहूं की खरीदी की तारीख बढ़ा कर अब 20 मई कर दी गई है। पहले यह 29 मार्च से 15 मई तक ही थी लेकिन पांच दिन और बढ़ा दी गई है।