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रीवा की खबरे…
आदिवासी युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान किये जायेंगे
रीवा। अनुसूचित जाति एवं जनजाति कार्य विभाग के जिला संयोजक ने बताया कि भगवान बिरसा मुण्डा स्वरोजगार योजना एवं टंटया मामा आर्थिक कल्याण योजना अन्तर्गत आदिवासी युवाओं को स्वरोजगार के अवसर प्रदान करने हेतु पोर्टल के माध्यम से 25 अक्टूबर तक आवेदन करें। जिला संयोजक ने बताया कि भगवान बिरसा मुण्डा स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत प्रत्येक अधीक्षक या अधीक्षिका को एक-एक प्रकरण तथा टंटया मामा आर्थिक कल्याण योजना अन्तर्गत प्रत्येक अधीक्षक या अधीक्षिका को पांच-पांच प्रकरण के आवेदन पोर्टल के माध्यम से आनलाइन आवेदन करें। जिला संयोजक ने कहा कि समस्त पोर्टल के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन करें।
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धान उपार्जन के लिए पंजीयन की अंतिम तिथि आज
रीवा। खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 में धान उपार्जन के लिए किसानों का पंजीयन निर्धारित खरीदी केन्द्रों तथा कियोस्क सेंटरों में किया जा रहा है। पंजीयन की अंतिम तिथि 15 अक्टूबर थी। शासन ने किसानों की सुविधा को देखते हुए पंजीयन 21 अक्टूबर तक कराने के आदेश जारी किए हैं। धान के साथ-साथ ज्वार, बाजरा तथा मक्का के उपार्जन के लिए भी अब किसान 21 अक्टूबर तक पंजीयन करा सकते हैं। किसान आवश्यक अभिलेखों के साथ 21 अक्टूबर तक अपना पंजीयन करा सकते हैं। जिले में धान खरीदी के लिए बनाए गए 84 खरीदी केन्द्रों में भी किसानों का पंजीयन किया जा रहा है। इस संबंध में अपर कलेक्टर शैलेन्द्र सिंह ने बताया कि किसान पंजीयन की प्रक्रिया ई-उपार्जन पोर्टल एवं एमपी किसान एप पर कर सकते हैं। पंजीयन के लिए कियोस्क कामन सर्विस सेंटर तथा लोक सेवा केन्द्र पर भी सुविधाएं उपलब्ध हैं। किसानों का पंजीयन गिरदावरी के आधार पर किया जाएगा। पूर्व से पंजीकृत किसानों एवं नवीन किसानों की भूमि का रकबा, फसल एवं फसल की किस्म की जानकारी गिरदावरी से ली जायेगी। पंजीयन ओटीपी आधारित व्यवस्था से होगा। खरीफ विपणन वर्ष 2022-23 में किसान पंजीयन सिकमी/बटाईदार अनुबंध ही मान्य होंगे। उन्होंने कृषक से अपेक्षा की है कि पंजीयन की निर्धारित समयावधि में पंजीयन केन्द्र/गिरदावरी एप से पंजीयन करायें।
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आईएफएमआईएस केयर वीक का संचालन आज तक
रीवा। वरिष्ठ कोषालय अधिकारी आरडी चौधरी ने बताया कि आईएफएमआईएस के अंतर्गत आहरण संवितरण अधिकारियों को आ रही समस्याओं का निराकरण करने के लिए विभाग द्वारा आईएफएमआईएस केयर वीक का आयोजन 21 अक्टूबर तक किया जा रहा है। वरिष्ठ कोषालय अधिकारी ने कहा कि समस्त आहरण एवं संवितरण अधिकारी आईएफएमआईएस से संबंधित ईएसएस पेरोल डिपॉजिट आरएण्डडी पेंशन वेब पोर्टल संचालन में आ रही समस्याओं का निराकरण कोषालय के सिस्टम मैनेजर से संपर्क कर करें। उन्होंने कहा कि आहरण एवं संवितरण अधिकारी द्वारा बुक की गई एसडी, पत्राचार, ईमेल से कोषालय के सिस्टम मैनेजर, नोडल अधिकारी एवं सहायक कर्मचारी को ईमेल से अवगत कराया जाए। उन्होंने कहा कि कार्यालय से संबंधित समस्याओं का निराकरण कोषालय में आकर ही करें।
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डीएपी के स्थान पर एनपीके के प्रयोग की किसानों को सलाह
रीवा। जिले के कृषकों को सलाह दी गई है कि वह डीएपी के स्थान पर एनपीके उर्वरकों का प्रयोग करें। कृषि वैज्ञानिकों ने अपनी सलाह में कहा है कि डीएपी का लागत मूल्य 1350 रूपये प्रति बोरी है जिसमें केवल दो तत्व नाइट्रोजन व फास्फोरस प्राप्त होते है। जबकि एनपीके उर्वरक की कीमत 1470 रूपये प्रति बोरी है एवं इसमें फसलों के लिए आवश्यक सभी तीन मुख्य पोषक तत्वों नत्रजन, स्फुर एवं पोटाश की उपलब्धता होती हैं। इस प्रकार एनपीके उर्वरक से नत्रजन एवं स्फुर के अलावा पौधों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण तत्व पोटाश की पूर्ति किसान भाई सफलतापूर्वक कर सकते हैं। अत: एनपीके उर्वरक का प्रयोग करने पर किसान भाईयों को अलग से पोटाश डालने की जरूरत नहीं पड़ती है व लागत में कमी आती है। अत: किसान भाइयों के लिए डीएपी के स्थान पर एनपीके का प्रयोग लाभप्रद रहेगा।
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