Rumblings of fraud in the corporation! Responsible for trying to hide Rs 4.50 crore
रीवा। शहर से लगे कोष्टा तालाब में पिछले 15 वर्षों से डंप कचरे को नष्ट करने के नाम पर नगर निगम के अधिकारी साढ़े चार करोड़ ठिकाने लगाने की तैयारी में हैं। यह कचरा सात साल पहले सीटाडेल कंपनी छोड़ कर गई है तब से डंप है। हालांकि इतने वर्षों का कचरा सड़ भी गया है।कोष्टा तालाब में डंप कचरे के निस्तारीकरण के लिए राज्य शासन द्वारा 4.55 करोड़ रुपये स्वीकृत किये गये हैं। इस राशि से कचरे को नष्ट करने के लिए नगर निगम द्वारा सतना की मिश्रा ट्रेडिंग कंपनी को ठेका दिया गया है। हालाकि लोकसभा चुनावों की आचार संहिता के चलते ठेके की औपचारिकता पूरी नहीं की जा सकी है।
इसके बावजूद सूत्रों के मुताबिक कंपनी ने कोष्टा में अपना काम शुरू कर दिया है। नियमानुसार सीटाडेल कंपनी को अपना बोरिया बिस्तर समेटने से पहले पूरा कचरा नष्ट करना चाहिए था लेकिन उक्त कंपनी ऐसा न कर चुपचाप चली गई। नगर निगम द्वारा वेस्ट टू एनर्जी प्लांट पहड़िया का निर्माण होने से पहले तीन साल तक रेमकी कंपनी से भी यहीं पर कचरा फेकवाया गया। यहां पर जो कचरा डंप किया गया है वह अब काफी हद तक मिट्टी का रूप ले चुका है। इस पूरे कचरे को वैज्ञानिक विधि से इस तरह नष्ट किया जाना है ताकि इससे आसपास किसी प्रकार का प्रदूषण नहीं फैले। लेकिन सूत्रों की माने तो मिश्रा ट्रेडिंग कंपनी के टेंडर की प्रक्रिया पूरी नहीं होसकी है।
साथ ही इस राशि से तालाब को फिर से पुराना स्वरूप दिया जाना है लेकिन 16 एकड़ के इस तालाब की जमीन कचरा से मुक्त करने के नगर निगम के प्रयासों के पीछे बड़ा खेल हो रहा है। इस कचरे को पहड़िया ले जाकर भी नष्ट कराया जा सकता था लेकिन नगर निगम प्रशासन द्वारा ऐसा नहीं किया गया। इसके पीछे कमीशन का चक्कर बताया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि तालाब का कचरा पूरी तरह मिट्टी हो चुका है इसे नष्ट करने में अधिकतम एक करोड़ रुपये से अधिक खर्च नहीं होगा। इसके बावजूद भी 4.55 करोड़ रुपये की राशि खर्च करने की तैयारी है।
विवादों में रहा कोष्टा का कचरा संयंत्र : नगर निगम का कचरा भले ही कोष्टा में फेंका जाता था लेकिन कोष्टा का कचरा संयंत्र लगातार विवादों में रहा। यहां पर खाद बनाने और उससे होने वाले कचरे के निस्तारीकरण को लेकर हमेशा संशय बना रहा। सीटाडेल कंपनी पर यह आरोप लगातार लगता रहा कि कंपनी कोष्टा में केवल कचरा को डंप करके नगर निगम से मात्र भुगतान प्राप्त कर रही है और खाद बनाने का केवल दिखावा किया जा रहा है। इसी वजह से उसे नगर निगम रीवा का आगे का काम नहीं मिल पाया। कंपनी को अपना संयंत्र समेट कर यहां से जाना पड़ा। अब इस कचरे को नष्ट करने के लिए सतना की मिश्रा ट्रेडिंग कंपनी ने कथित ठेका प्राप्त किया है। यह कंपनी कचरे को कैसे नष्ट करती है यह देखना दिलचस्प होगा।
सुरक्षित निस्तारण के नाम पर खर्च की जा रही राशि
राज्य शासन के नगरीय प्रशासन विभाग द्वारा कोष्टा में डंप कचरे का अत्यानुधिक तरीके से वायोमाइनिंग रेमिडेशन किये जाने के नाम पर लंबी राशि खर्च करने की योजना इस लिए बनाई गई है ताकि लोगों की समझ में यही आये कि प्रदूषण फैलने से बचाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। कचरा इस तरह नष्ट किया जाएगा कि इससे न तो प्रदूषण फैलेगा और न ही किसी अन्य प्रकार की कोई समस्या आएगी। कचरे का सुरक्षित तरीके से निस्तारीकरण करके समाप्त किया जाएगा। इसके बाद ही नगर निगम की इस जमीन का अन्य उपयोग संभव हो सकेगा।
केवल भुगतान लेती रही सीटाडेल
शहर से निकलने वाले कचरे के व्यवस्थापन तथा उससे खाद तैयार करने के लिए कोष्टा में स्थित16 एकड़ के तालाब का चयन सन् 2008-09 में किया गया था। यहां सीटाडेल कंपनी द्वारा सन् 2008 में कचरा संयंत्र स्थापित किया गया था। नगर निगम से इसे दस साल के लिए ठेका मिला था। यहां पर कचरे से खाद बनाने के नाम पर दस साल तक उक्त कंपनी ने नगर निगम से मात्र भुगतान प्राप्त किया। अगर कंपनी ने स्वाद बनाई है तो कब और किसको बेचा। दूसरे यदि कोष्टा में कचरे से खाद बनाई जाती तो कंपनी के जाने के बाद भी कचरा कैसे डंप रह गया। स्थानीय लोगों द्वारा उस समटा यहां कचरा संयंत्र लगाने का विरोध किया गया था। इसके बावजूद कचरा संयंत्र की स्थापना की गई थी। इसके पश्चात सन् 2017 में सीटाडेल कंपनी का नगर निगम से टेंडर समाप्त हो जाने के बाद वह अपना बोरिया बिस्तरा समेट कर चली गई और उस समय जो कचरा डंप पड़ा था वह उसी हालत में पड़ा रहा गया।