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रीवा। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल से इंस्ट्रूमेंट गायब होने का सिलसिला नहीं थम रहा है। इस मर्तबा दिल का ब्लाकेज खोलने में उपयोग होने वाला हार्ट स्टंट ही गायब हो गया। स्टोर से मरीज के नाम से इश्यू हुआ लेकिन लगा नहीं। अब तक तलाश जारी है। टेक्नीशियन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया है।
ज्ञात हो कि सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में स्पेशल बीमारियों के इलाज की ही व्यवस्था हैं। यहां यूरो, न्यूरो, कार्डिलॉजी और नेफ्रोलॉजी से जुड़ी बीमारियों का इलाज होता है। यह अस्पताल पूरी तरह से पेड है। इलाज का रुपया लगता है। यहां दवाइयां और उपकरण भी काफी महंगी है। इसी में यहां सेंध लगाया जा रहा है। पैथॉलाजी विभाग के बाद अब कॉर्डियोलॉजी विभाग में इंस्ट्रूमेंट के गायब होने का मामला प्रकाश में आया है। दरअसल मुख्य स्टोर से सभी विभागों के स्टोर को उपकरण उपलब्ध कराया जाता है। इसके बाद विभागीय स्टोर से ओटी और वार्डों को सामान दिया जाता है। कॉर्डियोलॉजी विभाग के ओटी स्टोर से दिल के ब्लाकेज में उपयोग होने वाला हार्ट स्टंट इश्यू तो किया गया लेकिन मरीज को लगा ही नहीं। इंस्टंट का पता ही नहीं चल रहा। हार्ट स्टंट के गायब होने का मामला सामने आने के बाद अब विभागीय अधिकारियेां के होश उड़े हुए हैं। हार्ट स्टंट की तलाश जारी है। टेक्नीशियन व स्टाफ को नोटिस जारी किया गया है।
महंगे आते हैं उपकरण
दिल की बीमारी से जुड़े उपकरण हजारों और लाखों रुपए में आते हैं। एक हार्ट स्टंट भी गायब होने पर प्रबंधन को सीधे तौर पर 30 से 35 हजार रुपए तक का नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में एक इंस्टंट भी यदि यहां से गायब कर बाजार में बेच दिया गया तो बेचने वाले को हजारों रुपए एक झटके में ही मिल जाएंगे। हालांकि सुपर स्पेशलिटी में उपकरणों का हेरफेर नया नहीं है। आयुष्मान कार्ड से उपकरण इश्यू कराकर किसी और को लगाने का धंधा यहां बड़ी तेजी से फलफूल रहा है।
क्या है हार्ट स्टंट
स्टंट धमनी में स्थायी रूप से फिक्स किया जाता है। यह रक्त के प्रवाह को बनाए रखने में मदद करता है। ब्लोकेज को खोलता है। हार्ट की धमनी के ब्लाकेज को खोलने के लिए इसे लगाया जाता है। हार्ट के एंजियोप्लास्टी में इसका उपयोग होता है। ब्लाकेज फिर न हो इसके लिए स्टंट डाला जाता है।
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ज्ञात हो कि सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में स्पेशल बीमारियों के इलाज की ही व्यवस्था हैं। यहां यूरो, न्यूरो, कार्डिलॉजी और नेफ्रोलॉजी से जुड़ी बीमारियों का इलाज होता है। यह अस्पताल पूरी तरह से पेड है। इलाज का रुपया लगता है। यहां दवाइयां और उपकरण भी काफी महंगी है। इसी में यहां सेंध लगाया जा रहा है। पैथॉलाजी विभाग के बाद अब कॉर्डियोलॉजी विभाग में इंस्ट्रूमेंट के गायब होने का मामला प्रकाश में आया है। दरअसल मुख्य स्टोर से सभी विभागों के स्टोर को उपकरण उपलब्ध कराया जाता है। इसके बाद विभागीय स्टोर से ओटी और वार्डों को सामान दिया जाता है। कॉर्डियोलॉजी विभाग के ओटी स्टोर से दिल के ब्लाकेज में उपयोग होने वाला हार्ट स्टंट इश्यू तो किया गया लेकिन मरीज को लगा ही नहीं। इंस्टंट का पता ही नहीं चल रहा। हार्ट स्टंट के गायब होने का मामला सामने आने के बाद अब विभागीय अधिकारियेां के होश उड़े हुए हैं। हार्ट स्टंट की तलाश जारी है। टेक्नीशियन व स्टाफ को नोटिस जारी किया गया है।
महंगे आते हैं उपकरण
दिल की बीमारी से जुड़े उपकरण हजारों और लाखों रुपए में आते हैं। एक हार्ट स्टंट भी गायब होने पर प्रबंधन को सीधे तौर पर 30 से 35 हजार रुपए तक का नुकसान उठाना पड़ता है। ऐसे में एक इंस्टंट भी यदि यहां से गायब कर बाजार में बेच दिया गया तो बेचने वाले को हजारों रुपए एक झटके में ही मिल जाएंगे। हालांकि सुपर स्पेशलिटी में उपकरणों का हेरफेर नया नहीं है। आयुष्मान कार्ड से उपकरण इश्यू कराकर किसी और को लगाने का धंधा यहां बड़ी तेजी से फलफूल रहा है।
सिर्फ टेक्नीशियन को होता है इश्यू
ओटी के लिए उपकरण सिर्फ चुनिंदा कर्मचारियों को ही इश्यू किया जाता है। कार्डियोलॉजी विभाग की ओटी के लिए स्टोर से किसी भी तरह का उपकरण सिर्फ टेक्नीशियन को ही दिया जाता है। इसका स्टॉक भी मेंटेन किया जाता है। इसके बाद भी यहां बड़ी चूक सामने आई है।
एचआईवी टेस्ट किट भी हुआ था गायब
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में उपकरण के गायब होने का मामला नया नहीं है। इसके पहले पैथालॉजी विभाग से करीब 700 एचआईवी टेस्ट किट मिसिंग हो गया था। स्टॉक रजिस्टर में टेस्ट किट की जानकारी ही दर्ज नहीं थी। इसकी जांच भी बैठाई गई थी। हालांकि मामले में क्या हुआ अब तक पता नहीं चल पाया है।
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क्या है हार्ट स्टंट
स्टंट धमनी में स्थायी रूप से फिक्स किया जाता है। यह रक्त के प्रवाह को बनाए रखने में मदद करता है। ब्लोकेज को खोलता है। हार्ट की धमनी के ब्लाकेज को खोलने के लिए इसे लगाया जाता है। हार्ट के एंजियोप्लास्टी में इसका उपयोग होता है। ब्लाकेज फिर न हो इसके लिए स्टंट डाला जाता है।
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