Paddy will be sown in this much land in Rewa, the target will be fixed:रीवा.खरीफ फसल की बोनी के लिए कृषि विभाग ने रकबा निर्धारित किया है। पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष कृ षि विभाग द्वारा अलग-अलग फसल बोनी के लिए रकबा बढ़ाया गया है। कृषि विभाग ने पिछले वर्ष की बोनी के अनुसार इस वर्ष का लक्ष्य तैयार किया है। बताया गया कि किसानों द्वारा जिले में केवल धान की खेती की जाती है, लेकिन अन्य फसलों की बोनी जिले में कम कर दी गई है। जिसको देखते हुए कृषि विभाग द्वारा किसानों अन्य फसलों के बारे में जागरूक कर अलग-अलग बीजों के बारे में खेती करने की सलाह दी जा रही है, जिससे किसानों को अन्य फसलों में भी फायदा हो। देखा जाए तो जिले के किसान खरीफ में केवल धान व रबी में गेंहू की खेती बहुतायत में करते हैं, जिससे किसानों को अच्छा मुनाफा हाथ नहीं लगता है। यदि सभी फसलों क ी बोनी किसानों द्वारा की जाए तो अच्छा लाभ प्राप्त होगा। इसके साथ ही किसानों को हर दो-तीन वर्षों में मिट्टी का परीक्षण कराना चाहिए, जिससे मिट्टी में पोषक तत्वों में कमी की पूर्ति की जा सके।
अन्य फसलों को बढ़ावा
जिले में पिछले पांच सालों में देखा जाए तो किसानों द्वारा ज्यादा धान की ही खेती की जा रही है। मुनाफा तो किसानों को हो रहा है, लेकिन किसान अन्य बीज की बोनी नहीं कर रहे हंै। जिसके चलते कृषि विभाग किसानों को अलग-अलग बीजों के बारे में समझाइश देकर उन्हें जागरूक कर रहा है। धान की अपेक्षा देखा जाये तो किसानों को अन्य फसलों में ज्यादा मुनाफा है। आपको बता दें कि पिछले दो वर्षों में कृषि विभाग ने किसानों को समझाइश देकर धान सहित अन्य फसलों को बढ़ावा देने में जोर दिया है। पिछले वर्ष की प्रति के अनुसार इस वर्ष लक्ष्य का आकड़ा तैयार किया गया है। नए सत्र में मोटे अनाज का रकबा 282.38 हजार हेक्टयर है वहीं दलहन में 61.55 हजार हेक्टयर है, साथ ही तिलहन में 15.47 हजार हेक्टयर रकबे में बढ़ोतरी की गई है।
बोनी के लिए निर्धारित फसलें
जिले में पिछले वर्ष की तरह कृषि विभाग द्वारा बोनी के लिए कई फसलों का चयन किया गया है। बताया गया कि मोटे अनाज में धान, मक्का, ज्वार, बाजरा व कोदो कुटकी हैं, वहीं दलहन में उड़द, मूंग व अरहर के साथ साथ तिलहन में तिल, सोयाबीन व अन्य तिलहन शामिल हंै।
श्री विधि से धान की रोपाई करंे किसान
जिले में काफी बड़े क्षेत्र में धान की खेती की जाती है। अधिकतर किसान रोपा विधि से धान लगाते हैं। इसकी तुलना में मेडागास्कर विधि जिसे एस.आर.आई. श्री विधि कहा जाता है, इस विधि से धान लगाना अधिक लाभकारी होता है। इसमें कम पानी, कम बीज और बिना खरपतवार के धान का अच्छा उत्पादन होता है। परंपरागत विधि से किसान की प्रति हेक्टेयर 20 से 25 क्विंटल धान की उपज मिलती है। इसकी तुलना में श्री विधि से धान लगाने पर प्रति हेक्टेयर 35 से 50 क्विंटल धान का उत्पादन ज्यादा होता है। इस विधि को अपनाने के लिए कृषि विभाग द्वारा किसानों को जागरूक किया जा रहा है।
मिट्टी का परीक्षण कराएं किसान
जिले में लगभग पांच सालों से मृदा के पोषक तत्वों में कमी देखने को मिली है, यहीं कारण है कि किसानों को फसलों का अच्छा उत्पादन नहीं मिल पा रहा। जिसको देख कृषि विभाग किसानों को मिट्टी परीक्षण की सलाह दे रहे हैं। जिले में नाइट्रोजन व जिंक की भारी कमी मृदा में हो रही है, जिसके चलते किसानों की फसलों का उत्पादन अच्छा नहीं हो पा रहा है।
फसलों की बोनी का क्षेत्रफल प्रति हजार हेक्टेयर में
फसल 2022 गत वर्ष अनुमानित लक्ष्य
धान 279.77 272.67 272.69
ज्वार 0.263 3.78 3.81
मक्का 0.578 1.02 1.05
बाजरा 0.390 1.35 1.34
कोदोकुटकी 0.288 3.47 3.49 अरहर 7.090 18.74 18.75
मूंग 3.051 17.69 17.85
उड़द 15.560 24.81 24.95
तिल 3.990 14.31 14.56
सोयाबीन 0.435 0.89 0.91
अन्य तिलहन 0.450 0.00 0.00
कुल 311.86 358.73 359.40