रीवा।लोकसभा चुनाव 2024 के दूसरे चरण की नामांकन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अभ्यर्थियों को चुनाव चिन्ह भी प्रदान किया जा चुका है। मंगलवार से चुनावी शोर भी शुरू हो गया है। प्रमुख दल भाजपा, कांग्रेस व बसपा के चुनावी वाहन भी दौड़ना शुरू हो गए हैं। लाउड स्पीकर में प्रत्याशी का गुणगान करते हुए वाहन गली-मोहल्लों में नजर आने लगे हैं। राष्ट्रीय दलों के स्थानीय नेता तो प्रचार में जुटे ही हैं, प्रादेशिक व राष्ट्रीय स्तर के नेताओं की धमक भी तेज हो रही है।
पिछले दिनों नामांकन दाखिले के समय भाजपा व कांग्रेस दोनों के प्रत्याशियों ने शक्ति प्रदर्शन किया। भाजपा प्रत्याशी का नामांकन दाखिल कराने सूबे के निजाम डॉ मोहन यादव मौजूद रहे तो कांग्रेस प्रत्याशी ने प्रदेश प्रभारी, पीसीसी अध्यक्ष, वर्तमान व पूर्व नेता प्रतिपक्षगण सभी मौजूद रहे। भाजपा की अपेक्षा कांग्रेस के कार्यक्रम में भीड़ भी अधिक रही। लेकिन साढ़े 18 लाख मतदाता वाले संसदीय क्षेत्र में 5- 10 हजार की भीड़ हार-जीत का पैमाना नहीं बन सकती है।
अभी तो समय जनता के बीच जाकर उन्हें सम्मोहित करने का है। भाजपा पहले से ही जोर लगा रही है। भाजपा प्रदेश संगठन मंत्री हितानंद शर्मा पिछले दो दिन तक मऊगंज में डेरा डाले रहे। 11 अप्रैल को देश के रक्षामंत्री राजनाथ नईगढ़ी आ रहे हैं। लेकिन कांग्रेस में ऐसा नहीं है। प्रत्याशी और स्थानीय नेता ही चुनाव प्रचार में लगे हैं। स्थानीय नेताओं में कई ने टिकट घोषणा के बाद अपना पाला बदल लिया। लेकिन जो हैं, वह मैदान में जुटे हैं। चर्चा है कि रीवा संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस की कमान दो ठाकुर नेताओं के हाथ में रहेगी। दोनों प्रदेश की विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं। एक ठाकुर नेता डॉ गोविंद सिंह रीवा संसदीय क्षेत्र के चुनाव प्रभारी हैं और लगभग एक पखवाड़े से यहां डटे हैं। दूसरे जो विंध्य के ठाकुर नेता माने जाते हैं, अजय सिंह राहुल भैया, चर्चा है कि वह सीधी का चुनाव संपन्न होने के बाद रीवा में मजबूती से जुटेंगे। अभी हाल में रीवा दौरे में आए पीसीसी अध्यक्ष ने मंच से कहा था कि रीवा का टिकट अजय सिंह राहुल की सहमति पर दिया गया है। इसलिए रीवा का चुनाव जिताना उनकी जिम्मेदारी है। ऐसी परिस्थिति में रीवा जिले के तमाम ठाकुर नेताओं की भी जिम्मेदारी बन गई है। देखना है परिणाम क्या होगा।
ठाकुर वोटों पर कांग्रेस की नजर! दो ठाकुर नेताओं को रीवा में तैनात कर कांग्रेस ठाकुर वोटों पर नजर गड़ा दी है। पूर्व मुख्यमंत्री स्व. कुंवर अर्जुन सिंह व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल के समर्थक अब कांग्रेस प्रत्याशी को जिताने के लिए कितना जोर भरते हैं, यह तो आगे आने वाला समय बताएगा। लेकिन कांग्रेस ने यह दांव चल कर काफी समय से उपेक्षा झेल रहे स्थानीय ठाकुर नेताओं और वोटरों को चारा जरूर डाला है। ऐसी परिस्थिति में जब भाजपा व कांग्रेस दोनों से ब्राह्मण प्रत्याशी मैदान में हैं और बसपा ने पिछड़ा वर्ग से कुर्मी प्रत्याशी उतारा हो, तब ब्राहाण और क्षत्रिय दोनों वोटर मिलकर चुनावी फिजा को रोचक बना सकते हैं।
बसपा का पिछड़ा व अजा वर्ग पर फोकस: इधर रीवा में बसपा खासतौर से पिछड़ा और अजा-अजजा वोटरों पर विशेष फोकस कर रही है। बसपा की नींव भी 85-15 के नारे से पड़ी थी। हांलाकि बाद में माया की सोशल इंजीनियरिंग से सभी जाति वर्ग की इंट्री हो गई। रीवा लोकसभा चुनाव में सतना की हवा का असर पड़ता है। सतना में भाजपा ने पटेल और कांग्रेस ने कुशवाहा कंडीडेट उतारा है। यानी कि पिछड़ा वोट दो फांकों में विभाजित है। ऐसा लोग कहते हैं कि पटेल वर्ग सांसद गणेश सिंह पटेल को अपना जातीय नेता मानता है। ऐसे में पटेल वर्ग सतना में अपने नेता को जिताने के लिए रीवा में भाजपा के ब्राह्मण प्रत्याशी की ओर रुझान कर सकता है तो कुशवाहा समाज कांग्रेस की ओर। संख्या बल में कौन कितना मजबूत है, यह बात अलग है लेकिन समीकरण कुछ ऐसा ही बन सकता है। चुनाव का असली रुझान 20 अप्रैल के बाद समझ में आयेगा।