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रीवा। मीडिया सूत्रों की माने तो शासन द्वारा मंगलवार को जारी हुए आदेश की जानकारी जैसे ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों को हुई तो उनके बीच हड़कंप मच गया। इस आदेश को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं की जाने लगीं व मनमानी के आरोप भी लगाए गए। वहीं मामले को लेकर जनप्रतिनिधि भी विरोध की तैयारी में जुट गए हैं। बता दें कि यह आदेश क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं की पदस्थापना को लेकर मंगलवार को जारी किया गया है। जारी आदेश में क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं का प्रभार डॉ. एमएल गुप्ता को दिया गया है, जबकि बीते वर्ष इनको सीएमएचओ पद से इसलिए हटाया गया था क्योंकि इन पर करोड़ों के बंदरबांट का आरोप था। इतना ही नहीं, गुढ़ विधायक नागेन्द्र सिंह की शिकायत के बाद हुई जांच में कोरोना काल के समय हुई डेढ़ करोड़ से अधिक की खरीदी में डॉ. एमएल गुप्ता सहित कई जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारियों को दोषी भी पाया गया था। बावजूद इसके शासन द्वारा इससे भी उच्च पद पर एक विवादित और जांच में दोषी पाए गए अधिकारी की पदस्थापना की जानकारी जैसे ही स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों को हुई तो तरह-तरह की चर्चाएं होने लगीं और इसे पूरी तरह से गलत बताया जा रहा है।
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कई घोटालों में आ चुका है नाम
डॉ. एमएल गुप्ता के सीएमएचओ कार्यकाल में कई घोटालों में शिकायत हो चुकी है। इसमें कइयों में जांच के बाद वह दोषी भी मिले हैं, जिससे माना जा रहा है कि इससे उच्च पद में पदस्थापना के बाद वह इनसे संबंधित कागज भी प्रभावित कर सकते हैं। वहीं यह भी कहा जा रहा है कि आखिर जब घोटाला सामने आया तो इस प्रकार के अधिकारी को इस तरह के जिम्मेदार पद की जिम्मेदार क्यों दी गई है।
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जूनियर के अंडर में सीनियर
नियमत: इस पद में सीनियर विशेषज्ञ की पदस्थापना की जानी चाहिए। क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं का डॉ. प्रमोद पाठक के बाद डॉ. संजीव शुक्ला को प्रभार दिया गया था। लेकिन अब शासन से डॉ.एमएल गुप्ता को प्रभार दे दिया गया। जबकि वह डॉ. संजीव शुक्ला सहित अन्य विशेषज्ञों से जूनियर हैं। आदेश के बाद यह भी कहा जा रहा है कि जूनियर के अंडर में अब सीनियर को काम करना पड़ेगा।
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कई घोटालों में आ चुका है नाम
डॉ. एमएल गुप्ता के सीएमएचओ कार्यकाल में कई घोटालों में शिकायत हो चुकी है। इसमें कइयों में जांच के बाद वह दोषी भी मिले हैं, जिससे माना जा रहा है कि इससे उच्च पद में पदस्थापना के बाद वह इनसे संबंधित कागज भी प्रभावित कर सकते हैं। वहीं यह भी कहा जा रहा है कि आखिर जब घोटाला सामने आया तो इस प्रकार के अधिकारी को इस तरह के जिम्मेदार पद की जिम्मेदार क्यों दी गई है।
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जूनियर के अंडर में सीनियर
नियमत: इस पद में सीनियर विशेषज्ञ की पदस्थापना की जानी चाहिए। क्षेत्रीय संचालक स्वास्थ्य सेवाएं का डॉ. प्रमोद पाठक के बाद डॉ. संजीव शुक्ला को प्रभार दिया गया था। लेकिन अब शासन से डॉ.एमएल गुप्ता को प्रभार दे दिया गया। जबकि वह डॉ. संजीव शुक्ला सहित अन्य विशेषज्ञों से जूनियर हैं। आदेश के बाद यह भी कहा जा रहा है कि जूनियर के अंडर में अब सीनियर को काम करना पड़ेगा।
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