रीवा। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में आए दिन एक के बाद एक सफल आपरेशन हो रहे हैं। सुपर स्पेशलिटी में पहली बार लीडलेस पेसमेकर इंप्लांट करके फिर से एक स्वर्णिम अध्याय लिखा है। इसके पहले प्रदेश के किसी गवर्मेंट सेंटर में यह डिवाइस इंप्लांट नहीं हुई, यह उपलब्धि रीवा और विंध्य क्षेत्र के गर्व की बात है। चिकित्सकों ने बताया कि मरीज सतना का रहने वाला हैं। जिसे पिछले एक वर्ष से चक्कर और बेहोशी आना शुुरु हुआ। जिसके बाद उनके द्वारा रीवा सुपर स्पेशलिटी में दिखाया गया। बताया गया कि उस समय तत्काल उनकी पेसमेकर लगाकर जान बचाई गई, किन्तु 3 माह बाद पेसमेकर इरोजन हुआ, जिसके लिए फिर से दूसरी तरफ पेसमेकर लगाया गया फिर भी इरोजन के कारण वो प्रदेश में ही दूसरे सेंटर में एडमिट हुए वहां भी इरोजन हुआ और उनका फिर से पेसमेक रिवीजन हुआ। अंत में वह दक्षिण भारत के नद मेहता इंस्टिट्यूट में भर्ती हुए जहां पर फिर से उनका पेसमैक इरोजन हो गया। अंत में थक हार कर और परेशान होकर उन्होंने रीवा में सुपर स्पेशलिटी सहायक प्राध्यापक डॉ.एसके त्रिपाठी को दिखाया। बताया गया कि मरीज की समस्या सुन उनके द्वारा तुरंत मरीज को बुलवाकर लीडलेस पेसमैकर का प्लान बनाया क्योंकि सामान्य पेसमेकर मरीज को कई बार लग चुके थे, जो किसी न किसी कारण से फेल हो रहे थे। प्लान तो बना पर मरीज इतनी महगी डिवाइस नही लगवा सकता था और आयुष्मान में इस डिवाइस का कोई कोड नही है। जिसके बाद बताया गया कि फंड रेजिंग और चीफ मिनिस्टर फंड का भी सहारा लिया गया। इसमें रीवा विधायक और पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ल और कलेक्टर मनोज पुष्प की मदद ली गई। उनके सहयोग से यह इस डिवाइस को लगाया गया। बताया गया कि यह प्रदेश का इकलौता ऐसा केस है जिसमे जन सहयोग और गर्वनमेंट अथॉरिटीज ने मिलकर इतना बड़ा फंड इक_ा करके एक ऐतिहासिक केस करने में सहयोग दिया। मरीज अब पूरी तरह से स्वस्थ है और उसके मर्ज का उपचार भी पूरी तरह से हो चुका है। इस प्रकार से सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग को यह बड़ी उपलब्धि मिली है। लीडलेस पेसमेकर एक कैप्सूल के साइज की स्मार्ट डिवाइस है जिसे कैथेटर के माध्यम से पैर की नस के रास्ते से हार्ट में इंप्लांट किया जाता है इसमें सामान्य पेसमेकर के विपरीत कोई लीड या डिवाइस स्किन के नीचे इंप्लांट नहीं होती जिससे मरीज सर्जरी और उसके कॉम्प्लिकेशन से बच जाता है। बता दें कि लीडलैस पेसमेकर के लिए सहायक प्राध्यापक डॉ.एसके त्रिपाठी ने चेन्नई के इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिस्ट डॉ.बाबू एजुमलाई के सहयोग से किया। इसे सफल बनाने में डीन डॉ.देवेश सारस्वत, अधीक्षक डॉ.अक्षय श्रीवास्तव, विभागाध्यक्ष डॉ.व्हीडी त्रिपाठी का विशेष योगदान रहा। अंत में कार्डियोलॉजी टेक्निकल टीम जयनारायण मिश्रा, सत्यम, सुमन, मनीष और नर्सिंग स्टाफ इंद्रभान मांझी और पुष्पेंद्र के का भी सहयोग रहा।
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