Police recovered 113 minors, big expos:सीधी. पुलिस मुख्यालय के निर्देशन पर अपनों के चेहरों पर खुशियां लाने के लिए पुलिस विभाग ने ऑपरेशन मुस्कान शुरू किया है। अभियान के तहत पुलिस द्वारा घर से बिना बताए लापता हुए नाबालिगों को खोजकर वापस उनको अपनों से मिलाया जा रहा है। अभी तक दर्जन भर से अधिक नाबालिग बरामद हो चुके हैं। जिले में हर माह दो दर्जन के लगभग नाबालिग बच्चे लापता होते हैं। इसमें एक बड़ी संख्या लड़कियों की होती है। इन नाबालिगों पर थाने में धारा 363 के तहत अपराध पंजीबद्ध किया जाता है। ऐसे नाबालिग बच्चों को ढूंढ कर लाने के लिए पुलिस विभाग द्वारा ऑपरेशन मुस्कान चलाया जा रहा है।
पुलिस अधीक्षक डॉ. रविन्द्र वर्मा के निर्देश पर सभी थाना प्रभारी 363 के मामलों में लापता बच्चों को खोजने का प्रयास कर रहे हैं। पुलिस ने पूरे देश में एक बड़ा सर्च आपरेशन शुरू किया है। उक्त अभियान से 13 जून 2024 तक 113 नाबालिग बच्चों को बरामद किया जा चुका है। उनको सुरक्षित अपने घर वालों को सौंप दिया है। अपने बच्चों से बिछड़े परिजनों के चेहरे पर खुशियां वापस लौट आई। दर्जनों अभी भी लापता: जिले से अभी भी काफी संख्या में नाबालिग लापता हैं, जिनको पुलिस इस अभियान में दस्तयाब करने का प्रयास करेगी। दर्जनों के लगभग अभी भी नाबालिग लापता हैं जिसमें सबसे अधिक संख्या लड़कियों की है। इनके मामले विभिन्न थानों में दर्ज हैं और उन सभी की तलाश में पुलिस देश के राज्यों में घूम रही है।
कई राज्यों से बरामद हुए नाबालिक
जिन मामलों में नाबालिगों ने किसी के द्वारा बहला-फुसलाकर ले जाने की जानकारी दी गई है उसमें आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। दरअसल बहला फुुसलाकर ले जाई जाने वाली लड़कियां कई बार मानव व्यापार, देह व्यापार जैसे गलत धंधों में फंस जाती हैं। यही कारण है कि पुलिस द्वारा जल्द इन नाबालिगों को बरामद कर उनको सकुशल परिजनों से मिलाने के लिए सर्च आपरेशन शुरू किया गया है। इन लड़कियों को गुजरात, मुंबई, जयपुर, पूणे, इंदौर, बंगलौर, दिल्ली, दमनदीव से बरामद कर वापस लाया गया है।
लापता होने वाले ज्यादातर नाबालिग
पुलिस अधीक्षक डॉ. रविन्द्र वर्मा ने बताया कि काम की तलाश में अधिकांश नाबालिग घर से जाते हैं। जिन बच्चों के घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं होती है वे काम की तलाश में बाहर भाग जाते हैं। ज्यादातर लड़कियां प्रेम प्रसंग और काम करने के लिए जाती हैं। प्रेम प्रसंग में फंसकर जाने वाली लड़कियों की संख्या भी सर्वाधिक होती है। इन घटनाओं को रोकने के लिए आवश्यक है कि माता-पिता घर में बच्चों का नियमित ध्यान रखें और उनकी गतिविधियों पर नजर रखें। उन्हें हर हाल में शिक्षा दिलाने का प्रयास करें और पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करें ताकि वे दूसरी गतिविधियों में लिप्त न हो सके।