arbitrariness in Rewa JD office:संयुक्त संचालक लोक शिक्षण में भरेंशाही मची है। रिटायरमेंट के बाद भी लेखापाल कुर्सी नहीं छोड़ रहे। रिटायरमेंट के बाद भी हर दिन कार्यालय पहुंच कर फाइलें निपटा रहे हैं। फाइलों में हेरफेर कर रहे हैं। यहां पदस्थ कर्मचारियों को प्रभार नही मिल रहा है। जेडी का खुला संरक्षण मिला हुआ है।
मिली जानकारी के अनुसार संयुक्त संचालक लोक शिक्षण में लेखापाल सीडी द्विवेदी अर्द्धवार्षिकीय आयु पूरी करने के बाद रिटायर हो चुके हैं। विभाग से उनके सारे स्वत्वों का भी भुगतान भी किया जा चुका है। पेंशन भी बन गई है। इसके बाद भी सीडी द्विवेदी विभाग से नाता नहीं तोड़ पा रहे हैं। उन्हें ऊपरी कमाई का ऐसा चस्का चढ़ा है कि वह अधिकारी के साथ मिलकर सरकारी रिकार्ड में हेरफेर करने से अब भीन हीं चूक रहे हैं। सीडी द्विवेदी, रिटायर्ड लेखापाल के पास विभागीय जांच, ऑडिट और निरीक्षण का प्रभार था। अब तक यह प्रभार किसी को नहीं दिया गया है। अभी भी रिटायरमेंट के बाद यह सारा प्रभार सीडी द्विवेदी ने अपने कब्जे में ही लिया हुआ है।
शासन से इन्हें दोबारा काम पर रखने का कोई आदेश भी नहीं हुआ है। फिर भी इन्हें विभागीय कार्य कराया जा रहा है। संयुक्त संचालक पर सीधा आरोप लग रहा है। उनके संरक्षण में ही सीडी द्विवेदी सरकारी फाइलों में लिखा पड़ी कर रहे हैं। रिटायरमेंट के बाद अब यदि अब इन सरकारी रिकार्ड में कुछ भी गलत लिखा पढ़ी होती है तो इसका असर विभाग में पदस्थ कर्मचारियों पर पड़ेगा।
इसके बाद भी जेडी की सहमति से रिटायर्ड कर्मचारी बराबर कार्यालय पहुंच करकाम कर रहा है। सूत्रों की मानें तो उनके पास महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां है। विभागीय जांच, स्कूलों की ऑडिट आदि में मोटी कमाई कर सकते हैं। यही वजह है कि वह यह विभाग छोड़ना नहीं चाहते हैं। स्कूलों की ऑडिट के नाम पर प्राचार्यों से लाखों रुपए ऐंठा जाता है। इसी में मुख्य कमाई है। इसके अलावा जो भी कर्मचारी, अधिकारी विभागीय जांच में फंसे हैं। वह भी अपना प्रकरण खत्म करने के लिए कोई भी राशि देने को तैयार हो जाता है।
इसीलिए यह प्रभार हाथ से रिटायर्ड कर्मचारी जाने नहीं देना चाह रहे हैं। इनकी पहुंच भी भोपाल तक है। विभागीय कार्यों में अच्छी पकड़ है। कहां से किस कर्मचारी, अधिकारी को फंसा कर रुपए निकाला जा सकता है। यह वह भली भांति जानते हैं। यही वजह है कि जेडी लोक शिक्षण भी उन्हें कार्यालय से हटाना नहीं चाह रहे हैं।