भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस के लिए तीन संसदीय क्षेत्रों के लिए प्रत्याशियों का चयन करना टेढ़ी खीर होने के समान हो गया है। इन सीटों पर जिन्हें पार्टी चुनाव लडऩा चाहती है, वे तैयार नहीं हैं और जो टिकट मांग रहे हैं, उन पर पार्टी भरोसा नहीं कर पा रही है। मध्यप्रदेश कांग्रेस अपने यहां मची भागमभाग को लेकर पशोपेश में है। आखिर वह 28 लोकसभा सीटों पर चुनाव किन के सहारे लड़ेंगे। लेकिन इससे भी ज्यादा वह इसलिए परेशान है कि शेष बची 3 संसदीय सीटों पर ऐसे कौन से चेहरे हों जो भाजपा को चुनौती दे सकें। दरअसल पार्टी को सपा से गठबंधन के बाद 28 सीटों पर प्रत्याशी तय करने हैं। अब तक पार्टी 25 संसदीय सीटों के लिए अपने प्रत्याशियों का एलान कर चुकी है, लेकिन मुरैना, खंडवा और ग्वालियर सीट होल्ड पर हैं। यहां पर प्रत्याशियों को लेकर पार्टी सर्वमान्य चेहरा तय नहीं कर पा रही है।
सिंगल नाम मांगे दिल्ली ने
इन तीनों सीटों के लिए दिल्ली ने पीसीसी से सिंगल नाम मांगे हैं। लेकिन पार्टी के लिए मुसीबत यह है कि वे किसी भी सीट पर इकलौता नाम तय नहीं कर पा रही है। सूत्रों की मानें तो पार्टी खंडवा से अरुण यादव को मनाने में जुटी हुई है, तो मुरैना से वह पूर्व नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविन्द सिंह को मैदान में उतारना चाहती है। हालांकि डॉ. सिंह पहले ही चुनाव लडऩे से इंकार कर चुके हैं।
मुरैना: इस संसदीय सीट पर कांग्रेस की टिकट के लिए पूर्व विधायक सत्यपाल सिंह सिकरवार, जौरा विधायक पंकज उपाध्याय का नाम चर्चा में है। पार्टी जातिगत समीकरण को देखते हुए इस सीट पर सर्वमान्य नाम तय करना चाहती है। बताया गया है कि यहां से दूसरे चेहरों पर भी पार्टी नजर बनाए हुए है। इनमें से दिमनी से बसपा की टिकट पर विधानसभा का चुनाव लडऩे वाले बलवीर दण्डोतिया के नाम पर भी चर्चा हुई है। लेकिन मुख्य तौर पर सिकरवार और उपाध्याय पर ही कांग्रेस का फोकस बताया जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि यहां से कांग्रेस चौंकाने वाला नाम भी तय कर सकती है।
खंडवा : इस लोकसभा सीट से पूर्व केन्द्रीय मंत्री अरुण यादव का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है, लेकिन अरुण यहां से चुनाव लडऩे के इच्छुक नहीं बताए जा रहे हैं, जबकि यहां से टिकट की दौड़ में शामिल पूर्व विधायक सुरेन्द्र सिंह शेरा और राजनारायण सिंह पुरणी भी हैं। इन दोनों नेताओं को अरुण का विरोधी बताया जाता है, जो किसी भी स्थिति में नहीं चाहेंगे कि अरुण यादव खंडवा से प्रत्याशी बनें। चर्चा है कि पूर्व पीसीसी चीफ यादव ने स्वयं चुनाव नहीं लडऩे की बात कर अपने करीबी नरेन्द्र पटेल को टिकट देने की वकालत की है। जिसे शेरा व पुरणी सहित दूसरे नेता तैयार नहीं हैं। ऐसे में कांग्रेस यहां सहमति बनाने में जुटी हुई है।
ग्वालियर: इस सीट पर भी प्रत्याशी के नाम को तय करने में कांग्रेस को पसीना आ रहा है। दरअसल यहां से जिन दो नामों को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं, उनमें सहमति नहीं बन पा रही है। इनमें एक नाम मुरैना से टिकट की दौड़ में बने हुए सत्यपाल सिंह सिकरवार नीटू का भी है, लेकिन यह नाम तय इसलिए नहीं हो पा रही है कि ग्वालियर से उनके बड़े भाई सतीश सिकरवार विधायक हैं और उनकी पत्नी शोभा सिकरवार महापौर हैं। ऐसे में पार्टी नीटू को मैदान में उतारकर परिवार वादे जैसे मुद्दे को हावी नहीं होने देना चाहती है। नीटू के अलावा पूर्व विधायक प्रवीण पाठक और पूर्व सांसद रामसेवक गुर्जर के भी नाम बताए जा रहे हैे। कहा जा रहा है कि रामबाबू गुर्जर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की पसंद हैं, हालांकि वे इसके लिए जोर नहीं दे रहे और पूरी तरह से पार्टी नेतृत्व पर छोड़ दिया है ।