बबली सिंह सेंगर, रीवा। एसजीएमएच एंव जीएमएच में भर्ती मरीजों पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। डीन को हटाये जाने को लेकर राजनीति भी होने लगी है। तबादले की वजह सत्ता पक्ष के दो कद्दावर नेताओ की आपसी रंजिश व बर्चश्व की लड़ाई माना जा रहा है। वही इधर जूडा से लेकर समस्त स्टाफ कब आंदोलन में उतर जाये कहा नहीं जा सकता। बताते चले कि 3 मार्च को मप्र शासन चिकित्सा विभाग मंत्रालय से उप सचिव केके दुबे ने रीवा मेडिकल कालेज के डीन रहे डॉ. मनोज इंदूरकर को पद से प्रथक किये जाने और दो वेतन वृद्धि रोके जाने फरमान जारी क्या किया मेडिकल कॉलेज में चिंगारी सुलग उठी। जूनियर डॉक्टर से लेकर सफाईकर्मी तक मप्र शासन द्वारा जारी फरमान पर आक्रोश पनपने लगा। तीन दिन बाद यह आक्रोश चिंगारी का रुप लेकर सामने आ गया। हालात पर यदि काबू नहीं पाया गया तो आने वाले समय में श्यामशाह मेडिकल कॉलेज के जूडा से लेकर अदने कर्मचारी तक आंदोलन में उतर सकते हैं। जिसका खामियाजा एसजीएमएच और जीएमएच में भर्ती मरीजों को उठाना पड़ सकता है। रविवार को जूडा अध्यक्ष हृदेश दीक्षित सहित लामबंद होकर जूनियर डॉक्टरों ने सरकार को अल्टीमेटम देते हुये कहा कि यदि डॉ. मनोज इंदूरकर को फिर से डीन पद पर नहीं किया गया तो छात्र सहित स्टाफ नर्स, बार्ड ब्याय एंव सफाईकर्मी आंदोलन पर उतर सकते हैं। यह आंदोलन धीरे-धीरे प्रदेश स्तर तक फैल सकती है। जिसका जबावदाह शासन प्रशासन होगा।
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काली पट्टी से होगी शुरुआत अंत का ठिकाना नहीं
मप्र शासन चिकित्सा विभाग द्वारा किये गये आदेश के विरोध में जूडा काली पट्टी बांध कर काम करेंगे। आंदोलन की शुरुआत काली पट्टी से हो गई है। आंदोलन का अंत कब होगा कहा नहीं जा सकता। जूडा अध्यक्ष हृदेश दीक्षित ने कहा कि अभी तो काली पट्टी बांध कर विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। यदि उनकी आवाज नहीं सुनी गई तो अगला कदम बाहर बैठ कर ओपीडी चलाई जायेगी। जूडा अध्यक्ष ने कहा कि मरीजों के प्रति डॉ. मनोज इंदूरकर के स्वभाव से सभी परिचित हैं। कोरोना काल में भी वह मरीजों के स्वास्थ्य के लिए अग्रणी भूमिका निभाई। जिस पर उनको स मानित भी किया गया। डीन पद पर रहते हुये उन्होंने कॉलेज का बहुत कुछ दिया है। साथ ही व्यवस्था भी सुचारु रुप से चली।
बिना जांच एंव नोटिस के हटाना गलत है
मप्र शासन उच्च चिकित्सा विभाग के सचिव ने श्यामशाह मेडिकल कालेज के डीन रहे डॉ. मनोज इंदूरकर पर क्षेत्राधिकार से बाहर जाकर मप्र सिविल सेवा (पेंशन) नियम 1976 का उल्लंघन कर सेवा निवृत लेखापाल बीके शुक्ला के विरुद्ध आरोप पत्र जारी किये जाने का आरोप लगाया है। इस संदर्भ में जूडॉ अध्यक्ष हृदेश दीक्षित ने कहा कि यदि किसी पर कार्रवाही करने के पूर्व मप्र शासन को नोटिस देनी चाहिये चाही थी साथ ही जांच के आदेश दिये जाने थे। बिना नोटिस दिये और जांच किये डॉ. मनोज इंदूरकर को हटाया जाना एक गहरी साजिश है जो मेडिकल कालेज की व्यवस्थाओं पर चोट पहुंचाना चाहता है।
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