डॉ अर्पिता अवस्थी के प्राचार्य की कुर्सी में आते ही एक बार फिर स्टाफ में ख़ुशी हैं. क्यूंकि पूर्व में भी प्राचार्य के कार्यकाल की सराहना होती रही हैं.
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खासतौर पर उनके द्वारा वर्षो से शोषित हो रहें स्ववित्तीय व जनभागीदारी अतिथि विद्वानों सहित छोटे तबके के कर्मचारी जिनसे वर्षो से एक ही मानदेय पर काम लिया जा रहा था.उनका मानदेय आते ही डॉ अर्पिता अवस्थी ने बढ़ाया था, जबकि डॉ केके शर्मा के ही कार्यकाल में विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम के घोषणा के बाद भी मानदेय नहीं बढ़ाया गया. जिसको लेके स्टाफ में काफी आक्रोश भी हैं. अब एक बार फिर डॉ अर्पिता अवस्थी को कुर्सी मिलने से उनकी उमीदे जाग उठी हैं.
स्टाफ का ही कहना हैं कि बीते कार्यकाल में जब से टीआरएस कॉलेज प्राचार्य की जिम्मेदारी डॉ.अर्पिता अवस्थी को दी गई तब से टीआरएस कॉलेज के व्यवस्थाओं में काफी सुधार हुए, पूर्व प्राचार्य के कई मामलो की पोल भी पोल भी एक के बाद एक खोली गई, वहीं आए दिन मारपीट, लड़ाई-झगड़े के लिए चर्चित कॉलेज में शांति का महौल उनके कार्यकाल में रहा। उपद्रवियों पर सख्त कार्यवाही की गई, इसके अलावा अपने घरों के लिए बतौर नोकर शासकीय रुपयों पर भर्ती किए गए कई कर्मचारियों को बाहर का रास्ता दिखाया गया तो कईयों को प्राध्यापकों के घर से वापस भी बुलाया गया।
शैक्षणिक व्यवस्था में सुधार हुए, प्राध्यापको व छात्रों के समय पर आने व जाने का सिलसिला भी शुरु हुआ, इसके अलावा कई महत्वपूर्ण निर्माण कार्य भी उनके द्वारा कॉलेज में कराए गए। हालांकि टीआरएस जब प्राचार्य पद से हटाया गया था तभी से उनको फिर जिम्मेदारी दिए जाने की मांग शुुरु हो गई थी।