भोपाल। प्रदेश के सरकारी महाविद्यालयों को बायोमेट्रिक मशीन में हाजिरी देनी होगी। साथ ही, महाविद्यालयों को छात्रों की उपस्थिति भी बायोमेट्रिक मशीन में दर्ज करनी होगी। इस बाबत उच्च शिक्षा विभाग ने निर्देश जारी किए हैं। आदेश के मुताबिक महाविद्यालयों के सभी शिक्षक कर्मचारियों की अब शत-प्रतिशत हाजिरी बायोमेट्रिक मशीन के माध्यम से ही दर्ज होगी। इसके लिए जनभागीदारी मद से नियम के तहत महाविद्यालय बायोमेट्रिक मशीन खरीद सकेंगे। उक्त कार्यवाही महाविद्यालयों को 30 सितम्बर तक करनी होगी तथा 1 अक्टूबर से बायोमेट्रिक में ही सभी शिक्षक-कर्मचारियों की उपस्थिति लेने के निर्देश दिए गए हैं। गौरतलब है कि चार साल पहले भी विभाग ने बायोमेट्रिक मशीन का शिगूफा छोड़ा था। तब सभी महाविद्यालयों में बायोमेट्रिक मशीन की खरीदी हुई, कुछ दिन शिक्षकों, कर्मचारियों ने बायोमेट्रिक में हाजिरी दी। धीरे-धीरे फिर सब पुराने ढर्रे पर आ गया और बायोमेट्रिक मशीन कबाड़ के भाव बेच दी गई। अब एक बार फिर से विभाग ने बायोमेट्रिक मशीन में हाजिरी लेने गम्भीरता दिखाई है।
रीवा विवि में होगी आदेश पालन को लेकर जद्दोजहद
इस आदेश में विभाग ने कुलसचिव, अवधेश प्रताप ङ्क्षसह विश्वविद्यालय को भी बायोमेट्रिक मशीन लगाने के लिए कहा है, जिसमें 1 अक्टूबर से सभी शिक्षकों व कर्मचारियों की उपस्थिति दर्ज होनी है। बता दें कि चार वर्ष पहले विभाग ने जब यही आदेश दिया था, तब काफी देरी से विश्वविद्यालय ने विभाग के उक्त आदेश को स्वीकार किया और बड़ी मुश्किल से तीन बायोमेट्रिक मशीन प्रशासनिक भवन में स्थापित की। तब भी इस मशीन में नियमित शिक्षकों को छोड़ सिर्फ कर्मचारियों की हाजिरी दर्ज कराने का मनमाना नियम विश्वविद्यालय ने बनाया, जिसका कर्मचारियों ने विरोध किया और बायोमेट्रिक में हाजिरी देना बंद कर दिया। परिणामत: यहां लगी मशीन भी कबाड़ हो गई। अस्तित्व के तौर पर उनके स्टैण्ड बस प्रशासनिक भवन की दीवारों पर झूल रहे हैं।
छात्रों से मशीन को बचाने लगाना होगा जालीदार स्टैण्ड
विभाग ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि किसी भी महाविद्यालय या विश्वविद्यालय में 500 छात्रों के बीच एक बायोमेट्रिक मशीन रखी जाये। 500 से अधिक संख्या होने पर होने प्रति 500 छात्र के हिसाब से और बायोमेट्रिक मशीन की व्यवस्था महाविद्यालयों को करनी होगी। उपद्रवी छात्र इस मशीन को तोड़ न दें, इसके लिए महाविद्यालयों को जालीदार स्टैण्ड बनवाना होगा। अब टीआरएस जैसे महाविद्यालय में ये स्टैण्ड बचेगा या नहीं, यह अगले दो-तीन महीने में स्पष्ट हो जायेगा।
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