रीवा। त्रिस्तरीय पंचायत के सबसे बड़ सदन जिला सरकार का गठन 29 जुलाई का होना सुनिश्चित हुआ है। पहले सम्मिलन में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुनाव होगा। इसके बाद अध्यक्ष के सहमति से स्थाई समितियों का गठन होगा जो विभिन्न विभागों की योजनाओं की समीक्षा के साथ ही नवीन कार्यों की रूपरेखा भी तैयार करेंगी। लेकिन अध्यक्ष- उपाध्यक्ष के चुनाव के पहले घमासान मचा हुआ है। जिला पंचायत का अगला अध्यक्ष-उपाध्यक्ष कौन होगा इसके लिए कसरत जारी है। राजनैतिक दल भाजपा कांग्रेस अपने अपने खेमे के अध्यक्ष उपाध्यक्ष बैठाने के लिए पूरी ताकत लगाए हुए हैं। साम-दाम व भेद की राजनीति चरम पर है। बहुमत के लिए नवनिर्वाचित सदस्यों को अपने खेमे लाने के लिए हर कोशिश जारी है। सदस्यों की मुंह मांगी मुरादें पूरी की जा रही है। वह खजुराहो व शिर्डी में फाइव स्टार होटलों में अपनी थकान मिटा रहे हैं। कई सदस्य तो चुनाव जीतने के बाद घर गांव का मुंह ही नहीं देख पा रहे हैं। चुनाव जिताने वाली जनता अपने जनार्दन की एक झलक पाने के लिए तरश रही है। ऐसा नहीं कि जो सदस्य जिला पंचायत का चुनाव जीते हैं सभी इतने धनी हैं कि हाई्रप्रोफाइल जीवन जीने लगे। कईयों के पास तो प्रचार करने के लिए वाहन लगाने की भी दिक्कत थी लेकिन चुनाव जीतने के बाद अधिकांश की लाइफ स्टाइल चेंज हो गई। इसका कारण अध्यक्ष उपाध्यक्ष का चुनाव ही बताया जा रहा है। चर्चा यहां अध्यक्ष अजजा महिला के लिए आरक्षित होने के कारण मुख्य फोकस उपाध्यक्ष पद पर है। चर्चा यह भी है कि सामान्य व पिछड़ा वर्ग से जीते हुए धनबली सदस्य उपाध्यक्ष की कुर्सी पाने के लिए सदस्यों को न केवल हाईप्रोफाइल सुविधाएं मुहैया करा रहे हैं अपितु 30-35 पेटी के लिफाफे का भी इंतजाम कर रहे हैं। ऐसे में यह कह पाना मुश्किल हो रहा है कि किस उपाध्यक्ष के खेमे का अध्यक्ष बनेगा किसके नहीं। हम इन बातों की पुष्टि नहीं करते क्योंकि यह तो चर्चाओं की बात है। फिर भी जिस तरह से अध्यक्ष-उपाध्यक्ष बनने के लिए धन बल का उपयोग किया जा रहा है उससे ऐसा नहीं लगता कि निष्पक्ष व स्वतंत्र जिला सरकार बन पायेगी जो जनता के हितों के लिए काम करे।
इन नामों की चर्चा आम
जिला पंचायत रीवा में 32 वार्डं हैं। संबंधित वर्ग के लिए आरक्षित वार्डों से सदस्य भी चुनकर आ गए हैं। इन्हीं सदस्यों में से अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुनाव होना है। रीवा में जिला पंचायत अध्यक्ष का पद अजजा महिला के लिए आरिक्षत है। जबकि उपाध्यक्ष का पद अनारक्षित है। यानी आरक्षित-अनारक्षित दोनो वर्ग के महिला व पुरुष सदस्य उपाध्यक्ष बन सकते हैं। चूंकि उपाध्यक्ष का पद अनारक्षित है इसलिए सामान्य वर्ग के सदस्य अपना अधिकार मान कर आगे दौड़ रहे हैं। हांलाकि पिछड़ा वर्ग से चुनाव जीते हुए कई कंडीडेट भी उपाध्यक्ष बनने की लालसा में हैं। हम अध्यक्ष की बात करें तो जिला पंचायत के 32 वार्डों में से पांच वार्डों में अजजा महिला कंडीडेटों ने चुनाव जीता है उनमें वार्ड नं एक से नीता कोल (पूर्व जिपं सदस्य), वार्ड नं चार से सुंदरिया कोल, वार्ड 20 से सुमन कोल, वार्ड 31 अनीता बब्बू सिंह गोंड़ व वार्ड 32 से बूटी कोल शामिल हैं। इनमें
अब तक बन चुके अध्यक्ष व उनका कार्यकाल
प्रदेश में 1993 में मंजूलता तिवारी 1994-2000, नत्थूलाल कोल 2000-2005, बबिता साकेत 2005 से 2010, माया सिंह 2010 से 2015, व अभय मिश्रा 2015 से अब तक।