Rewa News: Questions raised on the functioning of the vehicle transfer branch in-charge! Luxury car transferred with fake documents
रीवा। सत्ताधारी नेताओं के साथ फोटो खिंचाकर कर सरकारी अफसरों व कर्मचारियों सहित आम जन पर अपनी धौंस दिखाना आम हो गया है। ऐसे लोग अपने आप को नेताओं का काफी करीबी बताकर बड़ी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। ऐसे ही एक मामला सामने आने के बाद लोगों के होश ही उड़ गए। फर्जी तरीके से सत्ताधारी नेताओं का अपने आप को करीबी बताने वाले युवक ने लग्जरी कार को अपने नाम ट्रांसफर करा लिया। जब वाहन मालिक को पता चला तो उसने इसकी शिकायत पुलिस से की। मामले की जांच में यह बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया और पुलिस ने आरोपी युवक को गिरफ्तार कर लिया। जांच में पता चला कि युवक पर पहले से भी कई अपराध दर्ज हैं, जिसमें वह कई मामलो में जमानत पर रिहा है। वहीं मामले का खुलासा होने के बाद आरटीओ ने भी आरोपी द्वारा कराए गए रजिस्ट्रेशन को भी निरस्त कर दिया है।
यह है पूरा मामला…
मामले को लेकर देवेन्द्र मिश्रा पिता हीरालाल मिश्रा उम्र 40 वर्ष निवासी ग्राम बूढ़ा शिवराजपुर थाना नईगढ़ी ने बताया कि उनकी क्रेटा गाड़ी क्रमांक एमपी 17 सीबी 5846 को अभिषेक कुमार द्विवेदी पिता विजय कांत द्विवेदी निवासी ग्राम पोस्ट बाबा की बरौली थाना जवा द्वारा फर्जी तरीके से अपने नाम ट्रांसफर करा लिया गया। उसके द्वारा उक्त कृत्य के लिए फर्जी दस्तावेजों का उपयोग किया गया और आरटीओ कर्मचारियों से साठगांठ कर गाड़ी को अपने नाम करा लिया। जिसकी जानकारी होने के बाद उनके द्वारा मामले की शिकायत समान थाना सहित अन्य में शिकायत दर्ज कराई गई। जिसके बाद पुलिस ने मामले की जांच कर फर्जीवाड़ा पाए जाने के बाद आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर बुधवार को गिरफ्तार कर लिया है।
कई मामलो में आरोपी है युवक
पकड़ा गया अभिषेक द्विवेदी पूर्व से ही कई मामलो में आरोपी है। पीडि़त ने बताया कि उस पर कई गंभीर आरोप दर्ज हैं। वह आदिम जाति विभाग में ठेकेदारी करता है एवं उस पर कई चेक बाउंस के भी मामले चल रहे हैं। उसे आदिम जाति कल्याण विभाग के इंजी.दिनेश द्विवेदी के घर से गिरफ्तार भी किया गया है।
नेताओं का दिखाता है धौंस
पीडि़त ने बताया कि युवक सत्ताधारी नेताओं के साथ फोटो खिंचाकर अधिकारी-कर्मचारियों सहित आम जन पर अपने आप को उनका करीबी बताकर धौंस जमाता है। इसीलिए आरोपी के लिए फर्जी रजिस्ट्रेशन कराने में कोई परेशानी नहीं हुई। इतना ही नहीं आरोपी के मोबाईल की जांच कराई जाए जिसमें कई बड़े खुलासे हो सकते हैं क्योंकि आरोपी द्वारा सत्ताधारी नेताओं की धौंस जमाकर ब्लैकमेलिंग का काम किया जाता है।
वाहन ट्रांसफर शाखा प्रभारी पर उठे सवाल ?
जानकारी के मुताबिक परिवहन कार्यालय में किसी भी वाहन को किसी अन्य व्यक्ति को बेचे जाने पर उसका रजिस्ट्रेशन ट्रांसफर कराना पड़ता है। इसके लिए क्रेता और विक्रेता दोनों को आईडी सहित आवेदन करना पड़ता है जिसमें सभी ओरिजनल दस्तावेज भी दिखाने पड़ते हैं। फाइल वाहन ट्रांसफर शाखा प्रभारी के पास पहुंचती है उनके द्वारा इसे सत्यापित किया जाता है लेकिन बड़ा सवाल यह है कि वाहन शाखा प्रभारी दर्शना वाकड़े द्वारा इन दस्तावेजों का सत्यापन किस प्रकार से किया गया की फर्जी तरीके से वाहन ट्रांसफर हो गया। बड़ा सवाल उनकी कार्यप्रणाली पर उठाया जा रहा है। इतना ही नहीं इसके बाद के अधिकारियों सहित आरटीओ मनीष त्रिपाठी ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया। अब इस मामले के चर्चा में आने के बाद आरटीओ कार्यालय में तरह तरह की चर्चाएं हो रही हैं कहा जा रहा है कि इस तरह के कई मामले आरटीओ कार्यालय में दफन हैं जिसमें आर्थिक लाभ के चक्कर में फर्जीवाड़ा कर दिया गया। आम जन को भटकाने वाले अधिकारियों से यह चूक कैसे हो गई यह भी चर्चा का विषय बना हुआ है।
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