रीवा। मीडिया सूत्रों की माने तो सड़क निर्माण के बाद 13 साल से लंबित ठेकेदार का भुगतान नहंीं करने पर दायर वाद में शुक्रवार को षष्टम अपर न्यायालय के आदेश पर लोक निर्माण विभाग के मुख्य अभियंता, अधीक्षण यंत्री व कार्यपालन यंत्री के वाहन न्यायालयीन कर्मचारियों ने कुर्क कर लिया। शुक्रवार दोपहर सिरमौर चौराहा स्थित कार्यालय में वाहनों के कुर्की की कार्रवाई के दौरान कार्यपालन यंत्री न्यायालय के अमले पर भड़क गए। इस दौरान कर्मचारी से अभ्रद व्यवहार करते हुए उसे धमकाया। इसकी शिकायत कर्मचारियों ने न्यायाधीश से की है। बता दें कि संविदाकार नारायण सिंह गहरवार ने वर्ष 2009 में हनुमना से बहरी सड़क 2.75 करोड़ रुपए में 26 फीसदी एबव पर बनाया था। इस दौरान लोक निर्माण विभाग लगातार उनके बिलों का भुगतान करता रहा, लेकिन अंतिम भुगतान के दौरान 1 करोड़ 20 हजार आर्डर होने के बावजूद रोक दिया। इसे लेकर विभागीय अपील में ठेकेदार को भुगतान करने का आदेश दिया गया था। इसके बावजूद विभाग से भुगतान नहीं होने पर वर्ष 2011 में ठेकेदार द्वारा न्यायालय में वाद दायर किया गया। न्यायालय ने सुनवाई के उपरांत 1 करोड़ 8 लाख 3 हजार 111 रुपए का भुगतान नहीं होने पर कुर्की वारंट जारी किया था। इस पर शुक्रवार को न्यायालय के कर्मचारियों ने सिरमौर चौराहा स्थित मुख्य अभियंता कार्यालय पहुंचकर वाहन जब्त कर लिया। इन सभी वाहनों को न्यायालय परिसर में खड़ा कराया गया है। इसके बाद लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने इन वाहनों को छुड़ाने के लिए न्यायालय में आवेदन प्रस्तुत किया।
अंतिम बिल में कर दी थी कटौती
संविदाकार ने बताया कि सड़क निर्माण के बावजूद विभाग के अधिकारियों ने उनके अंतिम बिल में नियम विरुद्ध तरीके से 50 लाख रुपए की कटौती कर दी थी। इसकी अपील होने पर प्रमुख सचिव ने भी संविदाकार को भुगतान करने का आदेश दिया था। इसके बावजूद कार्यपालन यंत्री अंतिम बिलों का भुगतान करने में कतराते रहे।
अचंल संपत्ति से होगी वसूली
इन वाहनों के कुर्क करने के बाद भी ठेकेदार के बिलों का भुगतान नहीं होने पर विभाग की अंचल सम्पत्तियों को बेचकर ठेकेदार की राशि का भुगतान किया जाएगा।
कार्यपालन यंत्री के अभ्रद व्यवहार की लिखित शिकायत
वादी ने बताया कि सिरमौर चौराहे में वाहन कुर्क करने के दौरान लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री ने जमक र हंगामा मचाया। इस दौरान न्यायालयीन कर्मचारियों के साथ अभद्रता के साथ गाली गलौच भी की गई। इसकी लिखित शिकायत जिला न्यायालय के षष्टम अपर सत्र न्यायाधीश से की गई है।
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