सीधी/शहडोल.. संसदीय क्षेत्र शहडोल के चुनाव में भाजपा से दूसरी मर्तबा चुनाव मैदान में उतरी हिमाद्री सिंह को नई राजनैतिक पहचान भाजपा से ही मिली है। उनके माता राजेश नंदिनी-पिता दलवीर सिंह कट्टर कांग्रेसी थे। जिनकी बदौलत शहडोल कांग्रेस का अभेद किला बना रहा। शहडोल लोकसभा सीट में दलवीर सिंह तीन बार कांग्रेस के टिकट पर सांसद रहे। इतना ही नहीं कांग्रेस सांसद रहते हुए दो बार दलवीर सिंह केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे। इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि उनका कद आदिवासी अंचल में कितना बड़ा था। फिर इसके बाद जब शहडोल लोकसभा सीट पर 1999 में अजीत जोगी के हारने के बाद भाजपा ने एक बार फिर से अपना कब्जा जमा लिया थाए तो फिर 2009 के चुनाव में एक बार फिर से कांग्रेस की जिसने वापसी कराई थी वो हिमाद्री सिंह की माता और कांग्रेस की कट्टर नेता राजेश नंदिनी ही थीं, जो 2009 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के प्रत्याशी नरेंद्र मरावी को भारी मतों के अंतर से हराया था। एक बार फिर से शहडोल लोकसभा सीट पर कांग्रेस की वापसी कराई थी और सांसद बनीं थीं।
हिमाद्री के माता-पिता भले ही कट्टर कांग्रेसी रहे, लेकिन हिमाद्री के राजनीतिक करियर में बदलाव का दौर तब शुरू हुआ। जब हिमाद्री सिंह ने साल 2017 में भाजपा नेता नरेंद्र मरावी से शादी कर ली और उसी के बाद से उनके राजनीतिक करियर में एक बड़ा बदलाव भी आया, जो इनके लिए किस्मत कनेक्शन वाला भी रहा। नरेंद्र मरावी बीजेपी के वो नेता हैं, जिन्हें हिमाद्री सिंह की मां ने 2009 के चुनाव में भारी मतों के अंतर से हराया था। जब नरेंद्र मरावी की हिमाद्री से शादी हुई। उसके बाद हिमाद्री ने कांग्रेस छोड़ दी और बीजेपी में शामिल हो गईं। जिसके साथ ही उनके राजनीतिक कैरियर में भी एक नई उड़ान भरी जो अब सतत ऊंचाइयों पर उड़ती जा रही हैं और वह सफलता की सीढिय़ों को चढ़ती जा रही हैं। हिमाद्री सिंह ने 32 वर्ष की उम्र में 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से प्रत्याशी बनने के बाद जीत का नया इतिहास बनाया था।
2019 के जब लोकसभा चुनाव हो रहे थे, उस दौरान शहडोल लोकसभा सीट पर बहुत कुछ हो रहा था। हिमाद्री सिंह भाजपा ज्वाइन कर चुकी थीं। भारतीय जनता पार्टी ने हिमाद्री सिंह को अपना प्रत्याशी भी बना दिया था, तो वहीं हिमाद्री सिंह के सामने महिला नेता व पूर्व विधायक प्रमिला सिंह की चुनौती थी। प्रमिला सिंह उस समय नाराज होकर कांग्रेस ज्वाइन कर ली थी। कांग्रेस ने प्रमिला सिंह को अपना प्रत्याशी भी बनाया था। इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी हिमाद्री सिंह ने प्रमिला सिंह को करारी शिकस्त दी थी। इस जीत के साथ ही हिमाद्री सिंह पहली बार सांसद भी बन गई थीं। इस जीत के साथ ही उनका राजनीतिक करियर भी लगातार ऊंचाइयों पर पहुंचता गया। हिमाद्री सिंह 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के साथ ही हिमाद्री सिंह ने एक नया इतिहास भी बनाया था। हिमाद्री सिंह एक पढ़ी-लिखी और वो महिला आदिवासी नेता हैं, जो महज 32 साल की उम्र में ही सांसद बन गई थीं, ये भी उनके लिए एक बड़ी उपलब्धि है।
लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है। मध्य प्रदेश में पहले ही चरण में जिन लोकसभा सीटों पर चुनाव होने हैं। उसमें शहडोल लोकसभा सीट भी शामिल है। 19 अप्रैल को यहां मतदान होगा, जिसकी तैयारियां जोर-शोर से चल रही हंै। नामांकन फार्म भी भरे जा चुके हैं। बीजेपी ने एक बार फिर से सांसद हिमाद्री सिंह पर ही भरोसा जताया है। उन्हें फिर से शहडोल लोकसभा सीट से चुनावी मैदान पर उतार दिया है। लोकसभा के रण में आदिवासी महिला नेता व भाजपा प्रत्याशी हिमाद्री सिंह को मजबूत एवं जनाधार वाला प्रत्याशी माना जा रहा है। शहडोल लोकसभा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। यहां पर एक बार फिर से बीजेपी ने अपनी महिला सांसद हिमाद्री सिंह पर ही भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीट के लिए बीजेपी ने जिन प्रत्याशियों के नाम का ऐलान किया है। इस बार 29 में से 6 सीट पर महिला उम्मीदवारों को टिकट दिया है।
जिसमें से शहडोल लोकसभा सीट से हिमाद्री सिंह को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है। हिमाद्री सिंह वर्तमान में इस लोकसभा सीट से सांसद भी हैं और इन पर सब की नजर भी है। नामांकन पत्रों की जांच का काम 30 मार्च को होने के बाद शहडोल संसदीय क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतरने वाले सभी प्रत्याशियों की स्थिति साफ हो जाएगी। शहडाल सीट से भी मुख्य मुकाबला भाजपा-कांग्रेस के बीच ही होना तय माना जा रहा है। इसी वजह से चुनाव मैदान में कांग्रेस की ओर से भी पूरी ताकत झोंकने का प्रयास किया जाएगा। जिससे ज्यादा से ज्यादा मतदाता इस चुनाव में कांग्रेस की ओर आकर्षित हो सकें। अप्रैल महीने के प्रथम सप्ताह में चुनावी प्रचार की सरगर्मी शबाब पर पहुंंच जाएगी।