MISSION MAYANK REWA:लापरवाही तो सिस्टम की निगरानी में कमी और रवेत मालिक की थी जिसने खुला बोर छोड़ दिया था। तुम अनजाने में बोर में गिर गए। हम तुम्हें बचाने डटे थे लेकिन तुम ही जिंदगी की जंग हार गए, सॉरी मांक। हमने पूरी कोशिश की। खाना-पीना छोड़ा, दो दिन सोया भी नहीं, पर तुम ही चिर निंद्रा में चले गए। यह कशिश उन सभी लोगों में दिल में है जो मयंक को बचाने में जुटे थे। 42 घंटे रेस्क्यू चला लेकिन मयंक नहीं उसका शव ही मिला। परिजनों के दिल में रह-रहकर यही टीस उठ रही है कि काश तुम सांसे लेते होते। लापरवाहों को सजा देने के लिए सरकार व प्रशासन ने कड़ा कदम उठाया है। कार्रवाई के निर्देश भी दिए हैं, बोर खुला छोड़ने वाले खेत मालिक पर भी एफआई दर्ज की गई लेकिन मयंक तो वापस नहीं आयेगा।
MISSION MAYANK REWA: खेत में गेहूं की बालिया बिन रहे मयंक को नहीं पता था कि खुला बोरवेल उसके लिए काल बन जाएगा। शुक्रवार की दोपहर करीब 3.30 बजे जनेह थाना क्षेत्र मनिका गांव में स्थित खेत में मयंक गहरे बोरवेल में समा गया था। 46 घण्टे के रेस्क्यू के बाद जब रविवार की दोपहर करीब 12 बजे एनडीआरएफ की टीम सुरंग के माध्यम से मयंक तक पहुंची तो उसकी सांसें थम चुकी थीं। मयंक को बचाने के प्रयास में जिला प्रशासन सहित बनारस से आई एनडीआरएफ की टीम रेस्क्यू कर रही थी। खोदाई के दौरान पानी आने के चलते रेस्क्यू ऑपरेशन में बाधा आई। रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद वह बोरवेल के भीतर 42 फीट की गहराई पर मिट्टी पत्थरों के बीच दवा मिला। उसके शरीर में कोई हलचल नहीं थी। मेडिकल टीम उसे लेकर अस्पताल पहुंची, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। कलेक्टर प्रतिभा पाल ने उसकी मौत की पुष्टि की।
परिवार को 4 लाख की सहायता राशि
प्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव घटना के बाद लगातार जिला प्रशासन के संपर्क में थे, उन्होंने मयंक की मौत पर दुख जताया है। साथ ही इस दुख की घड़ी में पीड़ित परिवार की रेडक्रॉस की ओर से 4 लाख रुपए की आर्थिक सहायता दी है।
भूमि स्वामी के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का प्रकरण मनिका गांव में स्थित जिस खेत में मयंक गेहूं की बाली बीनते समटा खुले बोरवेल में गिरा था. उस जमीन के भू- स्वामी के खिलाफ भी जनेह पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है। बताया गया है कि जनेह थाना में मृतक मयंक के पिता की शिकायत के बाद पुलिस ने बजेंद्र मिश्रा के खिलाफ धारा 304 के तहत प्रकरण पंजीबद्ध किया है।
परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल
जनेह थाना क्षेत्र के मनिका गांव में मयंक आदिवासी 6 वर्ष पिता विजय आदिवासी जैसे ही बोरवेल में गिरा था, उसके साथ रहे बच्चों ने परिजनों को सूचना दी थी। पहले तो ग्रामीणों ने अपने स्तर पर तुरंत उसे निकालने की कोशिशें शुरू कीं, वहीं खबर मिलते ही पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। जिला प्रशासन ने एनडीआरएफ की टीम को भी बनारस से बुलाया। परिजन उसके सकुशल वापस आने दुआ कर रहे थे, लेकिन जब मयंक मिला तो उसकी मौत हो चुकी थी। घटना से माता पिता गहरे सदमे में हैं और उनका रो-रोकर बुरा हाल था।
हमने पूरी कोशिश कीः एनडीआरएफ
एनडीआरएफ के कमांडेट प्रेम कुमार पासवान ने रेस्क्यू ऑपरेशन की जानकारी देते हुए कहां कि हमने पूरी कोशिश की। इस तरह के ऑपरेशन चुनौती भरे होते हैं। पानी और पथरीली जमीन के चलते का परेशानी आई। काम के दौरान सुरंग में दोबारा पानी निकल आया था, जिसे मोटर पंप से बाहर निकाला गया। इसके बाद रेस्क्यू टीम रविवार दोपहर करीब 12.30 बजे मयंक तक पहुंच पाई। मयंक को निकालने के लिए बोरवेल के पैरेलल 8 जेसीबी मशीनों से खोदाई की गई। 60 फीट से अधिक खोदने पर पानी निकल आया। इसके चलते रेस्क्यू रोकना पड़ा। पानी खाली करने के बाद ड्रिल मशीन से बोरवेल तक पहुंचने के लिए सुरंग बनाई गई। सख्त मिट्टी आने पर मशीनों की जगह मैनुअली खुदाई की गई।