वीरेंद्र सिंह सेंगर (बबली), रीवा।त्योथर तहसील के मनका गांव में आदिवासी परिवार के एक 6 वर्षीय बालक मयंक को तथाकथित भूस्वामी हीरामणि मिश्रा की करतूत ने मौत के मुह मुहाने पर पहुंचा दिया। आदिवासी बालक को बचाने कलेक्टर प्रतिभा पाल एंव एसपी विवेक सिंह सहित प्रशासनिक अमला बीते 28 घंटे से लगा हुआ है। लेकिन खबर लिखे जाने तक प्रशासनिक अधिकारियों की टीम बोरवेल में फंसे बालक को निकालने में कामयाब न हो पाई। वहीं दूसरी ओर अपने गले में कानूनी फंदा फंसते हुए देखकर भूस्वामी हीरामणि मिश्रा अपने पुत्र बृजेंद्र मिश्रा के साथ फरार हो गया है।
हजारों की भीड़ शुक्रवार की शाम से मनका गांव स्थित बोरवेल के पास इस उम्मीद पर नजर लगाये बैठी है कि प्रशासनिक अधिकारियों की टीम बोरवेल में फंसे बालक को जिंदा निकालने में कामयाब होगी यहां तक की लोग मयंक के जीवन सुरक्षा के लिए भगवान से प्रार्थना भी कर रहे। वहीं विपक्ष के लोग मौके पर पहुंच कर सत्ता पर शब्दभेदी बाण छोड़ कर अपने राजनीत की खिचड़ी पका कर लौट आते है। जबकि घटना स्थल पर उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ला के साथ क्षेत्रीय विधायक सिद्धार्थ तिवारी अपनी उपस्थिति बनाये हुए हैं।
गेंहू की बाली बीनने के दौरान मयंक गिरा बोरवेल में: घटना शुक्रवार के शाम लगभग 4 बजे की बताई जाती है। तथाकथित भूस्वामी हीरामणि मित्रा के खेत में लगे गेंहू की कटाई हो जाती है। खेत में गिरी गेंहू के बालियों को बीनने मयंक आदिवासी पिता विजय आदिवासी 6 वर्ष निवासी मनिका अपने हमजोली लड़को के साथ खेत में गया हुआ था। उसी दौरान खेत में हुए बोरके खुले मुहाने में जा गिरा। कितने फिट गहराई में पहुंच गया, इस बात का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। प्रशासनिक अधिकारियों के बीच इस प्रकार की चर्चा है कि बोर लगभग 60 फिट गहरा है और 40 फिट तक की खुदाई प्रशासनिक अधिकारियों ने करवाई। लेकिन खबर लिखे जाने तक बोरवेल में फंसे मयंक का सुराग नहीं लगा।
बोरवेल से नहीं मिल रही हलचल, बनारस से बुलवाई गई एनडीईआरएफ: बोरवेल में फंसे मयंक आदिवासी को निकालने के लिए पहले तो प्रशासन ने स्थानीय स्तर पर प्रयास किये। 5 पोकलैंड, 9 जेसीबी और 8 ट्रेक्टर ट्राली की मदद से बोरवेल में सुरंग बनाने का काम किया गया। साथ ही बोर के अंदर आक्सीजन की व्यवस्था की गई। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया प्रशासन की उम्मीदें टूटने लगी। तब जाकर यूपी बनारस से एनडीईआरएफ को बुलवाया गया। लेकिन खबर लिखे जाने तक एनडीईआरएफ के प्रयासों से भी कोई उम्मीद की किरण नहीं दिखाई दी। स्थानीय सूत्र ती बताते है कि बोरवेल के अंदर से कोई हलचल भी नहीं दिखाई दे रही है।
शासकीय तालाब का बना पट्टेदार, विधायक निधि से करवा था बोर: इस घटना से जो बात निकल कर सामने आई उससे यह कहना गलत न होगा कि तथाकथित भूस्वामी हीरामणि मिश्रा राजनैतिक पहुंच रखता है। एक और जहां शासन सरकारी तालाबों के संरक्षण की बात करती है वहीं दूसरी और हीरामणि मिश्रा अपनी पहुंच पकड़ से शासकीय तालाब का पट्टेदार बन जाता है। स्थानीय सूत्रों ने बताया कि गांव के राजस्व रिकॉड में भूमि नबर 1048 में शासकीय तालाब हुआ करता था जिसे लोग दुबे का तालाब के नाम से जानते थे। कूटरचित तरीके से हीरामणि मिश्रा ने शासन के उक्त तालाब का अपने और अपने भाई दिवाकर के नाम पट्टेदार बन गया। जिसमें राजस्व विभाग की अहम भूमिका है सूत्र ने तो यहां तक बताया कि शासकीय तालाब का हीरामणि और दिवाकर पट्टेदार कैसे बन गये इसकी जानकारी के लिए राजस्व रिकॉड रूम तक दौड़ लगाई लेकिन वहां पर कोई रिकार्ड नहीं मिला।
यदि इसकी जांच की जाये तो तत्कालीन राजस्व अधिकारी सहित तथाकथित भूस्वामी हीरामणि और दिवाकर की करतूत उजागर हो जायेगी। इतना ही नहीं मजे की बात तो यह है कि तथाकथित भूस्वामी हीरामणि मिश्रा ने पूर्व विधायक स्व. रमाकांत तिवारी के कार्यकाल में उक्त आराजी में विधायक निधि से बोर करवाया था, जिसमें पानी न मिलने पर उसे खुला ही छोड़ दिया था। जिसमें शुक्रवार की शाम मयंक आदिवासी जा गिरा।