रीवा। नगर निगम के बढ़े संपत्तिकर को लेकर शहर की जनता परेशान है। संपत्तिकर सहित शिक्षा उपकरों की राशि में हुई बेतहाशा वृद्धि से लोग अब टैक्स जमा करने से कतराने लगे हैं व लगातार बढ़े हुए कर को घटाने की मांग कर रहे हैं। इसे घटाने को लेकर महापौर अजय मिश्रा बाबा व उनकी एमआईसी द्वारा पुनर्विचार किया जाएगा। इस संबंध में निगम के एमआईसी सदस्यों ने महापौर को पत्र लिखकर संपत्तिकर घटाने की मांग की है।
महापौर ने भी जनहित को लेकर इस मुद्दे पर विचार किया है और माना जा रहा है कि प्रकरण एमआईसी की अगली बैठक में शामिल किया जाएगा और इस पर एमआईसी विचार करेगी। लिखे गए पत्र में एमआईसी सदस्य धनेन्द्र सिंह ने कहा कि जनता निगम के बढ़े हुए संपत्तिकर से परेशान है व लगातार मांग कर रही है कि संपत्तिकर को घटाया जाए। भवनों एवं भूमियों पर कर योग्य संपत्ति मूल्य का निर्धारण वित्तीय वर्ष 2022-2023 में जो किया गया है वह काफी ज्यादा है।
प्राय: आम करदाता इस वृद्धि को कम करने अथवा वापस किए जाने का अनुरोध कर रहे हैं। पिछले वर्षों की तुलना में काफी वृद्धि प्रतीत होती है, जिस कारण लोग संपत्तिकर नहीं जमा कर पा रहे हैं। महापौर से मांग की गई है कि उक्त प्रकरण पर पुनर्विचार करें। एमआईसी सदस्य धनेन्द्र सिंह बघेल के इस प्रस्ताव पर अन्य सभी एमआईसी सदस्यों ने भी सहमति देते हुए महापौर से इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने की मांग की है
शिक्षा उपकर से परेशान है जनता
एमआईसी सदस्य ऋषिकेश त्रिपाठी ने भी शिक्षा उपकर घटाए जाने की मांग की है। उन्होंने भी इस संबध में महपौर अजय मिश्रा बाबा को पत्र लिखा है। उनके इस प्रस्ताव पर अन्य एमआईसी सदस्यों से सहमति जताई है। बता दें कि पिछले वर्ष निगम प्रशासन द्वारा शिक्षा उपकर में एकाएक बेतहाश वृद्धि कर दी गई थी।
शासन को जाएगा प्रस्ताव
जानकारों की मानें तो संपत्तिकर बढ़ाने का अधिकार तो नगर निगम एमआईसी व परिषद् को है, लेकिन घटाने का अधिकार नहीं है। इसलिए एमआईसी सदस्यों की मांग पर महापौर अजय मिश्रा बाबा ने विचार कर प्रस्ताव एमआईसी में रखने का निर्णय लिया है। वह जनहित में इसे कम कराने के लिए कार्य भी कर रहे हैं, लेकिन एमआईसी के बाद प्रस्ताव परिषद् में जाएगा। परिषद् प्रस्ताव पास करेगी तो यह प्रस्ताव शासन को जाएगा, इसके बाद संपत्तिकर कम होगा। चर्चा में कहा जा रहा है कि महापौर तो जनहित में करों को कम करने के लिए कदम बढ़ाए हुए हैं, लेकिन परिषद् भाजपा की है और पूर्व में प्रस्तावों में अड़ंगा परिषद् ने बहुमत जताकर लगाया है। इसलिए इस पर भी अड़ंगा की संभावना जताई जा रही है। हालांकि मुद्दा जनहित का है, इस पर यदि परिषद् सहमति देती है तो जनता को बड़ी राहत मिलेगी।
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