रीवा। नगर निगम प्रशासन द्वारा शहर के विकास कार्यो के लिए 103.72 करोड़ रुपए का खर्च किया जाएगा। इसके लिए अमृत-2.0 योजना के तहत निगम प्रशासन को केन्द्र सरकार द्वारा राशि स्वीकृति की गई है। हालांकि निगम प्रशासन ने इन कार्यो के लिए करीब 164.20 करोड़ राशि की मांग शहर की अवश्यकता के अनुसार की थी लेकिन इसमें भी कटौती कर शासन ने 103.72 करोड़ रुपए विकास कार्य के लिए स्वीकृत किए है। बता दें कि इस राशि का उपयोग निगम प्रशासन द्वारा प्लॉन के अनुसार करता है तो शहर में सुविधाओं का विस्तार होगा। किस कार्य के लिए कितनी राशि स्वीकृति की गई है इसकी जानकारी हम आपको इस खबर में देने जा रहे हैं। बता दें कि अमृत 2.0 के तहत निगम से शहर के विकास कार्य के लिए प्रस्ताव मांगे गए थे, पहले फेस में करोड़ो की राशि निगम को दी गई थी जिसको निगम द्वारा खर्च किया जा चुका है।
पेयजल के लिए 95 करोड़ स्वीकृत
बता दें कि निगम प्रशासन द्वारा शहर की पेयजल व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए अमृत योजना 2.0 के तहत निगम प्रशासन द्वारा 125.95 करोड़ रुपए की मांग की गई थी लेकिन निगम को 95 करोड़ रुपए की स्वीकृति शासन द्वारा दी गई है। इस राशि को निगम प्रशासन द्वारा पेयजल सुविधाओं को दुरुस्त करने में खर्च किया जाएगा। बता दें कि निगम प्रशासन द्वारा इससे पहले भी अरबो रुपए पेयजल के नाम पर खर्च किए गए है लेकिन पेयजल को लेकर जनता परेशान हैं। यदि इस राशि का खर्च ठीक से किया जाता है तो सुविधाएं बढ़ेंगी।
सीवरेज पर 5 करोड़
बता दें कि निगम के पास पहले से ही सीवरेज प्रोजेक्ट के लिए अमृत योजना के तहत 214 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृति है लेकिन निगम द्वारा इसका उपयोग ठीक से नहीं किया जा सका। सीवरेज प्रोजेक्ट का कार्य अब भी अधर में है, पूरा नहीं हुआ, समय सीमा से अधिक समय बीत चुका है लेकिन निगम ने अमृत 2.0 में भी 34.25 करोड़ रुपए की मांग कर डाली, जिसमें निगम को मात्र 5 करोड़ की स्वीकृति केन्द्र सरकार ने दी है, देखना यह है कि अब अधिकारी इसका उपयोग ठीक से कर पाते है कि इसका भी उपयोग पहले की तरह न किया जाए।
तालाब संरक्षण के लिए 4 करोड़
बता दें कि निगम प्रशासन द्वारा जल स्त्रोतो के संरक्षण के लिए केन्द्र सरकार से 4 करोड़ रुपए के बजट की मांग की थी लेकिन इसके लिए केन्द्र ने अमृत योजना 2.0 के तहत 3.72 करोड़ रुपए स्वीकृति किए है। जिसका उपयोग जल स्त्रोतों को संरक्षित करने के लिए किया जाएगा।
पार्क के लिए नहीं दिया स्टीमेट
बता देंकि निगम प्रशासन से केन्द्र सरकार ने पार्को के लिए भी स्टीमेट मांगा था लेकिन निगम ने एक भी रुपए की मांग पार्को के लिए नहीं की जबकि निगम के 80 प्रतिशत से अधिक पार्क अपना अस्तित्व खो रहे है इस बात की हैरानी है कि निगम ने एक भी रुपए की मांग अमृत 2.0 योजना के तहत नहीं की। हालांकि पूर्व में भी स्वीकृति राशि को आनन-फानन में टेंडर कर खर्च किया गया था और उस राशि से जो भी काम हुए उसमें आज भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं।
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