सीधी. जिले में हल्का पटवारियों की भारी कमी के चलते किसानों को राजस्व संबंधित कार्य काफी प्रभावित हैं। सीधी जिले में 411 पटवारी हल्का हैं। जिनमें 203 पटवारी पदस्थ हैं। स्पष्ट है कि 50 फीसदी हल्का पटवारी भी जिले में पदस्थ नहीं हैं। लिहाजा एक पटवारी को दो-दो हल्कों का प्रभार दिया गया है। हालात यह है कि पटवारियों की भारी कमी के चलते राज्य शासन के आदेश के बाद भी सीमांकन संबंधी कार्य पूरी तरह से प्रभावित हैं। सीमांकन का कार्य देख रहे राजस्व निरीक्षकों का कहना है कि उनके यहां सैकड़ों की संख्या में सीमांकन के आवेदन लंबित हैं। आरंभ में हल्का पटवारियों की हड़ताल के चलते सीमांकन का कार्य नहीं हो सका। बाद में भी सीमांकन के सभी आवेदनों को समय-सीमा के भीतर निराकृत करना संभव नहीं हो पा रहा है। उधर जानकारों का कहना है कि जिस अनुपात में हल्का पटवारियों की संख्या है उसके अनुसार भी पटवारियों की पदस्थापना होना आवश्यक है। शासन स्तर से स्वीकृत हल्का पटवारियों के पद न भरे जाने के कारण यह समस्या निर्मित है।
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प्रदेश सरकार द्वारा हल्का पटवारियों की भर्ती करनें की औपचारिकताएं अभी निभाई गई हैं। लेकिन जिस अनुपात में पद खाली हैं उसका 15-20 प्रतिशत ही भर्ती के पद निकाले गए थे। ऐसे में हल्का पटवारियों के पद आने वाले समय में भी खाली रहेंगे। किसानों को छोटे-छोटे कार्यों के सिलसिले में हल्का पटवारियों की जरूरत पड़ती है। स्थिति यह है कि एक हल्का पटवारी के पास दो हल्कों का प्रभार होने के कारण वह किसानों को समय नहीं दे पाते। यह दीगर बात है कि राजस्व संबंधित ज्यादा तर नकल अब ऑनलाईन मिलने के कारण हल्का पटवारियों की जरूरत कम हो गई है। फिर भी सीमांकन, बंटवारा, पुल्ली फांट समेत अन्य कई ऐसे कार्य हैं जिनके लिए पटवारी का मिलना आवश्यक होता है।
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कुछ हल्का पटवारी ऐसे भी हैं कि जिनके द्वारा अपना मुख्यालय काफी दूर बनाया गया है। कुछ पटवारी तो जिला मुख्यालय से ही अप-डाउन करते हैं। ऐसे में किसानों की समस्याएं और ज्यादा बढ़ी हुई हैं। हल्का पटवारियों को अपने मुख्यालय में ही निवास करने की अनिवार्यता है। फिर भी तहसील स्तर के अधिकारियों की निष्क्रियता के चलते वह काफी दूर अपना डेरा जमाए हुए है। हल्का पटवारियों की तलाश में जरूरत के समय कास्तकारों को कई दिनों तक चक्कर काटना पड़ता है। यदि उनसे मुलाकात भी हुई तो वह काम की व्यस्तता बताकर महीनों चक्कर लगवाते रहते हैं। पटवारियों की सीधी जिले में भारी कमी के चलते राजस्व संबंधित कार्य काफी प्रभावित हैं।
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जिले में हल्का पटवारियों के 55 फीसदी पद वर्तमान में रिक्त पड़े हुए है। पिछले वर्ष यह संख्या और भी ज्यादा थी। नई भर्ती होने के बाद सीधी जिले को भी कुछ पटवारी मिले हैं। बावजूद इसके जरूरत के अनुसार हल्का पटवारियों की पदस्थापना न होने के कारण कार्य काफी प्रभावित हैं। बताया गया है कि एक पटवारी के जिम्मे दो हल्का का प्रभार होने के कारण उनके द्वारा गिर्दवारी भी सही तरीके से नहीं की जा रही है। जिसको लेकर भी किसानों का आक्रोश बना हुआ है। बताया गया है कि हल्का पटवारियों द्वारा एक स्थान में बैठकर मनमानी तरीके से गिर्दवारी के आंकड़े दर्ज किए जा रहे हैं।
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लिहाजा 5-6 वर्षों से गिर्दवारी के आंकड़े फर्जी तौर पर दर्ज किए जा रहे हैं। जिसको लेकर तहसील के अधिकारी भी लापरवाह बने हुए हैं। चर्चा के दौरान बहरी तहसील मुख्यालय के समीपी गांवों के कुछ कास्तकारों ने बताया कि हल्का पटवारी द्वारा मनमानी तौर पर उनकी भूमि को 5 वर्ष के ज्यादा समय से परती के रूप में खसरा में दर्ज किया जा रहा है। इस संबंध में कई बार शिकायत के बाद भी हल्का पटवारी द्वारा सुधार करनें की बजाय पुराने आंकड़े ही पलट कर गिर्दवारी में दर्ज किए जा रहे हैं। यदि हल्का पटवारियों का इसी तरह मनमानी कार्य चलता रहा तो निश्चित ही आने वाले दिनों में किसानों को काफी समस्याएं झेलनी पड़ सकती हैं।
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nपटवारी हल्कों की स्थिति
nतहसील हल्कों की संख्या कुल गांवों की संख्या
nचुरहट 44 144
nसिहावल 46 152
nबहरी 54 161
nमझौली 55 132
nरामपुर नैकिन 75 151
nगोपद बनास 95 214
nकुसमी 42 138
nयोग 411 1092