Rewa’s “Toilet Ek Prem Katha” became a topic of discussion in MP including the district:रीवा में फिल्मी घटना : टॉयलेट के लिए महिला ने छोड़ा ससुराल, पति ने थाने में लगाई न्याय की गुहार, फिल्म “टॉयलेट एक प्रेम कथा” की तर्ज पर रीवा में रियल घटना, टॉयलेट के लिए के पत्नी ने छोड़ा पति का साथ…
रीवा।रीवा जिले के त्योंथर विधानसभा क्षेत्र में ‘टॉयलेट एक प्रेम कथा’ फिल्म जैसा एक मामला सामने आया है।यहां एक महिला ससुराल में टॉयलेट नहीं होने के कारण अपने मायके चली गई और महिला ने टॉयलेट बनवाने पर ही ससुराल वापस आने शर्त रख दी है।इस मामले में फिलहाल अब पति पुलिस के पास पहुंचा है और न्याय की गुहार लगाई है।दरअसल बॉलीवुड में निर्मित एक फिल्म ‘टॉयलेट एक प्रेम कथा’ तो आपने देखी ही होगी।यह फिल्म जागरूकता का संदेश देने के उद्देश्य से बनाई गई थी, इस फिल्म की कहानी कई बार चर्चा में तब आती जाती है जब फिल्म की कहानी परदे से बाहर निकलकर सच्ची घटना बन जाती है।
कुछ ऐसा ही मामला सामने आया है मध्य प्रदेश के रीवा जिले के त्योंथर विधानसभा क्षेत्र से, जहां शौचालय ना होने के चलते ससुराल छोड़कर पत्नी अपने मायके चली गई। पत्नी ने शर्त रखी है कि पहले घर में शौचालय बनवाओ तब वापस आऊंगी, जिसके बाद परेशान पति न्याय की गुहार लेकर थाने पहुंचा है।
दरअसल, यह मामला मध्यप्रदेश के रीवा जिले के चाकघाट क्षेत्र के अमाव गांव का है, यहां पर रहने वाले प्रदीप मिश्रा का विवाह 4 वर्ष पूर्व रीवा की रहने वाली रोशनी मिश्रा के साथ हुआ था। शादी होने के बाद रोशनी अपने ससुराल पहुंची, लेकिन वहां शौचलाय न होने के चलते उसे रोजाना शर्मिंदा होना पड़ता था, शादी के बाद उसने कई बार अपने पति से घर पर शौचलाय बनवाने की जिद की, लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक न होने के चलते प्रदीप अपनी पत्नी के लिए घर पर शौचालय बनवाने की मांग को पूरा नहीं कर पाया।
इसके बाद 2 माह पूर्व रोशनी अपने मायके गई थी, ससुराल के लोग रोशनी को बुलाने जब उसके मायके पहुंचे तो उसने ससुराल जाने से साफ इनकार कर दिया और बोली कि जब तक शौचालय नहीं बनेगा, तब तक वह वापस ससुराल नहीं जाऊंगी। इस बात को सुनकर ससुराल वाले भौचक्के रह गए, उन्होंने कई बार उसे ससुराल वापस चलने के लिए कहा लेकिन वह तैयार नहीं हुई, जिसके बाद ससुराल वाले वापस लौट आए।
इधर पति प्रदीप मिश्रा ने चाकघाट थाने पहुंचकर पुलिस के सामने गुहार लगाई है। पति का कहना है कि हम ”इंदौर में 10 हजार की प्राइवेट नौकरी करते है, ऐसे में शौचालय बनवा पाना उसके लिए संभव नहीं है।उसने कहा कि मैंने शासन और प्रशासन से भी अपने घर पर शौचालय बनवाने की गुहार लगाई है. लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।फिलहाल इस घटना ने फिल्म की तर्ज पर सरकार की घर-घर टॉयलेट योजना की पोल खोल कर रख दी है।