उत्तर प्रदेश/मध्य प्रदेश। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की सीमा से लगा चित्रकूट धाम एक ऐसा दार्शनिक स्थल है जहां भारत देश भर से नहीं बल्कि विदेशों से लोग दर्शन के लिए आते हैं। यहां दर्शन करने श्रद्धालुओ की भीड़ 12 मास जुटी रहती है। लेकिन चित्रकूट धाम से जुड़ा एक बेहद ही रोचक तथ्य आप शायद ही जानते हो, हम बात कर रहे हैं चित्रकूट धाम को चित्रकूट धाम कब से कहा जाने लगा और इसके पहले चित्रकूट धाम को किस नाम से जाना जाता था। दरअसल आप चित्रकूट धाम चित्रकूट जिले में है जबकि पहले चित्रकूट बांदा जिले में हुआ करता था।
मान्यता है कि यहां वनवास के दौरान भगवान प्रभु श्री राम ने सबसे अधिक समय बिताया था और यहां बड़े-बड़े संतों ने अपना समय गुजर और ईश्वर की भक्ति की। इसीलिए चित्रकूट धाम को संतों की नगरी के नाम से भी जाना जाता है। मंदाकिनी नदी के किनारे बसा हुआ चित्रकूट धाम यहां आने वाले श्रद्धालुओं को काफी लुभाता है। ईश्वर की भक्ति के साथ-साथ यहां से दवा लोगों को कई ऐसे रोचक स्थल देखने को मिलते हैं जो विश्व में अपने आप में एक अलग पहचान बनाए हुए हैं।
बता दे की 6 मई 1997 को बांदा जिले से अलग कर चित्रकूट को नया जिला बनाया गया। बताया जाता है कि जब चित्रकूट को जिला बनाया गया तो इसका नाम चित्रकूट नहीं हुआ करता था। बल्कि चित्रकूट को उसके पुराने नाम छत्रपति शाहू जी महाराज नगर के नाम से जाना जाता था। इस जिले का नाम 4 सितंबर 1998 में बदलकर चित्रकूट रख दिया गया।
बताया जाता है कि छत्रपति शाहू जी महाराज नगर का नाम बदलकर चित्रकूट इसलिए भी रखा गया क्योंकि एक समय यहां अशोक के पेड़ बहुत हुआ करते थे इसलिए इसका नाम चित्रकूट रख दिया गया। हालांकि अब मध्य प्रदेश शासन द्वारा चित्रकूट के विकास को लेकर विशाल योजना तैयार की गई है और यहां विकास कार्यों के लिए लगातार बड़ी राशि दी जा रही है।